पढ़ाई - लिखाई
पढ़ाई के अलावा बच्चों को सिखाएं घर के छोटे-छोटे काम, बनेंगे आत्मनिर्भर
आज के समय में टेक्नोलॉजी ने इस तरह हर तरफ अपनी पकड़ बना ली है कि बच्चे पूरे दिन गैजेट के चारों ओर घिरे रहना पसंद करते हैं. यही वजह है कि इसके अलावा उन्हें कुछ भी नहीं दिखता पर इस बात से भी कोई इनकार नहीं कर सकता कि जिंदगी में हर इंसान को आत्मनिर्भर और जिम्मेदार होने की जरूरत है. फिर चाहे वह छोटा बच्चा हो या फिर कोई बडा़ इंसान इसके लिए उन्हें बचपन से ही शिक्षा दी जानी चाहिए ताकि वह इसके आदि हो सके. ऐसे में जरूरी है कि उम्र के हिसाब से पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों को घर के छोटे-मोटे काम भी सिखाते रहें, ताकि आगे चलकर उन्हें आत्मनिर्भर बनने में मदद मिले. ऐसे में जरूरी है कि जब बच्चा बिस्तर से उठे तो उसे अपने बिखड़े हुए खिलौने हटाना सिखाएं या उन्हें इस बात की आदत बचपन से ही डालें कि जो चीज जहां से उठाए वही रखना चाहिए जिस कारण बड़े होकर उनके अंदर यह आदत रहती है और इसके लिए उन्हें किसी दूसरे की आवश्यकता नहीं पड़ती है.
आजकल के बच्चों में घर के कामकाज को लेकर बोरियत का भाव
आज का जो दौर चल रहा है उसमें बच्चों को घरेलू काम करने के लिए प्रोत्साहित करना किसी बड़े चैलेंज से कम नहीं है. इसकी एक सबसे बड़ी वजह यह है कि बच्चे आजकल टेक्नोलॉजी के प्रभाव के कारण पूरी तरह गैजेट और इलेक्ट्रॉनिक सामान से घिरे हुए हैं, जिससे आगे बढ़कर वह सोचना ही नहीं चाहते है.आज के बच्चों की लगभग आधी से ज्यादा पढ़ाई पूरी तरह ऑनलाइन मोड में शिफ्ट हो चुकी है, जिस कारण बच्चे पूरे दिन गैजेट से चिपके रहते हैं. यही वजह है कि यदि उन्हें घर का छोटा सा भी काम कह दिया जाए तो वह बोरियत महसूस करने लगते हैं और उन्हें यह एक बहुत बड़ा पहाड़ लगता है. ऐसे में जरूरी है कि आत्मविश्वास बढ़ाने और आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हें कम उम्र से ही जिम्मेदारी होनी चाहिए और उम्र बढ़ने के साथ-साथ जैसे-जैसे उनकी जिम्मेदारियां बढ़ जाती है, वह और जिम्मेदार होते जाते हैं.
घर के छोटे-छोटे काम करने से बच्चों में कैसे होता है बदलाव
1. यदि आपका बच्चा बचपन से ही आत्मनिर्भर बनता है तो उसमें और बाकी बच्चों में बचपन से ही फर्क नजर आने लगता है जो उसे आगे ले जाती है.
2. एक आत्मनिर्भर बच्चे के अंदर हर मामले में निर्णय लेने की क्षमता होती है जिस कारण वह मानसिक रूप से मजबूत रहता है.
3. कम उम्र में ही अलग-अलग तरह की जिम्मेदारियां मिलने के बाद वह बड़ा होकर उसी के हिसाब से चलता है और उसे उसकी अहमियत समझ आती है.
4. आत्मनिर्भर बनने पर बच्चे को यह बखूबी पता होता है कि उसके लिए हर स्थिति एक अवसर होती है और यह बात यदि बचपन से उसके दिमाग में डाला जाए तो आगे वह हर चुनौतियों का सामना करने को तैयार रहता है.
5. एक आत्मनिर्भर बच्चा कई ऐसी एक्टिविटी करता है जो बाकी बच्चों से बिल्कुल अलग होता है, क्योंकि उसके माता-पिता ने उसके साथ काफी समय बिताया होता है और उसे हर एक्टिविटी के बारे में बखूबी जानकारी दी जाती है.