गरम मुद्दा

भारत में निरंतर बढ़ रहा है लड़कियों के खिलाफ अपराध, बढ़ाना होगा दंड का दायरा

Published on

आज के समय में सरकार ने बेटियों के लिए तरह-तरह के श्लोगन और उनकी सुरक्षा को लेकर कई दावे किए पर यह सच है कि यह दावे असल जिंदगी में पूरी तरह फेल हो जाते हैं. इससे ना ही तो महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध में कमी आ रही है और ना ही लोगों की सोच बदल रही है. आज भी महिलाओं के साथ बलात्कार, छेड़छाड़, अपहरण, देह व्यापार जैसी हिंसा और अपराधियों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हो रहे अपराध के प्रति दंड का दायरा बढ़ाना चाहिए जिससे ना केवल महिलाओं को सुरक्षा मिले बल्कि समाज में एक ऐसा संदेश फैले कि महिलाओं के साथ कुछ भी करने से पहले किसी के दिमाग में 100 बार कानून का खौफ आए क्योंकि आज महिलाओं के खिलाफ अपराध हर मिनट में 3 में से एक के साथ होता है.

प्रतिदिन न्यूज़ चैनल और अखबारों में भरे रहते हैं बलात्कार और छेड़छाड़ के मामले
आज के समय में महिलाओं के खिलाफ अपराध इस कदर तेजी से बढ़ रहा है कि अखबार और न्यूज़ चैनल वाले हर दिन कई घटनाओं के बारे में बताते हैं. किसी के साथ छेड़छाड़, यौन उत्पीड़न, एसिड अटैक और अपरहन जैसे कई मामले सामने आते हैं जो आज के समय में लोगों के लिए तो एक आम बात बनकर रह गई है. अगर टीवी पर या अखबार में कभी गंभीर अपराधों का भी जिक्र किया जाता है तो लोग इसे पढ़कर नजरअंदाज कर देते हैं. लोगों के अंदर यह मंशा होती है कि यह हमारे घर की घटना नहीं है और ऐसी ही परिस्थिति में लोग जागरूक नहीं हो पाते हैं जिस वजह से आगे यह घटना बढ़ती ही जाती है. आज देश का ऐसा कोई कोना या कोई जिला नहीं जहां महिलाओं के खिलाफ अपराध नहीं हो रहा है, पर जिस तरह  सरकार सोई हुई है यह मनचले अपराधियों के लिए इस तरह का बढ़ावा है जो उन्हें हाथ खोलने का मौका दे रहा है.

निर्भया कांड के बावजूद नहीं बन पाया कोई मजबूत कानून
निर्भया कांड से तो आज हर कोई वाकिफ है जब 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में निर्भया चलती बस में गैंगरेप का शिकार हुई थी. इस घटना के बाद भले ही तमाम लोग सड़कों पर उतर कर मोमबत्तियां लेकर धरना प्रदर्शन करते नजर आए थे और सरकार ने भी महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण को लेकर बड़े-बड़े दावे किए थे, पर महिला सुरक्षा की तस्वीर नहीं बदली. भले ही निर्भया के दोषियों को फांसी दे दी गई पर इसके बावजूद भी मनचलों के मन में इस तरह के अपराधों को लेकर खौफ नहीं है क्योंकि उन्हें हमारे देश की कानून व्यवस्था के बारे में भली-भांति पता है.निर्भया केस के बाद किसी महिला को गलत तरीके से छूना, उससे छेड़छाड़ करना और अन्य किसी भी तरीके से यौन शोषण करना जुर्म में शामिल कर दिया गया. साथ ही एक पोक्सो एक्ट भी चर्चा में आया था जिसके तहत तुरंत आरोपी की गिरफ्तारी होती है और जमानत भी नहीं मिलती है.

महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराध के खिलाफ आंदोलन तो बहुत हुए पर समाधान आज तक नहीं निकला.

Copyright © 2020. All rights reserved