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वृद्धाश्रम में बुढ़ापा गुजारने पर मजबूर हैं बुजुर्ग, असंवेदनशील होती जा रही है नई पीढ़ी

गरम मुद्दा

वृद्धाश्रम में बुढ़ापा गुजारने पर मजबूर हैं बुजुर्ग, असंवेदनशील होती जा रही है नई पीढ़ी

दुनिया में एक मां बाप ही तो होते हैं जिनसे हमारा संबंध बेहद ही गहरा होता है. वह जिसने हमें दुनिया में लाया और जिसने हमें दुनिया की सारी सुख सुविधाएं लाकर दी पर एक वक्त में यही बच्चे बड़े होकर अपने मां-बाप का हाथ पकड़ कर उन्हें वृद्ध आश्रम में छोड़ कर आते हैं. उस वक्त उनके दिमाग में यह ख्याल नहीं आता कि इसी मां बाप ने उनके लिए क्या कुछ नहीं किया है. जीवन में उन्हें खुशी देने के लिए क्या कुछ नहीं त्यागे हैं. यही वजह है कि आज ना चाहते हुए भी कई बुजुर्ग वृद्ध आश्रम में रहने को मजबूर है, क्योंकि आज की नई पीढ़ी को इतनी प्राइवेसी चाहिए कि वह अपने मा-बाप के साथ भी रहना पसंद नहीं करते. भले ही यह कड़वा है लेकिन सच है क्योंकि आजकल का परिवार पति-पत्नी और बच्चों तक सीमित हो गया है. यही वजह है कि अपने घर में बूढ़े मां-बाप को रखने पर लोग हिचकीचाते हैं.

आज के समय में बुजुर्गों के साथ हो रहे अत्याचार
जिस मां-बाप ने आपको पाल पोस कर बड़ा किया और यह उम्मीद थी कि आप उनकी बुढ़ापे का सहारा बनेंगे तो आप बड़े होकर सहारा बनना तो दूर आप उन्हें वृद्ध आश्रम छोड़ आते हैं. आज की जो नई पीढ़ी है उन्हें अपने बूढ़े मां बाप के पास बैठना तो दूर उन पर पैसे खर्च करने में भी शामत आती है. एक वक्त था जब अपने मां बाप को भगवान के समान पूजा जाता था और एक आज की पीढ़ी है जिनकी मंशा ही कुछ और है.
आज शादी होने के कुछ दिन बाद ही बेटा यह कहने लगता है कि मुझे अपनी पत्नी के साथ अलग रहना है जिस वजह से मां-बाप के साथ रहना उसे खटकने लगता है और धीरे-धीरे वह इस बात से इतना परेशान हो जाता है कि अपने मां-बाप को वृद्ध आश्रम तक छोड़ने की बात लोगों के दिमाग में आ जाती है, क्योंकि पूरी उम्र मां बाप ने जिस बच्चे को पालने में अपना सब कुछ लगा दिया, वह जवानी में अपनी व्यसस्ता का हवाला देकर अपने मां-बाप से पल्ला झाड़ लेते हैं. वो यह भूल जाते हैं कि कुछ समय बाद वह भी इसी उम्र और अवस्था में होंगे और उनके बच्चे अगर उनके साथ यह करेंगे तो क्या उन्हें इस बात पर अच्छा लगेगा.

युवाओं के लिए कुछ सलाह
1. जब आप बड़े होकर अपने पैरों पर खड़े हो जाते हैं तो हमें हमारे मां-बाप के ठीक उसी प्रकार सेवा करने की जरूरत होती है, जैसा उसने हमारे बचपन में हमें किया है.

2. आप भले ही दुनिया के किसी भी ऊंचाई पर पहुंच जाएं. यह कभी ना भूले कि वहां तक पहुंचाने वाला और आपको इस दुनिया में लाने वाला कोई और नहीं बल्कि आपके माता-पिता है.

3. अगर माता-पिता आपको समझाने के लिए किसी तरह का कोई राय सलाह देते है तो उनकी बातों को बुरा ना माने, क्योंकि उसके पीछे आपकी भलाई छुपी हैं.

4. अपने माता-पिता के साथ कुछ भी बुरा करने से पहले यह जरूर याद रखें कि कल को होकर आप भी 1 दिन माता पिता बनेंगे तब जाकर आपको इसका वास्तव में अर्थ समझ आएगा.

5. माता-पिता का सहारा एकमात्र उसकी संतान होती है. संतान को हमेशा अपने माता-पिता के प्रति जिम्मेदारियां को निभाना चाहिए.

6. भले ही दुनिया समाज कुछ भी कहे आप हमेशा अपने माता-पिता के प्रति ईमानदार रहें और जिस तरह उन्होंने बचपन में आपको उंगली पकड़कर चलना सिखाया है आप उसी तरह उनके बुढ़ापे का सहारा बने.

एक खुशहाल घर वही है जहां माता-पिता, दादा-दादी बनने के बावजूद खुश रहें.

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