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पाकिस्तान में जन्मे युसूफ खान को भारत में बदलना पड़ा नाम, अभिनय सम्राट के नाम से हुए प्रसिद्ध

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बॉलीवुड के दिलीप कुमार का नाम लेते ही 90 के दशक के वह पुराने गाने हमारे मन में गुनगुनाने शुरू हो जाते हैं, पर यह बात शायद ही किसी को पता होगी कि बॉलीवुड जगत मे इतनी दौलत और शोहरत कमाने से पहले दिलीप कुमार ने अपने जीवन में बेहद ही परेशानी झेली थी. आज यह मुकाम उन्होंने सिर्फ और सिर्फ अपने मेहनत के बलबूते पर हासिल किया है. उन्होंने अपने जीवन में मुगल-ई-आजम और देवदास जैसी यादगार फिल्में की हैं.आज हम आपको बताएंगे कि किस तरह पाकिस्तान में जन्मे युसूफ खान ने एक मुश्किल परिस्थिति से लड़कर बॉलीवुड में हर तरफ अपने नाम के झंडे गाडे़ और सुपरहिट फिल्में दी.

सुपर स्टार दिलीप कुमार का परिचय
11 दिसंबर 1922 को पाकिस्तान के पेशावर में जन्मे दिलीप कुमार बॉलीवुड के ट्रेजेडी किंग नाम से भी जाने जाते हैं. दिलीप कुमार के परिवार की स्थिति थोड़ी खराब थी, क्योंकि वह 12 भाई-बहन थे जिससे घर चलाने में परेशानी हो रही थी. इसके लिए उन्हें फल बेच कर अपने परिवार का गुजारा करना पड़ा था. उनकी आर्थिक परेशानी तब शुरू हुई जब भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ और दिलीप कुमार का पूरा परिवार मुंबई में आकर रहने लगा. उसके बाद उनकी स्थिति इतनी दयनीय हो चुकी थी कि उनके पास ना हीं तो पैसे थे ना हीं तो घर था, जिसके बाद उन्होंने एक सैंडविच स्टॉल लगाकर अपने परिवार का पालन पोषण करना शुरू किया, जिसके लिए हर रोज उन्हें ₹1 दिए जाते थे. उस वक्त बॉम्बे टॉकीज की प्रमुख रही देविका रानी को दिलीप कुमार का नाम मोहम्मद यूसुफ बिल्कुल भी पसंद नहीं आया और उन्होंने उन्हें नया नाम सुझाया ताकि ये फिल्मों के अभिनेता की रोमांटिक छवि के अनुकूल लगे. देविका रानी के स्टूडियो जब दिलीप कुमार पहुंचे तो वहां उनकी नौकरी लग गई और फिर यहीं से उनके फिल्मी सफर की शुरुआत हुई. उन्होंने ज्वार-भाटा और प्रतिमा जैसी फिल्म की जो फ्लाप रहीं, लेकिन दिलीप कुमार ने हार नहीं मानी. इसके बाद उन्होंने अंदाज, दाग, आन, जुगनू, शहीद, नया दौर, देवदास, mughal-e-azam  जैसी सुपरहिट फिल्में करके 25 साल की उम्र में वह देश के नंबर वन कलाकार बन गए थे और उस समय लोगों के दिलों पर केवल दिलीप कुमार का ही राज था.

दिलीप कुमार की लव लाइफ और शादी की कहानी
जब भी दिलीप कुमार के प्रेम कहानी की चर्चा होती है तो तीन नाम हमेशा आता है जिसमें कामिनी कौशल, मधुबाला और सायरा बानो शामिल है. उन दिनों दिलीप कुमार और मधुबाला के प्यार के किस्से अक्सर अखबारों में छपा करते थे. पर दिलीप कुमार ने इन बातों को यह कहकर खारिज कर दिया था कि मैं उनके तरफ आकर्षित था, क्योंकि वह बेहद ही बहुत अच्छी एक्ट्रेस थी उनमे वह सारी खूबियां थी जो मुझे उनकी तरफ आकर्षित करती थी, पर mughal-e-azam के बाद वह मधुबाला से अलग हो गए. उसके बाद साल 1966 में आखिरकार दिलीप कुमार को अपने सपनों की रानी मिली जिसकी वह तलाश कर रहे थे और वह कोई और नहीं बल्कि सायरा बानो थी. दोनों की उम्र में 22 साल का फासला था, पर इससे उनकी मोहब्बत कम नहीं हुई.

दिलीप कुमार और सायरा बानो के युवावस्था की तस्वीर.

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