किस्सा- कहानी
भारतीय सेना ने हारी हुई बाजी को पलट था,1999 में भारत ने लड़ा था आर या पार का युद्ध
युद्ध में यह बिल्कुल भी तय नहीं होता कि किसकी हार होगी और किसकी जीत, पर अगर किसी की मंशा और रणनीति पूरी तरह साफ और स्पष्ट हो तो फिर उसे जीतने से कोई नहीं रोक सकता. 1999 के युद्ध में भारतीय सेना के साथ कुछ ऐसा ही हुआ था, जब उन्हें पता चला कि पाकिस्तान ने कारगिल की ऊंची पहाड़ियों पर घुसपैठ कर दिया है तो फिर क्या उन्हें खदेड़ने के लिए यह तैयार हो गए. काफी गोलीबारी हुई, भारत के कई सैनिक शहीद हुए जिसके बाद पूरा का पूरा मंजर बदल गया, पर अचानक भारतीय सेना ने ऐसी रणनीति बदली की हारी हुई बाजी जीत ली और पाकिस्तान को इस युद्ध में औंधे मुंह हराया था. आज हम आपको बताएंगे कि किस तरह भारत- पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध में भारतीय सैनिकों के शहीद होने के बावजूद भी भारत ने विजय हासिल की थी.
1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच लड़े गए कारगिल युद्ध का परिचय
26 जुलाई 1999 में लद्दाख में उत्तरी कारगिल जिले की पर्वत चोटियों पर अचानक पाकिस्तानी सेना ने कब्जा जमा दिया था, जिसे हटाने के लिए कारगिल युद्ध हुआ. कारगिल युद्ध कश्मीर क्षेत्र में भारत और पाकिस्तान के बीच एलओसी के भारतीय हिस्से में पाकिस्तानी सैनिकों और सशस्त्र विद्रोहियों की घुसपैठ पर शुरू हुआ था. युद्ध में भारतीय सैनिकों ने अपनी बहादुरी और बलिदान को प्रदर्शित किया, जिसमें स्थानीय चरवाहों ने भारतीय सेना की काफी मदद की थी, जिसके आधार पर आक्रमण के बिंदुओं की पहचान करते हुए वायुसेना की मदद से बड़ा हमला किया गया. 26 जुलाई को जब युद्ध समाप्त हुआ उस दिन भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तान द्वारा कब्जा किए गए चौकियों पर भारतीय तिरंगा लहराया. तब से ही कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है.
जब भारतीय सेना के जवान एक के बाद एक शहीद होने लगे तो सबने मिलकर एक रणनीति बनाई और पीछे से सैनिकों को भेजा गया. उस वक्त कैप्टन विक्रम बत्रा, लेफ्टिनेंट मनोज पांडे और कई बहादुर जवानों के चलते भारत ने कारगिल की चोटियों पर अपना कब्जा जमा लिया और फिर पाकिस्तान के 700 से भी ज्यादा सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया और वह मंजर ऐसा था कि पाकिस्तान अपने देश के सैनिकों के शव को लेने तक नहीं आया था.
कारगिल वॉर के 6 ऐसे फैक्ट जिसे हर भारतीय को जानना चाहिए
1. कारगिल युद्ध में करीब 2 लाख सैनिकों ने हिस्सा लिया था, जिसमें कई बड़ी-बड़ी लड़ाकू विमान और राँकेट का इस्तेमाल किया गया था.
2. कारगिल के इस युद्ध में लगभग 250000 गोले, बम और रॉकेट दागे गए थे. इसके अलावा लगभग 5000 तोप खाने के गोले, मोर्टार बम और 300 बम प्रतिदिन दागे जाते थे.
3. द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद यह एकमात्र ऐसा युद्ध था जिसमें दुश्मन सेना पर इतनी बड़ी संख्या में बमबारी की गई थी.
4. कारगिल युद्ध में भारत की परिस्थिति देखते हुए पाकिस्तान के पैरों तले जमीन खिसक गई थी, जिसके कारण उसने अमेरिका से हस्तक्षेप के लिए कहा पर अमेरिका ने मना करती है.
5. कारगिल युद्ध सबसे ऊंचाई पर लड़ी जाने वाली इकलौती लड़ाई मानी जाती है. इसके बाद आज तक कभी ऐसा मंजर नहीं दिखा.
6. 2 जुलाई 1972 को भारत और पाकिस्तान के बीच शिमला समझौते पर हस्ताक्षर होने के बावजूद भी कारगिल युद्ध हुआ.