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सारंगपुर में महाराजाधिराज के नाम से जाने जाते हैं हनुमान जी, इस मंदिर की महिमा है अपरंपार

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सारंगपुर में महाराजाधिराज के नाम से जाने जाते हैं हनुमान जी, इस मंदिर की महिमा है अपरंपार

जब भी हमारे मन में किसी तरह की भय या चिंता होती है तो हम जोर- जोर से हनुमान चालीसा पढ़ने लगते हैं, जिससे हमारे अंदर एक ऊर्जा का संचार होता है और हमें भय नहीं लगता है. हनुमान जी का पाठ करने से हमारे मन में एक अलग ही शांति और सुकून मिलता है. आज हम आपको हनुमान जी के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां पर उन्हें महाराजाधिराज के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर की महिमा अपरंपार है. स्वास्थ्य, पढ़ाई और बुरी नजर से प्रभावित लोगों के लिए यहां के दर्शन बेहद ही लाभकारी माने जाते हैं. इस मंदिर की छवि इतनी शक्तिशाली बताई जाती है कि यहां पर भक्त अपने सारे कष्टो का निवारण प्राप्त करते हैं. आज हम आपको बताएंगे कि किस तरह सारंगपुर में हनुमान जी के इस मंदिर का निर्माण हुआ और यहां पर किस तरह उनकी पूजा होती है.

सारंगपुर के कष्टभंजन हनुमान मंदिर का परिचय
गुजरात के सारंगपुर में हनुमान जी का यह मंदिर है जिसे बेहद ही पवित्र माना जाता है. एक छोटी पहाड़ी पर स्थित इस मंदिर में हनुमान जी के चरणों के पास ही स्त्री रूप में शनिदेव बैठे हुए हैं. हनुमान जी यहां आपको सोने के सिंहासन पर विराजमान नजर आएंगे, जिन्हें महाराजाधिराज के नाम से भी जाना जाता है. संकटमोचन के चारों ओर प्रिय वानरों की सेना नजर आती है. यह सुंदर मंदिर विशाल और भव्य मंडप के बीच 45 किलो सोना और 95 किलो चांदी से बना हुआ है, जो किसी राजदरबार से कम नहीं है. 170 साल पुराने इस सारंगपुर हनुमान मंदिर की विशेषता है कि इसके अधिष्ठाता भगवान श्री स्वामीनारायण के शिष्य परम पूज्य श्री गोपालानंद स्वामी जी थे. कहा जाता है कि स्वयं भगवान श्री स्वामीनारायण ने अपने जीवन का कुछ समय यहां बिताया था. इस मंदिर की स्थापना विक्रम संवत 1960 में की थी, जिसकी नीव अश्विन कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को रखी गई थी. सारंगपुर गुजरात का 3000 की आबादी वाला छोटा सा गांव है, जो गुजरात के शहर भावनगर से 82 और अहमदाबाद से करीब 153 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.

कष्टभंजन हनुमान मंदिर की कुछ खास बातें
1. कहा जाता है कि बुरी आत्माओं से प्रभावित लोग अगर इसके दर्शन भी कर ले तो उन्हें काफी फायदा होता है.

2. यह इकलौता स्वामीनारायण मंदिर है, जिसमें स्वामीनारायण या भगवान कृष्ण की मूर्ति प्राथमिक तौर पर स्थापित नहीं है.

3. कहा जाता है जब स्वामी गोपालानंद ने भगवान हनुमान जी की मूर्ति से अपनी छडी़ को स्पर्श किया तभी मूर्ति में जान आ गई और वह हिलने लगी.

4. जिन भक्तों के ऊपर शनि का प्रकोप होता है, वह अक्सर यहां हनुमान जी के दर्शन करने आते हैं.

5. सारंगपुर का यह हनुमान मंदिर भगवान हनुमान को समर्पित है. शक्ति भक्ति और सुरक्षा के देवता के रूप में यहां विराजमान हुए हनुमान जी के बारे में कहा जाता है कि इसमें कई अलौकिक क्षमताएं हैं.

6. यहां पर हनुमान जी के पैरों के नीचे शनिदेव स्त्री के रूप में विराजते हैं.

स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर सारंगपुर के महाराज का महा श्रृंगार.

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