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नुसरत फतेह अली खान के गानों से चल रही है कई गीतकारों की दुकान, संगीत का कोहिनूर था यह कलाकार

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नुसरत फतेह अली खान के गानों से चल रही है कई गीतकारों की दुकान, संगीत का कोहिनूर था यह कलाकार

आज के समय में शायद ही कोई ऐसा होगा जिसे संगीत पसंद ना हो. हर कोई खाली वक्त में संगीत सुनना और गुनगुनाना पसंद करता है. कई लोगों के लिए तो यह पेशा बन चुका है, जिसमें आज वह अपना नाम बना रहे हैं. जब भी बात संगीत की आती है तो संगीत के कोहिनूर माने जाने वाले नुसरत फतेह अली खान की चर्चा जरूर होती है, जिनका नाम संगीत की दुनिया में बहुत बड़ा है. आज स्थिति ऐसी है कि देश दुनिया के कई बड़े-बड़े कलाकार उनके गानों से अपना घर चला रहे हैं. आज बॉलीवुड में कई ऐसे गाने हैं जो नुसरत फतेह अली खान के पुराने गानों को रीक्रिएट किया गया है. आज हम आपको बताएंगे कि किस तरह नुसरत फतेह अली खान ने संगीत की दुनिया में एक अलग मुकाम बनाया और हर कोई उनका मुरीद हो गया.

महान संगीतकार नुसरत फतेह अली खान का परिचय
13 अक्टूबर 1948 को नुसरत फतेह अली खान का जन्म पाकिस्तान के पंजाब जिले में हुआ था. उनके पिता भारत के मशहूर कव्वाल थे और बचपन से ही उन्हें इन सारी चीजों की शिक्षा मिल गई. बचपन में ही उन्होंने संगीत के गुण सीखने शुरू कर दिए थे और उन्हें हारमोनियम बजाना आ गया था. पिता की मृत्यु के बाद उन्होंने कव्वाली कार्यक्रम शुरु कर दिया. जब उन्होंने ‘हक अली अली मौला अली अली’ गाया तो पूरी दुनिया में इसे इतना पसंद किया गया कि पाकिस्तान के साथ- साथ कई मूल के लोगों ने इसकी सराहना की. उनके नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में सबसे ज्यादा 125 से ज्यादा कव्वाली गाने का रिकॉर्ड भी है, जिसके बाद कभी उन्हें जीवन में मुड़ कर पीछे नहीं देखना पड़ा और वह सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ते गए. नुसरत फतेह अली खान की कव्वाली मस्त नजरों से मैं अल्लाह बचाए, ये जो हल्का-हल्का सुरूर है, मेरा पिया घर आया, सानू एक पल चैन, साया भी जब साथ छोड़ जाए, सांसों की माला पे और ना जाने कई ऐसे गीत और कव्वाली शामिल है जो दुनिया भर में संगीत को खुद में समेटे हुए हैं.
नुसरत फतेह अली खान के गाने लोगों को इतनी पसंद है कि आजकल के संगीतकार उनके गानों का रीमिक्स बना बनाकर पैसा कमा रहे हैं.

फतेह अली खान की जीवन की कुछ ऐसी बातें जो उनके फैंस हो जानी चाहिए
1. नुसरत फतेह अली खान किसी भी धार्मिक उत्सव में पूरे दिन रात मंदिर और गांव में गाया करते थे, फिर भी वह थकते नहीं थे.

2. उन्होंने 1979 में अपनी पहली चचेरी बहन नाहिद से शादी की थी जो उनके पिता के भाई सलामत अली खान की बेटी थी.

3. नुसरत अली खान के पिता कभी नहीं चाहते थे कि वह एक कलाकार बने. वह उन्हें डॉक्टर या इंजीनियर बनना चाहते थे.

4. पाकिस्तानी संगीत में उन्हें उनके द्वारा दिए गए योगदान के लिए उन्हें पाकिस्तान के राष्ट्रपति पुरस्कार का प्राइड ऑफ परफॉर्मेंस से सम्मानित किया गया था.

5. नुसरत फतेह अली खान ने 40 से भी ज्यादा देशों में अपने संगीत का प्रदर्शन किया है.

अपने मंडली के साथ कव्वाली पेश करते उस्ताद नुसरत फतेह अली खान साहब.

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