एक था खलनायक
कहानी भारत के उस रॉबिनहुड वीरप्पन की जिसने पुलिस का जीना मुश्किल कर रखा था
एक ऐसा नाम जिसके नाम की साउथ इंडिया के जंगलों में तूती बोलती थी. वह चंदन की तस्करी के साथ-साथ हाथी दांत की तस्करी भी करता था. कई पुलिस अधिकारियों की मौत का जिम्मेदार वीरप्पन हर बार पुलिस को चकमा देकर भाग जाता था, जिसके कारण इसे पकड़ने के लिए पुलिस द्वारा कई बार एड़ी-चोटी का जोर लगाया गया. वीरप्पन की राजनीति, पुलिस और जंगल की बहुत सी कहानी प्रचलित है, जिनके आधार पर एक फिल्म भी बनाई गई है, जिसका नाम द हंट फॉर वीरप्पन है.आज हम आपको बताएंगे कि किस तरह वीरप्पन ने खूंखार अपराध किए,किन राज्यों में उसके नाम का खौफ था , कितने पुलिस वालों को मारने का उस पर आरोप था और कैसे उसका अंत हुआ.
खूंखार अपराधी वीरप्पन का परिचय
8 जनवरी 1952 को कर्नाटक के गोपीनाथम में वीरप्पन का जन्म हुआ था जिसका असली नाम मुन्नीस्वामी वीरप्पन था. उसका जन्म एक बेहद ही साधारण परिवार में हुआ था, जिसने 17 साल की उम्र से ही जुर्म की दुनिया में कदम रख दिया था. उसे वन जीवन की अच्छी कलाकारी आती थी और वह कई पक्षियों की आवाज निकाल लेता था.जिस वजह से वह पुलिस की गिरफ्त से भी कई बार बचता रहा. वीरप्पन एक ऐसा नाम बन चुका था जिसके खौफ से तमिलनाडु ही नहीं बल्कि कर्नाटक और केरल के लोग भी कांपते थे. उसकी चर्चा देश के अलावा विदेशों में भी हुआ करती थी. पहली बार 1987 में जब उसने चिदंबरम नाम के एक वन अधिकारी को अगवा कर लिया तो उस वक्त वह काफी चर्चा में आया. वीरप्पन ने उस वक्त पुलिस के पूरे जत्थे को उड़ा दिया था, जिसमें 22 लोग मारे गए थे. उसके द्वारा शिकार किया गया व्यक्ति या तो पुलिस अधिकारी होता था या एक वन अधिकारी या खुफिया अधिकारी हुआ करता था. राज्य सरकार ने पुलिस फोर्स के साथ मिलकर करीब 20 साल करोड़ों रुपए खर्च कर ऑपरेशन चलाया लेकिन हर बार वह बच कर निकल जाता था. इतना ही नहीं साउथ में भगवान की तरफ पूजे जाने वाले राजकुमार का अपहरण भी वीरप्पन ने किया था.वीरप्पन ने 184 लोगों की हत्या की थी जिसमें से 97 पुलिस वाले थे. इन आंकड़ों से हम यह कह सकते हैं कि वीरप्पन ने पुलिस वालों का जीना मुश्किल कर रखा था.
वीरप्पन के जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें
1. कई अपराध करने के बावजूद भी कुछ लोग उसे आधुनिक समय के भारत का रॉबिनहुड मानते हैं.
2. छोटी सी उम्र से ही उन्होंने नशीले पदार्थ और महिलाओं के साथ संबंध से दूर रहने का निर्णय लिया क्योंकि वह इससे अपने जीवन में ध्यान नहीं भटकना चाहता था.
3. उनकी पत्नी मुथु लक्ष्मी ने उनसे शादी इसलिए की थी क्योंकि उन्हें उनकी बदनामी और मूछें पसंद थी.
4. लगातार 3 बेटी होने के कारण वीरप्पन ने अपनी तीसरी बेटी का गला घोट कर उसे मार दिया था.
5. उसने अपने पूरे जीवनकाल के दौरान,दांत के लिए 900 हाथियों की हत्या की.
6. वीरप्पन के पास एक अलग तरह का जन संपर्क विभाग था जो आकर्षक आदिवासी लड़कियों द्वारा चलाया जाता था. उसके पीआर कार्यालय की शाखा कई अन्य देशों तक फैली हुई थी.