ओ तेरी..

हजारो टन वजन होने के बावजूद समुद्र में नहीं डूबता बडा़ से बड़ा जहाज, विज्ञान दिखा रहा चमत्कार

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अक्सर आपने कई फिल्मों में यह देखा होगा कि पानी में बड़ी- बड़ी लंबी जहाज जो कि हजारों टन की होती है, वह कभी डूबती नहीं. बचपन में तो कई बार दिमाग में यह बात जरूर आती है कि आखिर समुंद्र में इतनी भारी जहाज डूबती क्यों नहीं और कैसे यह आसानी से अपना रास्ता तय कर लेती है. पर आपको बता दें कि इसके पीछे एक बहुत बड़ा वैज्ञानिक कारण है, जिसे जानने के बाद आपको भी यह पता चल जाएगा कि आखिर हजारों टन का वजन होने के बावजूद भी समुद्र में जहाज डूबते क्यों नहीं है. इसके पीछे किसी तरह का कोई रहस्य या कोई चमत्कार नहीं बल्कि पूरा का पूरा विज्ञान का खेल है.

अंतरराष्ट्रीय व्यापार में जहाज का महत्व
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार जिसमें विभिन्न देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं का आदान-प्रदान होता है उस क्षेत्र में जहाज बहुत बड़ी भूमिका निभाता है. वैसे समुद्र तट जो अन्य देशों से जुड़े हुए हैं, वहां पर इसकी भूमिका और भी ज्यादा अहम हो जाती है. यही वजह है कि आज समुद्र के रास्ते दुनिया के 60 से 70% व्यापार बड़े ही आसानी से सफलतापूर्वक किया जा रहे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि एक बार में काफी अच्छी मात्रा में वस्तुओं का आयात- निर्यात इसके माध्यम से आसानी से हो जाता है. जिस कारण यात्रा में भी सुविधा होती है और वस्तु को भी किसी तरह का कोई नुकसान नहीं होता है. आप इस आधार पर समझ सकते हैं कि जब भी आप लोहे की कोई वस्तु को पानी में फेंकते हैं तो वह डूब जाती है. ऐसा इसलिए क्योंकि इसके पीछे एक बड़ा सिंपल सा तर्क है. जब हम पानी में लोहे की वस्तु डालते हैं तो वह अपने भार के बराबर जल को हटाती हुई नीचे जाती है, जबकि जहाज के अंदर जो हवा होती है वह पानी की तुलना में बहुत कम घनी होती है और यह चीज जहाज को पानी में डूबने से रोकती है. आर्कमिडीज का सिद्धांत कहता है कि पानी में डूबी किसी वस्तु पर ऊपर की ओर लगने वाला दबाव वस्तु द्वारा हटाए गए पानी के भार के बराबर होता है, इसलिए चाहे जहाज कितना भी भारी क्यों ना हो वह पानी में तैरने में सक्षम होता है. पानी के जहाज को बनाने में कई करोड़ों रुपए की लागत आती है जिसका वजन कई हजार टन रहता है. जहाज पानी के अंदर इसलिए भी नहीं डूबते है क्योंकि उसकी बनावट विशेष प्रकार से की जाती है. अगर पानी की सतह पर खड़े जहाज के बीच में से दो टुकड़े कर दिए जाएं तो वे दोनों टुकड़े तुरंत ही पानी के अंदर डूब जाएंगे. जहाज को इस तरह डिजाइन किया जाता है कि इसका इंजन पैडल मशीनों और प्रोपेलर पानी के दबाव को ऊपर करके गति प्रदान करता है, जिससे जहाज को हवा मिलती है और यह आगे बढ़ता है. प्रोपेलर की संख्या जहाज के आकार पर निर्भर करती है. जहाज में कोई ब्रेक नहीं होता है बल्कि जहाज को रोकने के लिए लोहे के एक भारी उपकरण यानी कि लंगर का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि जहाज को पानी बहाकर न ले जाए. जहाज जब किसी बंदरगाह पर रुकता है तो सबसे पहले इसी उपकरण को पानी में गिराया जाता है, जो रेत में धसकर अपनी पकड़ मजबूत बना लेता है.

इस जहाज पर एक छोटा शहर बसा है फिर भी पानी में नहीं डूबता जहाज

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