Connect with us

द्वादश ज्योतिर्लिंग के रूप में स्वयं महादेव कर रहे हैं इस शहर की रक्षा, त्रिशूल के नोक पर बसी है यह नगरी

धर्म- कर्म

द्वादश ज्योतिर्लिंग के रूप में स्वयं महादेव कर रहे हैं इस शहर की रक्षा, त्रिशूल के नोक पर बसी है यह नगरी

सभी धर्म स्थलों में सबसे ज्यादा काशी का महत्व माना जाता है. इसकी मान्यता है कि प्रलय आने पर भी यह स्थान बना रहेगा, जिसकी रक्षा के लिए इसे स्वयं भगवान शिव अपने त्रिशूल पर धारण कर लेंगे और जब प्रलय टल जाएगा तो उसे उसकी जगह पर पुनर्स्थापित कर दिया जाएगा. काशी में कई ऐसे मंदिर हैं जो अपने अनोखे रहस्य की वजह से पहचाने जाते हैं, पर आज हम काशी के विश्वनाथ मंदिर की बात करने जा रहे हैं जो कि पूरी दुनिया में अपने अलौकिक सौंदर्य की वजह से पहचाना जाता है. आज हम आपको सातवें द्वादश ज्योतिर्लिंग काशी विश्वनाथ के मंदिर का निर्माण कैसे हुआ और किस तरह भगवान शिव को यह नगरी प्रिय है इसके बारे में बताएंगे.

सातवें द्वादश ज्योतिर्लिंग काशी विश्वनाथ का परिचय
भगवान शिव का यह अनोखा मंदिर उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में गंगा नदी के किनारे बसा हुआ है. पूरे दिन में 4 बार यहां आरती होती है. पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव देवी पार्वती से विवाह करने के बाद कैलाश पर्वत आकर रहने लगे. वहीं देवी पार्वती अपने पिता के घर पर रह रही थीं जहां उन्हें बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था. एक दिन उन्होंने भगवान शिव से उन्हें अपने घर ले जाने के लिए कहा. भगवान शिव देवी पार्वती की बात मानकर उन्हें काशी लेकर आए और यहां विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के रूप में खुद को स्थापित कर लिया. इस मंदिर का उल्लेख महाभारत में भी किया गया है. कहा जाता है कि विश्वनाथ मंदिर का जीणोद्धार अकबर के नवरत्नों में से एक राजा टोडरमल ने 1585 में कराया था. भगवान शिव के त्रिशूल पर विराजमान उत्तर प्रदेश में काशी यानी कि वाराणसी को भगवान शिव की नगरी भी कहा जाता है. तीनों लोकों में सबसे प्यारी और खूबसूरत नगरी माने जाने वाली काशी भगवान शिव के त्रिशूल पर टिकी हुई है, जिस जगह ज्योतिर्लिंग स्थित है वह जगह कभी भी लुप्त नहीं होती है. सदियों वैसी की वैसी ही स्थापित रहती है. काशी को भगवान शिव की नगरी इस वजह से भी कहते हैं क्योंकि 5000 साल पहले भगवान शिव ने इस शहर की स्थापना की थी, जो आज सांस्कृतिक और धार्मिक केंद्र माना जाता है.

काशी विश्वनाथ मंदिर की कुछ महत्वपूर्ण बातें
1. काशी विश्वनाथ मंदिर में जब भगवान की मूर्तियों का श्रृंगार किया जाता है, तो मूर्तियों की दिशा पश्चिम मुखी होती है.

2. काशी विश्वनाथ मंदिर का केवल स्पर्श करने से ही व्यक्ति को राज सूय यज्ञ का फल मिलता है.

3. इस मंदिर में भगवान शिव गुरु और राजा के रूप में विराजमान है. दिन भर वह गुरु के रूप में ब्राह्मण करते हैं और रात को श्रृंगार के समय राजवेश में होते हैं.

4. किस मंदिर को जब औरंगजेब ने नष्ट करने की कोशिश की थी तो हिंदुओं ने मूर्ति को कुएं में छुपा दिया था और आज भी वह कुआं मंदिर के पास स्थित है.

5. कहते हैं कि काशी की रक्षा भगवान शिव खुद करते हैं और कलयुग के अंत के समय काशी को कोई नुकसान नहीं होगा.

6. पौराणिक कथाओं के अनुसार धरती के निर्माण के वक्त सूर्य की पहली किरण काशी पर पड़ी थी.

काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग का दुर्वा और पुष्प से दिव्य श्रृंगार.

आगे पढ़ें
You may also like...

journalist

More in धर्म- कर्म

To Top