एक था खलनायक
आज भी रोंगटे खड़े कर देता है पटना का शिल्पी जैन मर्डर मिस्ट्री, मुख्यमंत्री के भाई पर था लोगों का शक
साल 1999 में बिहार की राजधानी पटना में शिल्पी जैन और उनके बॉयफ्रेंड गौतम के साथ जो हुआ, वह शायद कई दशकों तक लोगों द्वारा नहीं भूला जाएगा. जुर्म की एक ऐसी कहानी लिखी गई कि लोगों के दिलों दिमाग में खौफनाक दृश्य पैदा कर दिया था. यह कहानी बयां करती है कि इंसान शायद किसी पर अब गलती से भी विश्वास नहीं कर सकता. यह विश्वास करने का ही नतीजा था कि उसे अपनी जान की कीमत चुकानी पड़ी और उसे आज तक इंसाफ नहीं मिल पाया. इस केस में कई ऐसे पहलू आज भी नजर आते हैं जिस पर अगर गौर किया जाए तो वह हजारों सवाल खड़े करते हैं पर उस वक्त पुलिस ने ना ही तो इस मामले पर गौर किया और ना ही कुछ मुद्दों के सामने आने के बावजूद भी इसे सुलझाने की कोशिश की गई. इस पूरी घटना में सीधे-सीधे मुख्यमंत्री के भाई साधु यादव का नाम आने लगा जिस कारण जैसे- तैसे पुलिस ने इस मामले को रफा दफा करके मिटा दिया, क्योंकि उस वक्त साधु यादव के नाम को लेकर विपक्षी ने राबड़ी देवी पर धावा बोल दिया था. उनके घर को घेरने की भी तैयारी चल रही थी. यह साधु यादव कोई और नहीं बल्कि मुख्यमंत्री राबडी़ देवी के भाई और लालू यादव के साले थे. आज हम आपको बताएंगे कि किस तरह साल 1999 में शिल्पी और उसके बॉयफ्रेंड का डबल मर्डर हुआ था, जिसका आज तक निष्कर्ष नहीं निकल पाया.
1999 पटना की शिल्पी जैन और उसके बॉयफ्रेंड की डबल मर्डर की कहानी
शिल्पी जैन पटना के विमेंस कॉलेज की छात्रा थी, जिसके साथ जब यह घटना हुई तो वह केवल 23 साल की थी. इस कहानी का सिलसिला 1999 में शुरू होता है, जब बिहार की रहने वाली शिल्पी जैन जो की मिस पटना भी रह चुकी है. वह रिक्शा में बैठकर अपने इंस्टिट्यूट जा रही थी तभी उसके बॉयफ्रेंड गौतम सिंह के एक दोस्त ने उसे इंस्टिट्यूट छोड़ने की बात कही. वह उसे पहले से जानती थी जिस कारण वह उसे मना नहीं कर पाई पर वह उसे इंस्टिट्यूट ले जाने के बजाय फुलवारी शरीफ के वाल्मीकि गेस्ट हाउस ले गया. जब उसने वजह पूछी तो उसने कहा कि गौतम भी वहां मौजूद है जिसके बाद शिल्पी शांत हो गई. जैसे ही वह गेस्ट हाउस पहुंची तो वहां पर कई तरह के गलत काम पहले से हो रहे थे और कई लोग उसकी राह में बैठे थे, जो उसकी अस्मत लूटने की कोशिश कर रहे थे. गौतम ने शिल्पी को बचाने की बहुत कोशिश की पर लोगों के सामने उनकी एक नहीं चली. वहां पर शिल्पी के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया और फिर दोनों की गला दबाकर हत्या कर दी है. इसके कुछ दिन बाद 3 जुलाई 1999 को रात 9:00 बजे एक बंगले में दो लाश मिलने की जानकारी पुलिस को मिली जहां एक मारुति कार से 23 साल की युवति और करीब 28 साल की युवक की लाश बरामद हुई,जिनके बदन पर पूरे कपड़े नहीं थे और वह कोई और नहीं गौतम सिंह और शिल्पी जैन थे. भले ही उस वक्त पुलिस ने इसे आत्महत्या घोषित कर दिया हो पर फॉरेंसिक रिपोर्ट में यह साफ पता चला कि एक से ज्यादा लोगों ने उसके साथ रेप किया था और शिल्पी के कपड़ों पर सीमन के निशान भी मिले थे. उस वक्त सीबीआई ने इस पूरे मामले पर विधायक बन बैठे राबड़ी देवी के भाई साधु यादव पर निशाना साधा था. पुलिस ने गैर जिम्मेदार तरीके से इसके को डील किया जिस वजह से इस केस के अहम सबूत मिट गए और केस क्लोज करने में आसानी हुई. मामला बड़ा होने के कारण पुलिस ने इस मामले को रफा-दफा करने में ही अपनी भलाई समझी. इस वजह से यह मामला हत्या का होने के बावजूद आत्महत्या के तौर पर ही देखा जाता है.