ओ तेरी..
बंद होने वाली थी आपकी पसंदीदा कंपनी रॉयल एनफील्ड, सिद्धार्थ ने फिर से इसे बना दिया युवाओं की धड़कन
एक ऐसी बाइक जिसकी आवाज कानों में जाते ही, यह समझ लिया जाता है कि यह कौन सी गाड़ी है. इसके लिए दीदार करने की जरूरत भी नहीं पड़ती और हमारे जहन में इसकी पूरी तस्वीर सामने आ जाती है. हम बात कर रहे हैं रॉयल एनफील्ड बुलेट की जिनकी सवारी करने के साथ-साथ इसे चलाने वाले लोग एक अलग ही शौक और रुतबा रखते हैं. पर एक ऐसा समय आया जब रॉयल एनफील्ड जैसी पसंदीदा गाड़ी बंद होने की कगार पर पहुंच गई थी पर सिद्धार्थ लाल ने फिर ऐसी रणनीति बनाई जहां इसके तुरंत बाद एक बहुत बड़ा बदलाव आया और यह युवाओं के दिलों की धड़कन बन गई. आज हम आपको बताएंगे कि किस तरह दिवालिया होने के बाद इसने एक अलग शुरुआत की और युवाओं के दिलो पर राज करने लगा.
सिद्धार्थ ने कैसे बचा लिया रॉयल एनफील्ड
रॉयल एनफील्ड एक भारतीय मोटरसाइकिल निर्माण कंपनी है. वैसे तो भारत में यह 1949 में आ गई थी लेकिन लोगों के बीच यह 1955 में लोकप्रिय हुई थी. पहले यह साइकिल के नाम से जाना जाता था, पर बाद में इसने अपनी एक अद्भुत पहचान बनाई. उस वक्त कंपनी की बागडोर कंपनी के अध्यक्ष विक्रम लाल के हाथों में थी. 1 सितंबर को बाजार में क्लासिक 350 रॉयल एनफील्ड लॉन्च की गई थी. इससे पहले रॉयल एनफील्ड meteor को कंपनी ने लांच किया था. 1949 से रॉयल एनफील्ड की बाइक भारत में बिक रही है. भारतीय सरकार ने 1954 में पाकिस्तान बॉर्डर पर पुलिसकर्मियों और आर्मी के पेट्रोलियम ड्यूटी के लिए 800 मोटरसाइकिल का आर्डर दिया था. उस वक्त यह एक बहुत बड़ा ऑर्डर था. सही मायने में इंडिया में बुलेट का सफर यहीं से शुरू हुआ. इस आर्डर के बाद ब्रिटेन की रेडिच कंपनी ने 1955 में इंडिया की मद्रास मोटर के साथ मिलकर 350 सीसी बुलेट की असेंबलिंग के लिए कंपनी बनाई जिसका नाम एंनफील्ड इंडिया था. साल 2000 में कंपनी को काफी नुकसान हुआ. ग्रुप के सीनियर एग्जीक्यूटिव की राय में रॉयल एनफील्ड को बेचना या बंद करने का फैसला सही था. विक्रम लाल के बेटे सिद्धार्थ लाल ने डिवीजन को नेट प्रॉफिट में लाने के लिए 24 महीने का समय मांगा और उन्होंने अपने सपने को सच कर दिया. वह डिवीजन के हेड बने और सबसे पहले उन्होंने नया एनफील्ड प्लांट बंद किया और फिर डीलर डिस्काउंट खत्म किया जिससे कंपनी पर हर महीने 80 लख रुपए का भार पढ़ रहा. उन्होंने इस ग्रुप के 15 कारोबार में से 13 को बंद करने का फैसला लिया. सिद्धार्थ लाल का नया मॉडल कंपनी के लिए जीवनदान साबित हुआ. उन्हें बाइकिंग पसंद है और वह बाइक लेकर पहाड़ों पर घूमने जाते हैं और उनका यही अनुभव काम आया. उसके बाद उन्होंने एक ऐसी भरोसेमंद बाइक बनाई जो मुश्किल परिस्थितियों में भी युवाओं का साथ ना छोड़े. उन्होंने रॉयल एनफील्ड को टूरिस्ट बाइक की जगह रोजाना इस्तेमाल वाली बाइक बनाने में युवाओं की बड़ी मदद की है.सिद्धार्थ लाल का जन्म 1990 को पंजाब के पठानकोट में हुआ था और वह टीम इंडिया के तेज गेंदबाज रह चुके हैं, जिन्होंने घरेलू क्रिकेट में पंजाब की ओर से खेला है. आईपीएल में वह राँयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के लिए भी खेल चुके हैं.