धर्म- कर्म
साढे़साती हो या ढैय्या, महाराष्ट्र के इस मंदिर के दर्शन मात्र से शनि देव आपको सभी दोष से कर देंगे मुक्त
शनि देव को न्याय का देवता कहा जाता है, जो व्यक्ति को उसके अच्छे और बुरे कर्मों के आधार पर शीघ्र ही फल देते हैं. ऐसे में अगर आप भी साढे़साती या ढैय्या जैसे शनि दोषो से राहत पाना चाहते हैं तो महाराष्ट्र के इस अद्भुत मंदिर में शनि के दर्शन करके शनि दोषों से मुक्ति पा सकते हैं. यहां सारे बुरे प्रभाव दूर हो जाते हैं. यहां के गांव में शनि देव का इतना प्रभाव है कि कुछ भी बुरा नहीं होता है. आज हम आपको महाराष्ट्र के इस अद्भुत मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां के गांव के लोगों को बिल्कुल भी चोरी का भय नहीं होता और यहां शनि भगवान सब की विशेष रूप से रक्षा करते हैं.
शनि शिंगणापुर मंदिर का परिचय
महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित शनि शिंगणापुर का एक प्रसिद्ध मंदिर है, जिसमें आज भी शनि भगवान काले पत्थर में निवास करते हैं. यहां के मंदिर में भगवान शनि के अलावा नंदी, हनुमान और शिव की मूर्तियां लगी हुई हैं. मंदिर में पूजा करने के लिए हजारों भक्तों की संख्या उमड़ती है, जिस दिन शनि देव को पानी, तेल और फूलों से नहलाया जाता है. शनि देव के इस मंदिर को सजीव मंदिर माना जाता है, जहां आज भी देवता का वास है. यह मंदिर सभी दिन 24 घंटे खुला रहता है. पर्यटक और भक्त किसी भी समय शनि भगवान के दर्शन कर सकता है. मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि कई साल पहले एक चरवाहे के हाथ पत्थर लगा जिसके बाद उस पत्थर से खून निकला था. इस घटना के बाद हर कोई बेहद ही हैरान रह गया. उसी रात चरवाहे ने अपने सपने में भगवान शनिश्वर से यह आग्रह किया था कि उन्हें काले पत्थर को स्वयंभू रूप में दिखाया जाए. इसके बाद चरवाहे ने भगवान को नमस्कार किया और भगवान से पूछा क्या उस जगह पर भगवान का मंदिर बनना चाहिए. हालांकि भगवान ने उसकी इस बात को अस्वीकार कर दिया. इसके बजाय उन्होंने चरवाहे को प्रतिदिन पूजा करने और हर शनिवार को तिलाअभिषेक करने को कहा. इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि उनके गांव में चोरी और लूट से कोई नुकसान नहीं होगा. इसलिए आज भी शनिश्वर को यहां पर खुले दरबार में रखा जाता है.शनि शिंगणापुर मंदिर के प्रति लोगों का विश्वास इतना मजबूत है कि यहां गांव में किसी भी घर में दरवाजा और ताले का इस्तेमाल नहीं किया जाता है.
शनि शिंगणापुर मंदिर से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें
1. इस मंदिर में चारों ओर छत और दरवाजा नहीं है. इसमें केवल 5:30 फीट ऊंचा काला पत्थर है जिसे भगवान शनि का प्रतीक माना जाता है
2. 400 साल से भी ज्यादा समय तक महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं थी लेकिन 8 अप्रैल 2016 में इस परंपरा का विरोध किए जाने के बाद इसकी अनुमति मिल गई.
3. जो कोई भी शनि भगवान के दर्शन के लिए प्रांगण में प्रवेश करता है उसे तब तक पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए जब तक कि वह दर्शन करके बाहर ना निकल जाए. ऐसा करने से उसका यहां आना निष्फल हो जाता है.
4. यहां पर पूजा करने आए पुरुषों को स्नान कर पीतांबर धोती धारण करना आवश्यक है. इसके बिना पुरुष शनि प्रतिमा का स्पर्श नहीं कर सकते हैं.
5. यहां पर आने से शनि पीड़ा से मुक्ति मिल जाती है. सभी लोग शनि देव की प्रतिमा पर तेल अर्पित करते हैं जिनसे उन्हें भगवान का आशीर्वाद मिलता है.
6. यहां पर हर शनि अमावस्या को विशेष पूजा होती है, जिस दिन जगह-जगह से प्रसिद्ध ब्राह्मणों को बुलाकर लघु रुद्राभिषेक कराया जाता है.