गरम मुद्दा

21वीं सदी में भी महिलाओं के साथ नहीं रुका घरेलू हिंसा, मानवता को शर्मसार करती हैं ऐसी घटनाएं

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घरेलू हिंसा आज मात्र एक ऐसा शब्द बनकर रह चुका है जिसके बारे में शायद आज भी चर्चा करने में महिलाए कतराती हैं, तभी तो हर दिन इसके नए-नए रूप सामने आ रहे हैं. आज भले ही हम 21वीं सदी में जी रहे हैं पर इसके बावजूद भी महिलाओं पर हो रही घरेलू हिंसा में किसी प्रकार का कोई बदलाव नहीं आया है. यह जरूर कहा जा सकता है कि दिन प्रतिदिन महिलाओं की हालत और भी ज्यादा बदत्तर होती जा रही है. आज के समय में घरेलू हिंसा के तौर पर कई ऐसी घटनाएं मौजूद हैं जिसे सुनकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे. कई बार तो ऐसे मामले भी सामने आए हैं जिसने मानवता को पूरी तरह शर्मसार कर दिया है. आज हम आपको बताएंगे कि किस तरह आखिर देश में घरेलू हिंसा के स्तर में बढ़ोतरी हो रही है.

महिलाओं के साथ हो रहे घरेलू हिंसा का परिचय
घर के चार दिवारी के अंदर महिलाओं के खिलाफ हो रहे गलत व्यवहार को हम घरेलू हिंसा कह सकते हैं, जिसमें एक व्यक्ति द्वारा महिला के लिए कुछ ऐसे बुरे कार्य किए जाते हैं जिससे महिला को शारीरिक व मानसिक रूप से आघात पहुंचता है. किसी भी महिला को शारीरिक व मानसिक रूप से दुख पहुंचाना घरेलू हिंसा कहलाता है, जिसमें शोषण करना, मारपीट करना, यौन इच्छाओं की पूर्ति के लिए उसके साथ दुरव्यवहार करना, महिलाओं को अश्लील साहित्य व अश्लील तस्वीरों को देखने के लिए विवश करना, महिला को अपमानित करना, उसकी पारिवारिक व सामाजिक स्थिति को आघात पहुंचाना, इसके साथ ही महिला को आत्महत्या की धमकी देना शामिल है. कहीं ना कहीं इसके लिए हमारा पितृसत्ता समाज भी जिम्मेदार है, जिसके अंतर्गत महिलाओं की तुलना में पुरुषों को ज्यादा अहम समझा जाता है.

भारत की कुछ प्रमुख घरेलू हिंसा की कहानी
1. हैदराबाद में रहने वाली माधुरी की कहानी भी कुछ इसी तरह की है जो 5 महीने की प्रेग्नेंट थी. एक दिन वह अपनी बहन से फोन पर बात कर रही थी तो पति ने उसका फोन चुरा लिया और चेक करने लगा  पहले भी उसके साथ मारपीट होती थी, लेकिन उतनी नहीं जितनी की लॉकडाउन में हुई. पत्नी ने बाद में तंग आकर एक दिन यह सारी बातें चिट्ठी में लिखकर घर के सामने वाली मेडिकल स्टोर पर दे दी जिसमें उसकी बहन का नंबर भी लिखा था. मेडिकल स्टोर ओनर ने बहन के नंबर पर कॉल किया और पूरी बात बताई जिसके बाद बहन ने पुलिस में शिकायत दर्ज की. अगले दिन जब पुलिस उसके घर पहुंची तो ससुराल वालों के दबाव के आगे माधुरी कुछ नहीं कर पाई और उसने अपनी ही बातों से इनकार कर दिया. यहां पर वह घरेलू हिंसा का शिकार होकर भी कुछ नहीं कर पाई.

2. इसी तरह की कहानी केरल की रहने वाली नौजीसा की है. साल 2013 में जब उसकी शादी हुई तो उसकी पूरी जिंदगी बदल गई. वह शादी के बाद नौकरी करना चाहती थी. पति इस बात से राजी नहीं था. पति बात- बात पर उसे मारता था. बाद में उन्होंने हिम्मत जुटाई और पति से अलग होने की ठानी.

3.अहमदाबाद की एक महिला की कहानी भी बड़ी चौंकाने वाली है जिसके पति ने सिर्फ उसे तीन तलाक इसलिए दे दिया क्योंकि उसने अपने पति को दूध देने से पहले अपने बच्चों को दे दिया था. महिला ने अपनी शिकायत में यह भी बताया था कि उसके सास ससुर दहेज के लिए उसे तंग करते थे और मायके से पैसा लाने के लिए मजबूर करते थे. कई बार तो उस पर शारीरिक हिंसा भी हो चुकी है.

*घरेलू हिंसा रोकने के पांच उपाय*
1. घरेलू हिंसा को रोकने में सामाजिक जागरूकता बहुत बड़ी भूमिका निभाती है. जब तक समाज के लोग नहीं समझेंगे तब तक यह व्यवस्था नहीं सुधरेगी.

2. खास तौर पर महिलाओं के मानसिकता में परिवर्तन आना चाहिए, ताकि वह घरेलू हिंसा को सहे ना बल्कि इसके बारे में खुलकर विरोध करें.

3. लड़कियों को हर हाल में आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रशिक्षित करना जरूरी है, ताकि वह आर्थिक क्षमताओं को विकसित करें.

4. घरेलू हिंसा को रोकने के लिए पुरुषों के साथ-साथ स्वयं नारी को भी नारी के प्रति सोच का नजरिया बदलना होगा.

5. जो नारी घरेलू हिंसा का शिकार होती है उन्हें स्वावलंबी बनाया जाए. इससे उनमें आत्मविश्वास बढ़ेगा जिससे वह कभी भी इसका डट के मुकाबला कर सकेंगी.

आज भी महिलाओं के खिलाफ हिंसा होना छोटी मानसिकता की निशानी है.

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