धर्म- कर्म
भारत का एक ऐसा शिव मंदिर जहां होती है महादेव से पहले रावण की पूजा, रोचक है इसकी कहानी
विश्व का निर्माण और कल्याण करने वाले महादेव की विश्व भर में करोड़ों भक्त हैं जो विभिन्न मंदिरों में उनकी पूजा करते हैं. आज के समय में महादेव के कई ऐसे मंदिर मौजूद हैं जो अपनी भव्यता और कई चमत्कार की वजह से लोगों के बीच प्रचलित है.पर हम आज एक ऐसे मंदिर की बात करने जा रहे हैं जहां महादेव से पहले लंकापति रावण की पूजा होती है. इतना ही नहीं इस मंदिर से जुड़ी कई ऐसी रोचक बातें हैं जो आपको पूरी तरह से हैरान कर सकती है. आज हम आपको भारत के एक ऐसे ही शिव मंदिर के बारे में बताएंगे जो अपने अनोखी और अद्भुत कारणों से लोगों के बीच प्रचलित है.
कमलनाथ महादेव मंदिर का परिचय
कमलनाथ महादेव का यह मंदिर राजस्थान के उदयपुर से लगभग 80 किलोमीटर दूर आवारगढ़ की पहाड़ियों पर स्थित है. कहा जाता है कि मंदिर का निर्माण किसी और ने नहीं बल्कि लंका पति रावण ने किया था. इसी स्थान पर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए रावण ने अपना सिर काटकर भगवान शिव को समर्पित करते हुए अग्निकुंड में डाल दिया था. तभी से ही रावण की इस भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने लंका पति रावण के नाभि में अमृत कुंड बना दिया था, जिस वजह से यहां पर रावण की पूजा किए बिना भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति को फल की प्राप्ति नहीं होती है. यह पहला ऐसा मंदिर है जहां पर भगवान शिव की पूजा करने से पहले रावण की पूजा की जाती है. यहीं पर लंका के राजा रावण ने अपना शीश भगवान शिव को अर्पित करते हुए अग्निकुंड में डाल दिया था. मंदिर तक पहुंचाने के लिए भक्तों को 2 किलोमीटर की पदयात्रा करनी पड़ती है. दरअसल पहाड़ी पर मंदिर तक जाने के लिए आप नीचे स्थित शनि महाराज के मंदिर तक तो अपना साधन लेकर जा सकते हैं पर आगे का 2 किलोमीटर का सफर पैदल ही पूरा करना पड़ता है. यहां वैशाख महीने में भव्य मेला भी लगता है.
मंदिर से जुड़ी कुछ रोचक बातें
1. जिस स्थान पर यह मंदिर है वहीं पर 1570 में महाराणा प्रताप ने होली जलाई थी और हर साल होली के अवसर पर पहाड़ी पर लोग एकत्र होकर होलिका दहन करते हैं.
2. इसी जगह पर भगवान राम ने अपने वनवास का कुछ समय बिताया था जिस दौरान महाराणा प्रताप से उनके मुलाकात हुई थी.
3. इस चमत्कारी मंदिर पर हर वर्ष वैशाख महीने में भक्तों की भिड़ रहती है, जहां पर भक्त महादेव को चूरमे का भोग लगाकर प्रसादी का आयोजन करते हैं.
4. मंदिर परिसर में एक कुंड बना हुआ है जहां पर जमीन के अंदर से पानी की एक धार निकलती है जो पूरे वर्ष बहती रहती है.