दुनिया भर में हनुमान जी की तमाम ऐसे मंदिर एवं मूर्तियां है जिसके बारे में अलग-अलग धारणाएं हैं. कई जगह पर ऐसी मूर्तियां भी विराजमान है, जो अपने अलौकिक सौंदर्य की वजह से लोगों के बीच हमेशा चर्चा में रहती है. उत्तर भारत के प्रसिद्ध मंदिरों में से यह मंदिर बहुत खास माना जाता है. आज हम हनुमान जी के एक ऐसे मंदिर की चर्चा करने जा रहे हैं जहां पर उनके जोड़े मूर्तियों की पूजा होती है. यहां पर पूजा करने के लिए दूर-दूर से भक्त पहुंचते हैं. सबसे खास बात तो यह है कि यहां का जो नैवेद्यम प्रसाद है, वह पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है.
बिहार के पटना रेलवे स्टेशन पास स्थित विश्व प्रसिद्ध हनुमान मंदिर का परिचय बिहार के पटना जंक्शन पर स्थित महावीर मंदिर कई कारणों से हमेशा चर्चा में रहता है. पटना रेलवे स्टेशन से निकलकर उत्तर दिशा की ओर यह स्थित है. प्रसिद्ध महावीर मंदिर पटना जंक्शन परिसर के बिल्कुल निकट बनाया गया है. पटना आने वाले कोई भी श्रद्धालु हनुमान जी के इस मंदिर में शीश झुकाना नही भूलते. इस मंदिर को 1730 ईसवी में स्वामी बालानंद जी ने स्थापित किया था. 1900 तक यह मंदिर रामानंद संप्रदाय के अधीन रहा था. उसके बाद 1948 तक इस पर गोसाईं सन्यासियों का कब्जा रहा. जब साल 1948 में पटना हाई कोर्ट ने इसे सार्वजनिक मंदिर घोषित कर दिया, उसके बाद 1983 से 1985 के बीच इसका निर्माण शुरू हुआ. इस मंदिर का मुख्य द्वार उत्तर दिशा की ओर है और मंदिर के गर्भगृह में भगवान हनुमान की मूर्तियां है. इस मंदिर में सभी देवी देवताओं की मूर्तियां स्थापित है. यह मंदिर बाकी हनुमान जी के मंदिर से काफी अलग माना जाता है. यहां पर बजरंगबली के युग्म मूर्तियां एक साथ है. एक मूर्ति अच्छे लोगों के कार्य पूर्ण करने वाली है और दूसरी मूर्ति बुरे लोगों की बुराई दूर करने वाली है. पटना का महावीर मंदिर उत्तर भारत का पहला मंदिर माना जाता है जहां तिरुपति बालाजी मंदिर के तर्ज पर नैवेद्यम प्रसाद की बिक्री की जाती है, जिसे तैयार करने में बेसन, चीनी, काजू, किशमिश, केसर,ईलायची और घी का प्रयोग किया जाता है. यह प्रसाद अपने आप में बहुत खास है. कहा जाता है कि इस मंदिर से मिलने वाले प्रसाद को खाने से हर तरह की बीमारी ठीक हो जाती है. कई लोगों ने तो यह भी दावा किया है कि यहां पर लड्डू खाने से कैंसर जैसी बीमारी भी उनकी ठीक हो गई है.
पटना हनुमान मंदिर से जुड़ी पांच विशेष बातें 1. यहां राम सेतु का पत्थर कांच के बर्तन में रखा हुआ है जिसका वजन 15 किलो है और यह पानी में तैरता रहता है.
2. यहां पर हनुमान जी को लड्डू का भोग लगाया जाता है जिसे नैवेद्यम कहते हैं.
3. मंदिर की दूसरी मंजिल पर रामायण के विभिन्न दृश्यों का चित्र प्रदर्शित किया गया है.
4. इस मंदिर में हर दिन करीब 25000 लड्डू की बिक्री होती है.
5. महावीर मंदिर ट्रस्ट के अनुसार इन लड्डुओं से जो पैसा आता है वह महावीर कैंसर संस्थान में उन मरीजों पर खर्च किया जाता है, जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं.