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आनंद के बाद अब प्रज्ञानानंद, एक बार फिर शतरंज की दुनिया में बज रहा भारत का डंका

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जब भी भारत में शतरंज जैसे खेल की चर्चा होती है तो पूर्व में नंबर एक खिलाड़ी रहे विश्वनाथन आनंद और हरिकृष्णा का जिक्र हमेशा होता है, जिन्होंने विश्व खिताब अपने नाम किया था. अब इसी राह पर एक और युवा प्रज्ञानानंद भी चल पड़े हैं, जिन्होंने एक के बाद एक उपलब्धियां हासिल करनी शुरू कर दी हैं. हाल ही में हुए वर्ल्ड कप चेस टूर्नामेंट के फाइनल में भले ही वह दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी कार्लसन से हार गए हो इसके बावजूद भी उनके नाम कई ऐसी उपलब्धियां दर्ज हुई है जो इस उम्र में शायद कोई सोच भी नहीं सकता है. आज हम आपको बताएंगे कि किस तरह इस खेल के प्रति उनकी रुचि जगी और उन्होंने इस मुकाम तक अपने आप को पहुंचाया.

युवा शतरंज खिलाड़ी प्रज्ञानानंद का परिचय
भारत के शतरंज के भविष्य माने जाने वाले प्रज्ञानानंद का जन्म 10 अगस्त 2005 को चेन्नई में हुआ. उनके पिता एक आईटी इंजीनियर हैं और उनके करियर को बढ़ाने में पिता का बहुत बड़ा योगदान है. प्रज्ञानानंद का पूरा नाम रमेश प्रभु प्रज्ञानानंद है जिन्होंने 5 साल की उम्र में ही शतरंज खेलना शुरू कर दिया था. उनकी यह सबसे बड़ी उपलब्धि है कि 8 साल की उम्र में उन्होंने भारत के राष्ट्रीय शतरंज चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता था. उन्होंने चेन्नई के सेंट जॉन्स स्कूल से अपने स्कूली शिक्षा पूरी की और फिलहाल वह चेन्नई के इंस्टिट्यूट ऑफ़ इनफर्मेशन टेक्नोलॉजी में कंप्यूटर विज्ञान में स्नातक की पढ़ाई कर रहे हैं. शतरंज के चैंपियन बनने से पहले वह अपने पिता श्री सीआर नंदा से प्रेरित हुए थे जो की एक शौकिया शतरंज खिलाड़ी थे. इसके बाद प्रज्ञानंद जल्द ही एक प्रतिभाशाली खिलाड़ी साबित हुए और उन्होंने 2010 में अपनी पहली अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में जीत हासिल की थी. इसके बाद 2013 में इंटरनेशनल मास्टर का खिताब और 2018 में ग्रैंड मास्टर का खिताब जीता. इतना ही नहीं 2022 में सीधे विश्व चैंपियनशिप भी जीती और विश्व के नए शतरंज चैंपियन बन गए.
दुनिया के नंबर तीन खिलाड़ी को हराने के बाद उनका मुकाबला नंबर एक मैगनस कार्लसल से हुआ, जिसे उन्होंने बेहद ही कड़ी चुनौती दी. दो मुकाबला टाई ब्रेक करने के बाद तीसरे मुकाबले में वह हार गए और कार्लसन एक बार फिर से वर्ल्ड चैंपियन बन गया. इतना ही नहीं के लीजेंड विश्वनाथन आनंद के बाद टूर्नामेंट का फाइनल खेलने वाले प्रज्ञानानंद दूसरे भारतीय खिलाड़ी बन गए हैं जिनके लिए यह उपलब्धि बहुत बड़ी मानी जा रही है.

प्रज्ञानानंद के जीवन से जुड़ी पांच रोचक बातें
1. 5 साल की उम्र में प्रज्ञानानंद ने शतरंज खेलना शुरू कर दिया था.

2. जब वह 10 साल 10 महीने और 19 दिन के थे, उसी उम्र में प्रज्ञानानंद इतिहास के सबसे कम उम्र के अंतरराष्ट्रीय मास्टर बने.

3. ग्रैंड मास्टर का खिताब हासिल करने वाले प्रज्ञानानंद पांचवें सबसे कम उम्र के व्यक्ति हैं.

4. नवंबर 2022 में प्रज्ञानानंद को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

5. प्रज्ञानानंद की एक बहन वैशाली भी है जो उन्ही की तरह शतरंज की खिलाड़ी है.

अपने परिवार संग प्रज्ञानानंद.

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