Connect with us

उत्तराखंड का एक ऐसा मंदिर जहां सिर्फ रक्षाबंधन के दिन ही खुलता है कपाट, रोचक है उसकी कहानी

ओ तेरी..

उत्तराखंड का एक ऐसा मंदिर जहां सिर्फ रक्षाबंधन के दिन ही खुलता है कपाट, रोचक है उसकी कहानी

रक्षाबंधन भाई और बहन के प्रेम का एक अटूट रिश्ता होता है, जिस दिन बहन अपने भाई के कलाई पर राखी बांधकर उससे रक्षा का वचन लेती है. इसी तरह हमारे सनातन धर्म में एक ऐसे मंदिर की चर्चा अक्सर होती है जिसका इतिहास रक्षाबंधन से जुड़ा हुआ है. इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यह पूरे साल में मात्र केवल एक दिन रक्षाबंधन के शुभ अवसर पर खोला जाता है, बाकी पूरे 364 दिन इस मंदिर के कपाट बंद रहते हैं. इस प्राचीन मंदिर का बेहद ही रोचक इतिहास है जिस वजह से यह मंदिर और भी खास हो जाता है. आज हम आपको बताएंगे कि इस अनोखे मंदिर का परिचय क्या है और आखिर इसमें किस भगवान की पूजा होती है. यहां पूजा करने का क्या विशेष महत्व है.

बंसीनारायण मंदिर का परिचय
उत्तराखंड में कई ऐसे मंदिर है जो अपने रहस्यों की वजह से पूरी दुनिया में पहचाने जाते हैं. इसी तरह देवभूमि उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित बंसी नारायण एक मंदिर है.इस मंदिर को छठी सदी में राजा यशोधवल के समय में बनाया गया था. इस मंदिर में आने के बाद यहां पर पहले बंसी नारायण की पूजा की जाती है. उसके बाद ही बहन अपने भाई को कलाई पर राखी बांधती है. यह मंदिर भगवान श्री हरि अर्थात नारायण को समर्पित है जहां पर उनकी पूजा की जाती है. यहां पर भगवान विष्णु चतुर्भुज रूप में विराजमान है. कहा जाता है कि रक्षाबंधन के दिन बंसी नारायण मंदिर में जो भी बहने अपने भाई को राखी बाधंती है, उन्हें सुख संपत्ति और सफलता का आशीर्वाद मिलता है. साथ ही उनके भाइयों पर कोई कष्ट नहीं आता. ऐसी पौराणिक कथा है कि भगवान विष्णु अपने वामन अवतार से मुक्त होने के बाद सबसे पहले यहीं पर प्रकट हुए थे और उसके बाद से ही यहां भगवान नारायण की पूजा की जाती है. जब भगवान विष्णु वामन अवतार से मुक्त होने के बाद यहां प्रकट हुए थे, इसके बाद से ही यहां देव ऋषि नारद भगवान नारायण की पूजा करते थे. वह 364 दिन उनकी पूजा करते थे और केवल एक दिन बाकी भक्तों को पूजा करने का अवसर मिलता है.

मंदिर से जुड़ी कुछ रोचक बातें
1. यह उत्तराखंड का एकमात्र ऐसा मंदिर है जो साल में रक्षाबंधन के दिन सूर्य उदय से लेकर सूर्यास्त तक खुलता है.

2. इस मंदिर में 10 फुट के भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा मौजूद है जिनकी पूजा राजपूत करते हैं.

3. मंदिर के पास में ही एक गुफा मौजूद है जिसे भालू गुफा कहा जाता है. इस गुफा में भगवान के भोग के लिए प्रसाद बनाया जाता है.

4. बंसी नारायण मंदिर की बनावट कत्यूरी शैली पर आधारित है.

5. यहां के बागबान में कई दुर्लभ वर्षों वृक्ष के फूल खिलते हैं जो कहीं और नहीं पाए जाते.

6. मंदिर में ठाकुर जाति के पुजारी होते हैं जहां श्रावण पूर्णिमा पर भगवान नारायण का यहां पर श्रृंगार होता है.

रक्षाबंधन के दिन बंसीनारायण मंदिर में लगा भाई बहनों का तांता.

आगे पढ़ें
You may also like...

journalist

More in ओ तेरी..

To Top