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भद्रा काल में राखी ना बांधने के पीछे है यह कारण, रक्षाबंधन को लेकर 30 और 31 तारीख में असमंजस

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भद्रा काल में राखी ना बांधने के पीछे है यह कारण, रक्षाबंधन को लेकर 30 और 31 तारीख में असमंजस

इस बार की रक्षाबंधन को लेकर काफी असमंजस चल रहा है. कुछ लोगों का कहना है कि राखी 30 अगस्त को है. वहीं कुछ लोग इसे 31 को बता रहे हैं, पर इस बार के रक्षाबंधन पर भद्रा काल का साया है, जिस समय राखी बांधना बेहद ही अशुभ माना जाता है. आज हम आपको बताएंगे भाई- बहन के अटूट प्रेम और विश्वास के त्योहार रक्षाबंधन की परंपरा कब से चली आ रही है और सबसे पहले किसने किनको राखी बांधा था.आखिर भद्रा काल में राखी क्यों नहीं बांधते है. भद्राकाल से रावण का भी संबंध है जी कहानी को आज हम आपको बताएंगे.साथ ही साथ इस बार का रक्षाबंधन किस दिन मानना और कितने समय में मनाना शुभ होगा.

भाई और बहन के बीच प्रेम का त्योहार रक्षाबंधन के मानने के पीछे की आध्यात्मिक कहानी
भाई- बहन का पावन त्योहार माने जाने वाला रक्षाबंधन बेहद ही खास होता है जिस दिन बहन अपने भाई के कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर उससे रक्षा का वचन लेती है और उसकी लंबी उम्र की कामना करती है. भाई पूरी जिंदगी अपनी बहन की रक्षा करने का वचन देते हैं, पर क्या आप जानते हैं कि राखी बांधने की परंपरा कब से शुरू हुई और इसे सबसे पहली बार किसने मनाया था. जब भगवान विष्णु ने राजा बलि को हराकर तीनों लोकों पर अधिकार कर लिया तो बलि ने भगवान विष्णु से उनके महल में रहने का आग्रह किया और वह उसके आग्रह को मान गए. हालांकि भगवान विष्णु की पत्नी लक्ष्मी को भगवान विष्णु और बलि की मित्रता अच्छी नहीं लग रही थी. उन्होंने भगवान विष्णु के साथ बैकुंठ जाने का निश्चय किया. इसके बाद मां लक्ष्मी ने बलि को रक्षा धागा बांधकर भाई बना लिया. इस पर बलि ने लक्ष्मी से मनचाहा उपहार मांगने के लिए कहा. इसके बाद मां लक्ष्मी ने राजा बलि से कहा कि वह भगवान विष्णु को इस वचन से मुक्त करें कि भगवान विष्णु उसके महल में रहेंगे और बलि ने यह बात मान ली. साथ ही मां लक्ष्मी को अपनी बहन के रूप में स्वीकार किया. इसके बाद से ही यह परंपरा चली आ रही है.

भद्रा काल क्या होता है, भद्रा काल में क्यों नहीं बांधी जाती राखी
दरअसल भद्रा सूर्य देव की पुत्री और शनि देव की बहन है. इन्हें पंचांग के काल गणना में विशेष स्थान दिया गया है, क्योंकि यह बहुत ही कठोर और उथल-पुथल करने वाला काल माना जाता है. कहा जाता है कि रावण की बहन शुपर्णनेखा ने रावण को भद्रा काल में ही राखी बांधी थी जिसकी वजह से रावण समेत उसके पूरे कूल का नाश हो गया था. इसलिए ऐसे वक्त में कभी भी राखी नहीं बांधी जाती है.

30 और 31 अगस्त में क्यों है असमंजस, किस दिन राखी मनाना ज्यादा उत्तम
दरअसल इस बार 30 और 31 अगस्त को लेकर काफी चर्चा चल रही है, लेकिन लोगों को स्पष्ट नहीं पता चल पा रहा है कि आखिर राखी का त्योहार किस दिन मानना सही है तो आपको बता दे की सावन पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 30 अगस्त को सुबह 10:58 से होकर अगले दिन 31 अगस्त को 7:07 तक रहेगी. अगस्त को पूर्णिमा के साथ ही भद्रा भी लग रही है, जो 9:01 तक रहेगी. इस दौरान राखी का त्योहार मनाना सही नहीं है. आप चाहे तो 30 अगस्त को रात्रि 9:01 के बाद राखी बांध सकते हैं. 31 अगस्त को सूर्योदय के समय पूर्णिमा तिथि होने की वजह से आप पूरे दिन रक्षाबंधन मना सकते हैं परंतु मेप्रातः 7:07 तक रक्षाबंधन मानना सबसे उत्तम माना गया है. अगर किसी कारणवश आपको यह समय कम लग रहा है तो आप सबसे पहले ठाकुर जी को तिलक करके राखी अर्पित कर दे, उसके बाद उसी थाली से भाइयों को तिलक करके 31 को पूरे रखी बांध सकती हैं.

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