ओ तेरी..
शरीर के लिए अत्यंत फायदेमंद है श्री अन्न, भारत सरकार ने 2023 किया इसके नाम
आज के समय में कई ऐसे सुपर फूड हैं जो हमारी सेहत के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है, जिसका सेवन भी हम करते हैं, पर कभी-कभी हम उन चीजों से अनजान होते हैं जो हमारी सेहत को न केवल फायदा पहुंचता है बल्कि किसानों को भी यह काफी मदद करता है. इसमें सबसे बड़ा नाम श्री अन्न का आता है. इसका सेवन करने से हमें कई तरह के स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं. साथ ही साथ किसान भाइयों को भी यह काफी रूप से प्रोत्साहित करता है. आज हम आपको बताएंगे कि हमारे देश में किस तरह इसकी चर्चा तेजी से चल रही है और सरकार किसानों को प्रोत्साहन देने के लिए किस तरह का कदम उठा रही है, ताकि उस क्षेत्र में वह आगे बढ़े.
कौन-कौन से अनाज है जिन्हें श्री अन्न कहा जाता है : मोटे अनाज को श्री अन्न कहते हैं. श्री अन्न में ज्वार, बाजरा, रागी, चना, कंगनी, कोदो, कुटकी और कुट्टू जैसे सुपर फूड शामिल है. दरअसल यह पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं जिसमें बीटा कैरोटीन, विटामिन B6, फोलिक एसिड, पोटैशियम, मैग्निशियम, जस्ता होते हैं जिससे हमारा पाचन दुरुस्त होता है और कब्ज की समस्या कभी नहीं होती है. इसके अलावा यह हमारी हड्डियों को भी काफी मजबूती देता है. इसमें वसा की मात्रा काफी कम होती है जिससे हृदय रोगी और डायबिटीज रोगियों के लिए यह काफी रामबाण साबित होता है. दरअसल एक मोटे अनाज का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक देश होने के नाते भारत में किसानों को आने वाले समय में मोटे अनाज को प्रोत्साहन दिलाने हेतु केंद्र सरकार द्वारा एक नई योजना शुरू की है जिसका नाम श्री अन्न योजना है. इसके लिए सरकार द्वारा किसानों को आर्थिक सहायता दी जाएगी ताकि इसके उत्पादन को बढ़ाया जा सके.
भारत सरकार 2023 में क्यों मना रही है अंतर्राष्ट्रीय श्री अन्न वर्ष : मोटा अनाज के बारे में जागरूकता बढ़ाने, इस क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास और विस्तार के लिए निवेश बढ़ाना और उत्पादन,उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार के लिए हितधारकों को प्रेरित करने के लिए 2023 में भारत सरकार द्वारा श्री अन्न वर्ष मनाया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में ग्लोबल मिलेट यानी कि श्री अन्न सम्मेलन का उद्घाटन किया जिस दौरान उन्होंने एक डाक टिकट और सिक्का भी जारी किया. उन्होंने इस दौरान बताया कि मुझे गर्व है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार वर्ष का नेतृत्व भारत कर रहा है. जलवायु लचीला होना मिलेट्स की ताकत है. बहुत प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों में भी मिलेट्स का आसानी से उत्पादन हो जाता है. इसकी पैदावार में अपेक्षाकृत पानी भी कम लगता है, जिससे पानी के संकट वाली जगह के लिए यह पसंदीदा फसल बन जाती है. भारत सरकार का अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष 2023 को किसानों उपभोक्ताओं की समग्र लाभ और जलवायु के लिए एक जन आंदोलन बनाना है.