Connect with us

पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर जाकर सूर्य की जानकारी देगा आदित्य L1, इसरो ने रखे हैं यह लक्ष्य

ओ तेरी..

पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर जाकर सूर्य की जानकारी देगा आदित्य L1, इसरो ने रखे हैं यह लक्ष्य

इस वक्त भारत चंद्रयान-3 के सफल लैंडिंग के बाद एक और ऐतिहासिक कदम बढ़ा चुका है जहां अब पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर जाकर आदित्य एल 1 सूर्य से जुड़ी सारी जानकारी को साझा करेगा. यह भारत का पहला अंतरिक्ष अभियान होगा, जो सूर्य के अध्ययन के लिए भेजा जाएगा. सूर्य और पृथ्वी के बीच एक खास पॉइंट स्थापित किया जाएगा, जिससे वह सूर्य पर लगातार नजर जमाए रख पाएगा. इस खास पॉइंट का नाम L1 रखा गया है. आज हम आपको इसरो के इस खास मिशन के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके तहत इसरो एक बहुत बड़ी उपलब्धि दर्ज करने जा रहा है. साथ ही साथ इस मिशन के पीछे इसरो का क्या उद्देश्य है, इस बारे में भी हम चर्चा करेंगे.

भारत के स्पेस एजेंसी इसरो की महत्वाकांक्षी योजना आदित्य मिशन L1 क्या है
आदित्य एल 1 मिशन अंतरिक्ष में मौजूद भारत की पहली ऑब्जर्वेटरी बनने जा रही है, जो अंतरिक्ष में भारत की आंख बनने जा रहा है. इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य पृथ्वी की कक्षा में परिक्रमा करने वाले उपग्रह की रक्षा में मदद करना है. वही सूर्य की कोरोनल हीटिंग और सौर हवा त्वरण को समझना, सौर वायुमंडल की गतिशीलता, सौर हवा वितरण और तापमान के साथ-साथ पृथ्वी अंतरिक्ष मौसम की शुरुआत को समझने के लिए इसे तैयार किया गया है. श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से इसकी लांचिंग 2 सितंबर 2023 यानी आज 11:50 बजे की जाएगी. इस यात्रा के दौरान आदित्य एल1 15 लाख किलोमीटर की यात्रा करेगा. वह सूरत से 14 करोड़ 85 लाख किलोमीटर दूर धरती के करीब रहेगा, जबकि 15 लाख किलोमीटर की दूरी चांद की दूरी से करीब चार गुना ज्यादा है. लॉन्चिंग के लिए पीएसएलवी- xl रॉकेट इस्तेमाल किया जा रहा है. इसरो सूर्य पर यह मिशन लॉन्च करके सोलर अपर एटमॉस्फेरिक डायनेमिक को स्टडी करेगा, ताकि सूर्य का तापमान, पैराबैंगनी किरणे, धरती पर ओजोन परत पर पड़ने वाले प्रभाव को और अंतरिक्ष में मौसम की गतिशीलता का अध्ययन किया जाएगा.

सूर्य से इतने करीब आकर सूर्य की गर्मी को कैसे बर्दाश्त करेगा आदित्य यान
एल 1 यानी की लैरेंज पॉइंट वन. हमारे तारे यानी कि सूरज की अपनी ग्रेविटी है. वही धरती की अपनी ग्रेविटी है. अंतरिक्ष में जहां पर इन दोनों की ग्रेविटी आपस में टकराती है. वहां से सूरज की ग्रेविटी का असर शुरू होता है. इसी बीच के पॉइंट को लैरेंज पॉइंट कहा जाता है. धरती और सूरज के बीच ऐसे पांच पॉइंट चिन्हित किए गए हैं. भारत का सूर्य यान लैरेंज पॉइंट यानी की L1 पर तैनात होगा.
सूरज की गर्मी इतनी होती है कि किसी भी स्पेसक्राफ्ट का वहां जाना संभव नहीं है जो उसकी गर्मी बर्दाश्त कर सके. हालांकि आदित्य एल1 सूरज से इतनी दूर तैनात होगा कि उसे गर्मी लगेगी लेकिन इससे कोई फर्क ना पड़े, ना ही वह खराब हो, इसके लिए इसे विशेष तौर पर तैयार किया गया है. इस यात्रा में करीब 127 दिनों का वक्त लगेगा, जहां पूरी तरह से हर एक छोटे से बड़े पहलुओं पर ध्यान दी जा रही है.

आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर कार्यालय की एक तस्वीर.

आगे पढ़ें
You may also like...

journalist

More in ओ तेरी..

To Top