धर्म- कर्म
भारत का एक ऐसा मंदिर जो शनिदेव के कृष्ण भक्ति की याद दिलाता है, दर्शन मात्र से दूर होते हैं शनिदोष
मथुरा को भगवान श्री कृष्ण की नगरी कहा जाता है, जहां पर उनके कई ऐसे मंदिर है जहां जाने पर आपको भगवान श्री कृष्ण के जीवन से जुड़ी कई बातों का पता लगता है. साथ ही साथ यहां पर पूजा करने के लिए भक्त दुनिया के कोने-कोने से भी आते हैं पर आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो शनि देव के कृष्ण भक्ति की याद दिलाता है. यहां पर दर्शन करने से भगवान शनि के साथ-साथ श्री कृष्ण का भी आशीर्वाद मिलता है. यहां पर दर्शन मात्र से ही शनि दोष दूर होता है. यहां पर एक बेहद ही रोचक कहानी के बाद इस मंदिर की स्थापना हुई थी.
*कोकिलावन धाम का परिचय*
यह तीर्थ स्थल मथुरा शहर के नंद गांव में स्थित है जो शनि देव का सबसे प्राचीन मंदिर माना जाता है. यह मंदिर घने जंगलों के बीच है. कोकिला धाम में श्री शनि देव मंदिर, श्री गोकुलेश्वर महादेव मंदिर, श्री गिरिराज मंदिर, श्री बाबा बनखंडी मंदिर, श्री देव बिहारी मंदिर प्रमुख है. मंदिरों के अलावा यहां पर पुराने दो सरोवर और गोऊ शाष्ठा भी स्थित है. यह मंदिर काफी लोकप्रिय है जो शनि देव और उनके गुरु बरखंडी बाबा का बहुत ही प्राचीन मंदिर माना जाता है. पूरे भारत की श्रद्धालु यहां पूजा करने के लिए आते हैं. यहां आकर ओम शनिक्ष्चराय नमः और जय शनि देव का उच्चारण करते हुए परिक्रमा लगाने से भक्तों को शनि देव का आशीर्वाद मिलता है.
*द्वापर युग में शनि देव के कृष्ण भक्ति की कहानी और कैसे हुई मंदिर की स्थापना*
द्वापर युग में शनि देव ने भगवान श्री कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए कड़ी तपस्या की थी और उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर श्री कृष्ण ने कोयल के रूप में दर्शन दिए थे और कहा था कि नंद गांव से सटा कोकिलावन उनका वन है जो व्यक्ति शनि देव की पूजा और इस वन की परिक्रमा करेगा, उसे मेरी और शनि देव दोनों की कृपा प्राप्त होगी. यही वजह है कि शनि देव के इस मंदिर को सिद्ध मंदिर का दर्जा प्राप्त है.
*इस मंदिर से जुड़ी कुछ रोचक बातें*
1. ऐसी मान्यता है कि साडेसाती को झेल रहा व्यक्ति यदि 7 शनिवार को यहां आकर शनि देव पर सरसों का तेल चढ़ाता है तो उसपर शनि देव का प्रकोप खत्म हो जाता है.
2. यहां पर एक सूर्य कुंड है. परिक्रमा पूरी होने के बाद पवित्र सूर्यकुंड में स्नान करके शनि महाराज के दर्शन करने का विशेष महत्व है.