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महादेव का एक ऐसा रहस्यमय मंदिर जिसकी सीढ़ियों से आती है सरगम की आवाज

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भारत में महादेव के कई ऐसे मंदिर हैं जो अपने अलग- अलग चमत्कार की वजह से पहचाने जाते हैं, पर आज हम आपको महादेव के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां की वास्तुकला के साथ-साथ इसकी सीढीयो से सरगम की आवाज भी सुनाई देती है. मंदिर के एंट्री वाले द्वार पर एक पत्थर की सीढ़ी बनी हुई है, जिसके हर कदम पर अलग-अलग ध्वनि निकलती है. आप यहां पर संगीत के सातों सुर का अनुभव कर सकते हैं. इसके लिए आपको लकड़ी या पत्थर से ऊपर से लेकर नीचे तक रगड़ना पड़ेगा. किसी चीज के टकराने से सीढी़ से संगीत के स्वर निकलते हैं. आप सीढी़ पर चलेंगे तब भी आपको यह धुन सुनाई देगा. आज हम आपको बताएंगे कि आखिर भगवान शिव के इस मंदिर की खास बात क्या है और यहां पर पूजा करने का विशेष महत्व क्या है.

ऐरावतेश्वर महादेव मंदिर का परिचय*
दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य के कुंभकोणम के पास तीन किलोमीटर दूरी पर यह मंदिर स्थित है. यह मंदिर यूनेस्को द्वारा वैश्विक धरोहर घोषित है. मंदिर की हर एक चीज इतनी खूबसूरत और आकर्षक है कि इसे देखने के लिए वक्त के साथ-साथ समझ भी होनी चाहिए. मंदिर के स्तंभ 80 फीट ऊंचे हैं. सामने के मंडपम का दक्षिण भाग पत्थर के बड़ी पहियों वाले विशाल रथ के रूप में है जिसे घोड़े खींच रहे हैं. कहा जाता है कि 12वीं शताब्दी में राजा राज चोल द्वितीय ने इस मंदिर को बनावाया था जो भगवान शिव को समर्पित है. इस मंदिर में भगवान शिव को एरावतेश्वर के नाम से पूजा जाता है क्योंकि ऐसा मानते हैं कि यहां इंद्रदेव के सफेद हाथी रावत ने महादेव की पूजा की थी. हाथी के नाम पर ही इस मंदिर का नाम ऐरावतेश्वर रखा गया है.
मंदिर को द्रविड़ शैली में बनाया गया है जिसमें आपको रथ की संरचना दिख जाएगी. साथ ही साथ इंद्र, अग्नि, वरुण, वायु, ब्रह्मा, सूर्य, विष्णु, सप्तमत्रिक, दुर्गा, सरस्वती, लक्ष्मी, गंगा, जमुना जैसे भगवान यहां शामिल है. इसके साथ ही साथ यह मंदिर कला और वास्तुकला से घिरा हुआ है जहां आपको शानदार पत्थर की नक्काशी देखने को मिल जाएगी.

इस मंदिर से जुड़ी कुछ रहस्यमई बातें*
1. कहा जाता है कि मृत्यु के राजा यम ने इसी स्थान पर भगवान शिव की पूजा की थी. यम किसी ऋषि के श्राप के कारण पूरे शरीर की जलन से पीड़ित है और उन्होंने यहीं पर तालाब में स्नान किया था.

2. इस मंदिर में एक पानी का टैंक है. इस टैंक से एक चैनल जुड़ा हुआ है जो कावेरी नदी का पानी लाता है. यहां हिंदू डुबकी लगाने के लिए हर साल इकट्ठा होते हैं.

3. भगवान इंद्र के सफेद हाथी एरावत को श्राप मिला था लेकिन मंदिर के कुंड में स्नान करने से वह श्राप मुक्त हो गया था.

4. मुख्य मंदिर के पास ही एक सुसज्जित मंदिर है जो पार्वती को समर्पित है. इसे देवनायकी अम्मान मंदिर कहा जाता है.

यह दुर्लभ नक्काशी इसी मंदिर में चोला साम्राज्य के वक्त बनाई गई थी.

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