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असम में कांग्रेस के 19 साल पुराने कद्दावर नेता को भाजपा ने बना दिया मुख्यमंत्री, वजह जान चौंक जाएंगे आप

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एक ऐसे नेता जिनकी मिसाल विपक्ष भी पेश करता है, जिन्होंने भारत के राजनीति में कई ऐसे अहम योगदान दिए जिन्हें सालों साल तक याद किया जाएगा. असम की सियासत का एक ऐसा चेहरा जो हमेशा चर्चा में रहा. कभी अपने बेबाक बयान से तो कभी विवादों को हवा देने वाले बयानों से, पर इस बीच उनकी राजनीति में एक ऐसा उलट फेर आया जिसके बारे में शायद उन्होंने भी उम्मीद नहीं की थी. 19 साल तक कांग्रेस के साथ रहने वाले हेमंत विश्व शर्मा को जब पार्टी ने ऐसी स्थिति में धोखा दिया जब वह मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहे थे तो उन्होंने भी पार्टी का दामन छोड़ दिया और उसके बाद भाजपा के साथ चले आए. यहीं से उनकी नई तकदीर शुरू हो गई. भाजपा में आते ही वह सीधे मुख्यमंत्री बन गए. आज हम आपको बताएंगे कि किस तरह हेमंता विश्वा शर्मा ने भारतीय राजनीति में कदम रखा और अपने बहुमूल्य योगदान से आज यह उपलब्धि हासिल की है.

हेमंता विश्वा शर्मा का परिचय
हेमंता विश्व शर्मा को असम के राजनीति का एक दिव्य चेहरा माना जाता था और लोग उन्हें नॉर्थ ईस्ट और असम पॉलिटिक्स के चाणक्य के रूप में भी जानते हैं. हेमंता विश्वा शर्मा का जन्म 1 फरवरी 1969 को जोरहाट में हुआ था.  उन्होंने अपने स्कूली शिक्षा अकैडमी स्कूल से पूरी की. इसके बाद उन्होंने कॉटन कॉलेज गुवाहाटी में दाखिला लिया. 1990 में उन्होंने अपना ग्रेजुएशन और 1992 में अपना पोस्ट ग्रेजुएशन पूरा किया. हमेशा अपनी बेबाकी अंदाज की वजह से पहचाने जाते हैं. उन्होंने छात्र जीवन में ही राजनीति का ककहरा सीख लिया था. साल 1991 से 92 में गुवाहाटी के कॉटन कॉलेज यूनियन समिति के जनरल सेक्रेटरी रहे थे. 2001 में विधानसभा चुनाव में असम की झालकुबरी सीट से पहली बार चुनाव मैदान में उतरे और जीते. 2006 से 2011 के विधानसभा चुनाव में भी झालकुबरी से जीते और तरुण गोगोई के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री बने. साल 2001 में पहली बार विधायक बनने से लेकर 2016 तक चार बार विधायक रहे. साल 2011 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की बड़ी जीत के पीछे हेमंता की बहुत बड़ी भूमिका थी.

हेमंता शर्मा का कांग्रेस से बगावत और भाजपा में मुख्यमंत्री बनना
2014 में हेमंत की तरुण गोगोई से अनबन तब  शुरू हुई जब तरुण ने असम कांग्रेस में अपने बेटे का कद बढ़ाना शुरू कर कर दिया. तरुण के बाद हेमंता खुद को मुख्यमंत्री का उम्मीदवार मान रहे थे परंतु कांग्रेस आलाकमान ने भी उन्हें निराश किया. जिसके बाद धीरे-धीरे उनका कांग्रेस से मोह भंग हो गया और 30 अगस्त 2015 को अमित शाह के घर जाकर उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया. 2016 में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद  बीजेपी ने अकेले अपने दम पर 60 विधानसभा सिट जीती और कांग्रेस पार्टी 26 सीटों पर समेट दिया. भाजपा के इस जीत में हेमंता का बहुत बड़ा हाथ था. बीजेपी का हाथ थामने के बाद हेमंता विश्वा शर्मा ने विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के रोमेन चंद्र बोर ठाकुर को 11911 मतों के अंतर से हराकर जालकुबरी सीट पर कब्जा किया था. चुनाव में जबरदस्त जीत हासिल करने के बाद पार्टी ने हेमंता विश्वा शर्मा को राज्य की कमान सौपने का फैसला लिया. आज हेमंता भारतीय जनता पार्टी के फायर ब्रांड नेता हैं.

अपने परिवार संग हेमंता विश्वा शर्मा.

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