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पूरी दुनिया को एक विश्वविद्यालय मानते थे राधाकृष्णन, भारत मना रहा है 135 वां जन्म जयंती

किस्सा- कहानी

पूरी दुनिया को एक विश्वविद्यालय मानते थे राधाकृष्णन, भारत मना रहा है 135 वां जन्म जयंती

प्रत्येक वर्ष जब 5 सितंबर का दिन आता है, तो हम इस दिन डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन को याद करते हैं. यह दिन उन्ही को समर्पित होता है, जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में कई ऐसे बहुमूल्य योगदान दिया, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता है. एक शिक्षक के तौर पर अपने करियर की शुरुआत करने वाले राधा कृष्णन को यह पता था कि शिक्षा का किसी के जीवन में कितना महत्व हो सकता है. वह एक महान दार्शनिक थे लेकिन इसके बावजूद उन्होंने जीवन को बहुत करीब से देखा था. आज हम आपको डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जीवन से जुड़ी कई ऐसी बातें बताएंगे जिनकी 135वीं जयंती मनाई जा रही है. आखिर 5 सितंबर को उनके जन्मदिवस पर शिक्षक दिवस मनाने की परंपरा क्यों और कब से शुरू हुई.

डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जीवन परिचय
आजाद भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति के साथ-साथ महान शिक्षाविद डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु के एक छोटे से गांव तिरूमनी में ब्राह्मण परिवार में हुआ था. बचपन से उन्हें काफी कम सुख सुविधा मिली. इसके बावजूद भी उनके कौशल में कोई कमी नहीं थी. उन्होंने तिरूमानी गांव से ही अपनी शिक्षा प्राप्त की, जिसके बाद आगे की शिक्षा के लिए ईसाई मिशनरी संस्था लूथर्न मिशन स्कूल में गए. मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज, मद्रास से उन्होंने अपने आगे की शिक्षा पूरी की और फिर 1906 में दर्शनशास्त्र से एमए किया. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में जाकर वहां के बच्चों को भी पढ़ाया. इसके बाद वह मद्रास प्रेसीडेंसी कॉलेज के वाइस चांसलर और बनारस यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर भी रह चुके हैं.
जब देश आजाद हुआ था, उस समय जवाहरलाल नेहरू ने राधा कृष्णन जी से आग्रह किया था कि वह सोवियत संघ के साथ मित्रता की नियुक्ति में राजदूत बने और उन्होंने नेहरू जी की बात स्वीकार कर ली. 13 मई 1952 से 13 मई 1962 तक भारत के उपराष्ट्रपति रहे और भारतीय राजनीति में उस वक्त जितने भी लोग थे, तब डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन से बहुत प्रभावित थे. आखिरकार वह दिन आया जब 1962 में उन्हें भारत का दूसरा राष्ट्रपति नियुक्त किया गया. डॉ राधाकृष्णन को ब्रिटिश शासन काल में सर की उपाधि भी दी गई थी. इसके अलावा 1961 में इन्हें जर्मनी के पुस्तक प्रकाशन द्वारा विश्व शांति पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है. उन्होंने 1962 में भारत के सर्वोच्च राष्ट्रपति पद को सुशोभित किया.

सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन पर क्यों मनाया जाता है शिक्षक दिवस
डॉक्टर राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर के दिन हुआ था, इसलिए उनकी याद में आज का दिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता था. कहा जाता है कि आज के दिन ही कुछ स्टूडेंट उनके पास आए और उनसे उनका जन्मदिन मनाने का आग्रह किया. इस पर उन्होंने कहा कि अगर मेरा जन्मदिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए तो मुझे ज्यादा खुशी होगी, तभी से यह चला रहा है. आज 100 से अधिक देशों में 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि यूनेस्को ने आधिकारिक रूप से 1994 में शिक्षक दिवस मनाने के लिए 5 सितंबर के दिन को चुना था.

राष्ट्रपति पद का शपथ लेते डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन.

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