भगवान श्री कृष्ण के कई ऐसे मंदिर हैं जो उनके जीवन लीला को दर्शाते हैं और कृष्ण से जुड़ी कई कहानियों को बताते हैं. पर आज हम आपको श्री कृष्ण के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां पर श्री कृष्ण स्नान के बाद वस्त्र बदलने आते हैं, जिसका बेहद ही अनोखा रहस्य है. कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण भगवान श्री कृष्ण के वंशज उनके पर- पोते वज्रभ नाथ ने करवाया था. आज हम आपको श्री कृष्ण के इस मंदिर से जुड़ी कई रोचक बात बताएंगे कि आखिर किस तरह इस मंदिर का निर्माण हुआ और इसके इतिहास में चार धाम का महत्व क्या है.
द्वारकाधीश मंदिर का परिचय द्वारकाधीश मंदिर गुजरात के जामनगर जिले में गोमती नदी के तट पर द्वारका शहर में स्थित है. भगवान विष्णु या उनके अवतार भगवान कृष्ण को समर्पित द्वारकाधीश मंदिर चार धाम रामेश्वरम, बद्रीनाथ, द्वारका और जगन्नाथ पुरी में से एक एवं मोक्षदायिनी सप्तपुरियों में से भी एक है. इस मंदिर की बाहरी दीवारों पर कृष्ण की जीवन लीलाओं का चित्रण किया गया है. यह मंदिर पांच मंजिला है, जो 72 खंबो पर स्थापित है. इसका शिखर 78.3 मीटर ऊंचा है और शिखर पर करीब 84 फुट लंबी धर्म ध्वजा फहराती रहती है, जिस पर सूर्य और चंद्रमा बने हुए हैं. यहां मंदिर में गर्भ गृह में चांदी के सिंहासन पर भगवान श्री कृष्ण की श्यमावर्णी चतुर्भुजी प्रतिमा विराजमान है. कहा जाता है कि श्री कृष्णा प्रतिदिन उत्तराखंड के चमोली में स्थित बद्रीनाथ धाम में सरोवर में स्नान करते हैं जिसके बाद श्री कृष्णा गुजरात के समुद्र तट पर स्थित द्वारका धाम में अपने वस्त्र बदलते हैं. द्वारिका में वस्त्र बदलने के बाद प्रभु श्री कृष्ण उड़ीसा की पूरी स्थित जगन्नाथ धाम में भोजन करते हैं. जगन्नाथ में भोजन करने के बाद वह तमिलनाडु के रामेश्वरम धाम में विश्राम करते हैं जिसके बाद वह भगवान पूरी में निवास करते हैं.
द्वारकाधीश मंदिर की कुछ खास बातें 1. द्वारकाधीश मंदिर से लगभग 2 किलोमीटर दूर एकांत में रुक्मणी का मंदिर है. कहते हैं दुर्वासा के श्राप के कारण उन्हें एकांत में रहना पड़ा.
2. यह मंदिर चारों ओर से पर कोटे से घिरा हुआ है. इनमें उत्तर दिशा में मोक्ष तथा दक्षिण में स्वर्ग का द्वार है. यहां से 56 सीढ़ियां चढ़कर स्वर्ग द्वार से मंदिर में प्रवेश कर सकते हैं.
3. द्वारकाधीश मंदिर के दक्षिण में गोमती धारा पर चक्र तीर्थ घाट है. उसे कुछ ही दूरी पर अरब सागर है, जहां समुद्र नारायण मंदिर स्थित है. वहां पांच कुए के जल से स्नान करने की परंपरा है.
4. हिंदू पुराण के अनुसार श्री कृष्ण के आग्रह पर भगवान विश्वकर्मा ने गोमती नदी के तट पर समुद्र के एक टुकड़े को प्राप्त करके इस शहर का निर्माण किया था.