वैसे तो भगवान कृष्ण की उपासना के लिए दुनिया भर में कई ऐसे मंदिर हैं और संस्थाएं हैं जो कृष्ण की भक्ति और भागवत गीता के संदेश को दुनिया भर में पहुंचाने का काम करती है, पर इस बीच इस्कॉन एक ऐसी संस्था है जो बढ़ चढ़कर यह काम कर रही हैं. आज से लगभग 48 साल पहले भारत में सबसे पहले इस्कॉन मंदिर बना था. उसके बाद धीरे-धीरे कई अलग-अलग जगह पर इसकी शुरुआत की जाने लगी. आज हम आपको बताएंगे कि आखिर इस्कॉन मंदिर खास क्यों है जहां पर कृष्ण भक्तों का ताता लगा रहता है और आखिर आज कितनी जगह पर इस्कॉन मंदिर बन चुके हैं.
इस्कॉन मंदिर फाउंडेशन का परिचय* इस्कॉन का पूरा नाम इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ कृष्ण कॉन्शियसनेस है जिसके दुनिया भर में 1000 से अधिक केंद्र है और अकेले भारत में इसके 400 सबसे ज्यादा केंद्र है. भगवान कृष्ण के संदेश को पूरे विश्व में पहुंचाने के लिए स्वामी प्रभुपाद ने इस्कॉन मंदिर की स्थापना की थी. इसकी शुरुआत 1966 में न्यूयॉर्क से हुई थी. इस्कॉन मंदिर का पावन भजन हरे रामा, हरे रामा, कृष्णा है जिसे विदेश में भी लोग गाते हैं. 1975 में वृंदावन में इस्कॉन मंदिर की स्थापना की थी जहां पर सबसे ज्यादा श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं. मंदिर को बाहर के हिस्से में बड़ी सुंदरता से बनाया गया है. साथ ही मंदिर के भीतर भगवान कृष्ण के जीवन की घटनाओं को बड़ी खूबसूरती से पेश किया गया है. हर साल करीब 8 लाख भक्त भगवान के दर्शन करने के लिए यहां आते हैं. यह मंदिर उत्तर प्रदेश राज्य के मथुरा शहर के वृंदावन में स्थित है. कृष्ण और उनके बड़े भाई बलराम को ये समर्पित है.
अन्य कृष्ण मंदिरों से कैसे भिन्न है इस्कॉन मंदिर बाकी मंदिरों के मुकाबले इस्कॉन मंदिर का निर्माण सफेद संगमरमर के पत्थरों से किया जाता है. साथ ही साथ मंदिर की दीवारों पर खूबसूरत नक्काशी और पेंटिंग भी की गई है. इस्कॉन मंदिर का वातावरण आध्यात्मिक और भक्तिमय है जिसमे भक्तों को आनंद प्राप्त होता है. यहां पर कृष्ण आरती में हिस्सा लेने के लिए दूर-दूर से भक्त आते हैं. मंदिर परिसर के अंदर भागवत गीता की कक्षाएं सुबह के साथ-साथ शाम में भी आयोजित की जाती है.
इस्कॉन मंदिर से जुड़ी कुछ ऐसी बातें जो भक्तों को जाननी चाहिए 1. यहां के अनुयाई चार चीजों को धर्म मानते हैं. दया, तपस्या, सत्य, मन की शुद्धता.
2. इस्कॉन के लोगों ने अपने खुद का भोजन निर्मित किया है जिसे वह कृष्णा टेरियन कहते हैं. यह बहुत ही स्वादिष्ट होता है जो मामूली शुल्क में मिलता है.
3. इस मंदिर के अनुयाई को तामसिक भोजन त्यागना होता है जिसके तहत उन्हें प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा से दूर रहना पड़ता है.
4. यहां पर सबसे महत्वपूर्ण है कि सभी को रोजाना हरे कृष्णा हरे कृष्णा नाम की 16 बार माला जपनी होती है.
5. मंदिर में राधा और कृष्ण की स्वरूप को दिव्य तरीके से सजाया जाता है जो दिखने में काफी आकर्षक लगता है.