दुनिया में तमाम जितने भी कृष्ण मंदिर है, वहां पर उनका जन्म उत्सव रात को 12:00 बजे मनाया जाता है. बड़े ही हर्षो उल्लास से कृष्ण की मूर्ति को सजाकर उनकी पूजा की जाती है, पर आज हम जिस प्रसिद्ध मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं वहां श्री कृष्ण का जन्मोत्सव रात में नहीं बल्कि दिन में मनाया जाता है. यहां लगभग 500 सालों से अखंड ज्योत जल रही है जिसकी कहानी बेहद ही अद्भुत और निराली है. आज हम आपको बताएंगे कि आखिर इस मंदिर में रात के बजाय दिन में कृष्ण का जन्मोत्सव क्यों मनाया जाता है.
वृंदावन के प्रसिद्ध श्री राधा रमन मंदिर का परिचय : वृंदावन हमेशा श्री कृष्ण का लीला स्थल रहा है और इस पावन भूमि पर कृष्ण के कई ऐसे मंदिर बने हुए हैं जिनका अलग-अलग महत्व है. राधा रमन मंदिर उसी में से एक है. यह मंदिर कृष्ण को समर्पित है जिन्हें राधा रमन के रूप में पूजा जाता है. राधा रमन मंदिर में 1542 ईस्वी में नृसिंह चतुर्दशी के दिन गोपाल भट्ट ने शालिग्राम शिला के पास एक सांप को देखा. बाद में जब उसे हटाना चाहा तो वह राधा रमन के रूप में प्रकट हुई जिस वजह से 1542 ईस्वी में वैशाख पूर्णिमा को इस मंदिर की स्थापना हुई. यहां पर जन्माष्टमी के दिन श्री कृष्ण को दूध, दही, घी, बूरा, शहद, यमुना जल, गंगाजल व जड़ी बूटियों से महा अभिषेक किया जाता है. इस मंदिर में बाल स्वरूप में कृष्ण की सेवा की जाती है. यहां श्री कृष्ण के बालरूप की सालगिरह दिन में ही मनाने की परंपरा चली आ रही है, क्योंकि रात में बालक को जगा कर उसकी सालगिरह नहीं मनाई जाती, इसलिए यहां हमेशा दिन में ही पूजा होती है. दरअसल कृष्ण के जन्म के समय प्रातः काल समागत गोप एवं गोपियों के मध्य उनका अभिषेक किया गया था तथा इसी क्रम का पालन प्रतिवर्ष इस मंदिर में किया जाता है. इस मंदिर की सबसे रहस्यमई बातें यह है कि यहां पर 500 साल से अग्नि खुद ही प्रज्वलित है. पौराणिक कथाओं के अनुसार चैतन्य महाप्रभु के शिष्य गोपाल भट्ट गोस्वामी ने अपनी भक्ति के बल पर राधा रमन जी के विग्रह रूप को प्रकट किया था. जब भगवान प्रकट हुए तब गोपाल भट्ट ने उनका भोग बनाने के लिए हवन की लड़कियों को रखकर मंत्रोच्चार की शक्ति से अग्नि प्रज्वलित कर दी थी, तब से यह अग्नि प्रज्वलित है. कोई भी परिस्थिति हो यह कभी बुझ नहीं पाती है.
इस मंदिर की कुछ रहस्यमई बातें 1. इस मंदिर के किसी भी कार्य में माचिस का इस्तेमाल नहीं होता. पिछले 479 साल से मंदिर की रसोई में प्रज्वलित अग्नि से ही रसोई समेत सारे कार्य किए जाते हैं.
2. राधा रमन मंदिर की रसोई में रसोइयां खुद अपने हाथ से ठाकुर जी का प्रसाद तैयार करके भोग में अर्पित करते हैं. वहां किसी भी बाहरी व्यक्ति का प्रवेश वर्जित है.
3. इस मंदिर में श्री कृष्ण की जो मूर्ति है वह स्वयं प्रकट हुई है.
4. यह मंदिर राधा रानी के साथ कृष्ण के मूल शालिग्राम देवता के लिए जाना जाता है.
5. इस मंदिर में ठाकुर जी की मूर्ति तो एक है लेकिन उनकी तीन छवि नजर आती है. कभी यह छवि गोविंद देव जी के समान दिखती है, तो कभी यह छवि वक्ष स्थल गोपीनाथ जी तो कभी मदन मोहन जी के विग्रह के रूप में दिखती है.