ओ तेरी..
स्नाइपर गन की 6 गोलियां भी इस बुलेट प्रूफ जैकेट को नहीं भेद पाएंगी, IIT दिल्ली ने कर दिया कमाल
आज के समय में स्पेशल फोर्सेज और सैनिकों को बुलेट प्रूफ जैकेट का इस्तेमाल करते हुए हर किसी ने देखा होगा, जिसका वजन काफी ज्यादा होता है. इसके इस्तेमाल करने से वे सुरक्षा के एक घेरे में रहते हैं. इसके बाद गोलियां आपको छू भी नहीं पाती है. परंतु इनकी भी एक सीमा है. इस बीच आईआईटी दिल्ली ने एक ऐसा कमाल कर दिया है जिसकी शायद कोई उम्मीद भी नहीं कर सकता था. इन्होंने एक ऐसा बुलेट प्रूफ जैकेट तैयार किया है जो न केवल बाकी जैकेट से अलग है बल्कि यह वजन में भी काफी हल्का है. स्नाइपर गन की छह गोलियां भी इस बुलेट प्रूफ जैकेट को नहीं भेद पाएंगी. आज हम आपको इस बुलेट प्रूफ जैकेट की खासियत बताएंगे जिसे खास तौर पर सैनिकों के लिए तैयार किया गया है.
क्या होता है बुलेट प्रूफ जैकेट
बुलेट प्रूफ जैकेट के बारे में तो हर किसी ने सुना होगा जो हमें सुरक्षा की कई परतो के घेरे में बांधे रखता है. यह जैकेट तेज स्पीड गोलियों के असर को खत्म कर देती है. युद्ध के वक्त ऑपरेशन के दौरान पुलिस और आर्मी के लिए यह सुरक्षा कवच का काम करता है. बुलेट प्रूफ जैकेट के निर्माण के लिए सबसे पहले जरूरी कपड़ों का निर्माण किया जाता है. इसके लिए फाइबर या फिलामेंट का उत्पादन किया जाता है जो कि वजन में हल्का लेकिन मजबूत होता है. इसमें सबसे प्रसिद्ध मटेरियल केवलर है जो की एक para-aramid सिंथेटिक फाइबर होता है. Kevler के मिश्रण से कताई द्वारा एक ठोस धागा उत्पादित किया जाता है. यह बहुत मजबूत होने के साथ-साथ बहुत हल्का भी होता है. जैकेट में बैलिस्कट पैनलों को फिट करने के लिए जेब होती है. बुलेट प्रूफ जैकेट को तैयार करते समय दो लेयर को ध्यान दिया जाता है. पहला सिरेमिक लेयर और दूसरा बैलिस्टिक लेयर जिसे मिलाकर बुलेट प्रूफ बनाने की प्रक्रिया में फाइबर या फिलामेंट को बड़ी रील के रूप में बनाया जाता है. जब कोई गोली इस बुलेट प्रूफ जैकेट से टकराती है तो उसकी रफ्तार कम हो जाती है और वह छोटी-छोटी टुकड़ों में बिखर जाती है फिर गोलियों की भेदने की क्षमता कम हो जाती है और वह उस पहने हुए इंसान के शरीर के संपर्क में नहीं आ पाता है.
आईआईटी दिल्ली ने जो बुलेट प्रूफ जैकेट बनाया है उसका परिचय: 15 साल की रिसर्च के बाद आखिर भारत ने दुनिया का सबसे हल्का बुलेट प्रूफ जैकेट बनाने में सफलता हासिल कर ली है. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के सहयोग से यह तैयार किया गया है. इस बुलेटप्रूफ जैकेट को सेरेमिक और पॉलीमर मटेरियल से बनाया गया है. इस जैकेट को बनाने में इंटरफेस साइंस का सहारा लिया गया है, ताकि गोली भेद ना पाए. इस बुलेटप्रूफ जैकेट को बीआईएस की मंजूरी मिल चुकी है. भारतीय सेना के जवानों के लिए bs6 बुलेट प्रूफ जैकेट तैयार किया गया है जो 6 स्नाईपर शॉट झेलने की क्षमता रखता है. दिल्ली आईआईटी के प्रोफेसर नरेश भटनागर ने इसे तैयार किया है. यह दुनिया भर में इस्तेमाल की जाने वाली बुलेट प्रूफ जैकेट से कई मायनो में काफी आगे है. यह वजन में भी काफी कम है. इसकी वजन मात्र 9 किलो तक की है.