किस्सा- कहानी
घर बैठे पूरी दुनिया को देखना यूं ही नहीं हुआ था आसान, जॉन बेयर्ड के योगदान को नहीं भूलेगी दुनिया
आज शायद ऐसा कोई घर नहीं है जिनके यहां टीवी ना हो. हर बड़े से बड़े और छोटे से छोटे घर के लोग टीवी जरूर रखते हैं, ताकि वह दुनिया से अपना संपर्क बनाए रखें और देश दुनिया से जुड़ी सारी बातों के बारे में जानकारी रखें, पर क्या आप जानते हैं कि इसकी शुरुआत कैसे हुई और यह संभव कैसे हो पाया. जॉन बेयर्ड के एक योगदान ने पूरी दुनिया के लिए यह आसान बना दिया, जिसके बाद लोग घर बैठे आसानी से दुनिया के हर कोने की बात और खबर आसानी से जानने में सक्षम हो पाए. आज हम आपको बताएंगे कि किस तरह टेलीविजन का आविष्कार हुआ और धीरे-धीरे इसका विकास कैसे हुआ.
टेलीविजन के आविष्कारक जॉन बेयर्ड का परिचय: एक समय था जब रेडियो पर गाना सुनकर लोग कल्पना करते थे कि काश कभी ऐसा बोलने वाले की सूरत भी दिखाई दे, पर ऐसा जॉन बेयर्ड ने कर दिखाया और उन्होंने लोगों का सपना सच कर दिया. जॉन बेयर्ड का जन्म 13 अगस्त 1888 को ग्लास्गो के निकटतम हेलेंसबर्ग में हुआ था. उनके पिता पादरी थे. उनका बचपन एक माली के लड़के के साथ बीता. उनकी प्रारंभिक शिक्षा भी स्थानीय विद्यालय में हुई. पढ़ाई में उनकी शुरू से ही काफी रुचि थी. उन दिनों उनके विद्यालय में फोटोग्राफी पर विशेष बल दिया जाता था. उन्होंने 12 वर्ष की अवस्था में अपने साथियों की सहायता से एक दूरदर्शन लाइन का निर्माण किया और अपने ऊपर वाले कक्ष को चार साथियों के घर से जोड़ दिया. विद्यालय की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने ग्लास्गो में स्थित रॉयल टेक्निकल कॉलेज में विज्ञान का अध्ययन किया.
जॉन बेयर्ड ने दुनिया को सबसे पहले टेलीविजन की सौगात दी थी. उन्होंने 1925 में पहला मैकेनिकल सिस्टम आधारित ब्लैक एंड व्हाइट टेलीविजन बनाया था, जिसके कारण उन्हें टेलीविजन का आविष्कारक और फादर ऑफ टेलीविज़न कहा जाता है. उसके कुछ साल बाद ही उन्होंने 1927 में पहला इलेक्ट्रॉनिक टेलीविजन बनाया, जिस आविष्कार को फिलो फान्सर्वथ ने अंजाम दिया. टेलीविजन के आविष्कार के बाद इसके विकास का काम प्रारंभ हो गया.
टेलीविजन के काम करने के पीछे का वैज्ञानिक तकनीक: जब पहली बार टेलीविजन बना था तो पहले टीवी सेटेलाइट टेल स्टार नासा द्वारा 10 जुलाई 1962 को लॉन्च किया गया था. दरअसल ब्रॉडकास्ट टीवी कंपनी भी हवा के माध्यम से अपना सिग्नल भेजती है. यह कंपनियां ज्यादा से ज्यादा टेलीविजन तक सिग्नल पहुंचाने के लिए सभी ट्रांसमिशन टावर से यह सिग्नल भेजती है, ताकि दूर शहरों और गांव में बैठे लोग भी उनका प्रोग्राम देख सके. सैटेलाइट टीवी भी इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल हवा के माध्यम से ही भेजते हैं. बस अंतर यह होता है कि यह ट्रांसमिशन टावर का इस्तेमाल नहीं करते बल्कि स्पेस में मौजूद सैटेलाइट इसमें मदद करते हैं और घर पर लगा एंटीना सब कैच कर लेता है.