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श्री राम ने स्वयं स्थापित किया था गणपति का यह दिव्य मंदिर, दर्शन मात्र से दूर हो जाती हैं सभी चिंताएं

धर्म- कर्म

श्री राम ने स्वयं स्थापित किया था गणपति का यह दिव्य मंदिर, दर्शन मात्र से दूर हो जाती हैं सभी चिंताएं

भारत में कई ऐसे मंदिर स्थापित हैं जो अपने अलग-अलग रहस्य और कारणों से खूब प्रचलित हैं. उन्ही में से एक भगवान श्री राम द्वारा स्थापित किया गया गणपति का दिव्य मंदिर है, जिसके दर्शन मात्र से ही भक्तों की सारी चिंताएं दूर हो जाती है. इस मंदिर में कई ऐसी खास बातें हैं जिस वजह से यहां पर हमेशा भक्तों का तांता लगा रहता है. आज हम आपको उज्जैन शहर के इस भव्य गणेश मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां पर गणेश के तीनों रूपों की पूजा होती है. इसकी स्थापना साक्षात भगवान श्री राम ने की थी.खास तौर पर बुधवार के दिन यहां पर भक्तों की लंबी भीड़ देखने को मिलती है.

चिंतामन गणेश मंदिर का परिचय
मध्य प्रदेश के उज्जैन में भगवान गणेश का यह मंदिर स्थित है, जो महाकालेश्वर मंदिर से बस 6 किलोमीटर की दूरी पर है. गणेश जी के इस प्रसिद्ध मंदिर के गर्भ गृह में तीन प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं. प्रवेश करते ही आपको तीनों प्रतिमाओं के दर्शन होने लगते हैं. यहां पार्वती नंदन तीनों रूपों में विराजमान हैं. पहले चिंतामणि, दूसरा इच्छामन और तीसरा सिद्धिविनायक गणेश. मान्यता है कि चिंतामन गणेश चिंताओं से मुक्ति करते हैं. वहीं इच्छामन अपने भक्तों की कामनाएं पूरी करते हैं. गणेश का सिद्धिविनायक स्वरूप सिद्धि प्रदान करता है. इस मंदिर के शिखर पर आप देखेंगे तो एक सिंह विराजमान है. वर्तमान समय में इस मंदिर के जिर्णोद्धार का श्रेय अहिल्याबाई होल्कर को जाता है, जिनके शासन काल में इस मंदिर का सही तरह से निर्माण हुआ है. कहते हैं यहां पर मनोकामनाएं पूरी करने के लिए श्रद्धालु मन्नत का धागा बांधते हैं और उल्टा स्वास्तिक भी बनाते हैं. मन्नत पूरी होने के लिए दूध, दही, चावल और नारियल में से किसी एक वस्तु का चढ़ावा चढ़ाया जाता है और जब इच्छा पूरी हो जाती है, तब इस वस्तु का यहां पर दान किया जाता है.

त्रेता युग में प्रभु राम द्वारा इस मंदिर के स्थापना की कहानी
कहा जाता है कि त्रेता युग में इस मंदिर की स्थापना खुद श्री राम ने की थी. रामायण काल में राम वनवास के समय जब अपनी अवधि गुजर रहे थे. उस वक्त इसकी स्थापना हुई. जब वह अपने भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ वन में घूम रहे थे तब एक दिन माता सीता को जोर से प्यास लगी. राम ने लक्ष्मण को जब पानी लाने को कहा तो उन्होंने मना कर दिया. पहली बार लक्ष्मण द्वारा किसी काम को मना करने से राम को बड़ा आश्चर्य हुआ. उन्होंने समझ लिया कि यह सब यहां की दोष सहित धरती का कमाल है. तब जाकर तीनों ने मिलकर यहां गणपति मंदिर की स्थापना की, जिसके प्रभाव के बाद लक्ष्मण ने यहां एक बावड़ी बनाई जिसे लक्ष्मण बावड़ी भी कहते हैं.

चिंतामन गणेश जी के दिव्य दर्शन.

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