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एक ऐसे संत जो लगातार 22 घंटे एक ही मुद्रा में करते हैं शिव की आराधना, सनातन धर्म पर उनके विचार पढ़ने योग्य है

धर्म- कर्म

एक ऐसे संत जो लगातार 22 घंटे एक ही मुद्रा में करते हैं शिव की आराधना, सनातन धर्म पर उनके विचार पढ़ने योग्य है

जब आसन ग्रहण करके भगवान की भक्ति में लीन होने की बात होती है तो कोई ज्यादा से ज्यादा 10 मिनट या आधे घंटे ऐसा कर सकता है, पर क्या आपने कभी सोचा है कि कोई 22 घंटे भी ऐसा कर सकता है. यह संभव कर दिखाया है निरंजनी अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी कैलसानंद गिरी जी ने जिन्होंने 22 घंटे तक शिव की आराधना करते हुए खुद को शिव में लीन कर देते हैं. आज हम आपको बताएंगे कि किस तरह उन्होंने अपने आप को भगवान शिव के नाम समर्पित कर दिया और संत बनने का फैसला उन्होंने क्यों लिया. इतना ही नहीं उन्हें क्यों निरंजनी अखाड़े का महामंडलेश्वर बनाया गया.

निरंजनी अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी कैलसानंद गिरी जी का परिचय
महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी जी महाराज सनातन संस्कृति के आधुनिक ध्वजवाहक हैं. देश दुनिया में उनके करोड़ों अनुयाई है और आचार्य के रूप में लाखों सनातनी साधु संतों का नेतृत्व कर रहे हैं. अपने काम की वजह से उन्हें काफी सम्मान मिलता है और उनके अनुयायियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. महज 6 साल की उम्र से उन्होंने खुद को सनातन धर्म के लिए समर्पित कर दिया. जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी राजराजेश्वर आश्रम से दीक्षा ग्रहण करने के उपरांत अग्री अखाड़े के महामंडलेश्वर और दक्षिण काली पीठाधीश्वर स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी सन्यास परंपरा में शामिल हो गए. पिछले साल 14 जनवरी को आचार्य महामंडलेश्वर पद पर पट्टाभिषेक होने के बाद वह सनातन धर्म के नेतृत्व करता के रूप में काम कर रहे हैं. स्वामी कैलसानंद गिरी जी का जन्म 1 जनवरी 1976 को उत्तर भारतीय राज्य बिहार (वर्तमान में झारखंड) उसके देवघर जिले के छोटे से शहर जसीडीह में हुआ. वह हिंदी और संस्कृत भाषाओं के लेखक और विद्वान है. उन्होंने अपनी शिक्षा वैदिक शिक्षा से पूरी की. साल 2002 में उन्होंने वाराणसी में संपूर्ण आनंद संस्कृत विश्वविद्यालय से वैदिक शिक्षा में डिग्री हासिल की. वह बचपन में ही घरेलू किसान बन गए थे. उन्होंने अपना घर छोड़ दिया और संतों की संगति में जंगल में रहने लगे और संतों की संगति में वैदिक सनातन धर्म पर सोध करने लगे.  उन्हें निरंजनी अखाड़े में आचार्य महामंडलेश्वर पद पर विराजमान किया गया.  स्वामी जी शिव की भक्ति में इस कदर लिन हो जाते हैं कि वह पांच या 10 मिनट नहीं बल्कि पूरे 22 घंटे एक ही आसान पर बैठकर शिव की भक्ति में लगे रहते हैं. हरिद्वार में निरंजनी अखाड़े के आचार्य पिछले 30 वर्षों से लगातार सावन के महीने में महादेव का रुद्राभिषेक करते हैं. जब 22 घंटे के बाद महादेव का रुद्राभिषेक समाप्त होता है तो उन्हें उनके सेवकों द्वारा आसन से उठाया जाता है.

सनातन धर्म पर उनके विचार और उन्होंने ऐ राजा के खिलाफ क्या कहा
सनातन धर्म सत्य और शाश्वत है जिसने अनादि काल से ही पूरे विश्व का मार्गदर्शन किया है. आज पूरी दुनिया सनातन धर्म को अपना रही है। सनातन धर्म को लेकर डीएमके सांसद ए राजा ने एक बहुत ही विवादास पद बयान दिया था, जिस पर स्वामी कैलसानंद गिरी जी ने एतराज व्यक्त किया है. उन्होंने बताया कि डीएमके सांसद की बुद्धि और विवेक दोनों नष्ट हो चुके हैं. उन्हें सनातन धर्म का जरा भी ज्ञान नहीं है, इसलिए वे इसके प्रति बेतुका बयान दे रहे हैं. यदि उन्हें इसका ज्ञान होता तो इस तरह की टिप्पणी नहीं करते. इसके बाद स्वामी जी ने कहा कि कुछ लोग राजनीति लाभ के लिए सनातन धर्म पर आघात कर रहे हैं, जिसे बिल्कुल भी स्वीकार नहीं किया जाएगा. भगवान श्री कृष्णा और श्री राम सनातन धर्म का विरोध करने वाले नेताओं को सद्बुद्धि प्रदान करें.

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री धामी जी के साथ भगवान की शरण में स्वामी जी.

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