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ओजोन की परत से हीं पृथ्वी पर मानव हैं सुरक्षित, विश्व ओजोन दिवस मनाने के पीछे है बड़ी वजह

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ओजोन की परत से हीं पृथ्वी पर मानव हैं सुरक्षित, विश्व ओजोन दिवस मनाने के पीछे है बड़ी वजह

अगर आज जीवन इस धरती पर संभव है तो वह सिर्फ और सिर्फ ओजोन परत के कारण वरना कोई भी मानव जीवित नहीं रह पाता. यह हमारे जीवन में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है, जो हमें कई हानिकारक तत्वों से भी बचाती है. यही वजह है कि हर साल विश्व ओजोन दिवस मनाया जाता है, ताकि हम इसके प्रति जागरूक हो सके और कोई ऐसी गलती ना करें जो ओजोन परत को नुकसान पहुंचाने का काम करे. आज हम आपको बताएंगे कि आखिर किन चीजों से यह ओजोन परत बनी हुई है जो हमें सुरक्षा प्रदान करती है. इतना ही नहीं विश्व ओजोन दिवस मनाने का मतलब क्या है. इसके पीछे का तर्क एवं कब से इसकी शुरुआत हुई, इस बारे में भी चर्चा करेंगे.

ओजोन परत का परिचय
यह एक ऐसी परत है जो पृथ्वी के समताप मंडल के ऊपर मध्य मंडल के नीचे दोनों के बीच में है. यह सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों से हमारी रक्षा करती है. दरअसल यह 93 से 99% पराबैंगनी किरणों को यह अवशोषित कर लेता है क्योंकि यह पृथ्वी पर जीवन के लिए काफी हानिकारक है. इस वजह से जैविक जीवन को अत्धिक क्षति नहीं पहुंचती है. संताप मंडलीय ओजोन पराबैंगनी किरणों और ऑक्सीजन अंगों के बीच प्राकृतिक रूप से होने वाली रासायनिक अभिक्रिया से यह उत्पन्न होती है. सबसे पहले पराबैंगनी किरनें एक ऑक्सीजन अनु को तोड़ती है और दो ऑक्सीजन परमाणु बनती है और प्रत्येक हाई रिएक्टिव ऑक्सीजन परमाणु एक ऑक्सीजन अनु के साथ जुड़ता है और एक ओजोन अनु बनता है और यह प्रक्रिया लगातार चलती रहती है. तब जाकर बड़ी मात्रा में ओजोन का निर्माण होता है. अगर ओजोन लेयर ना हो तो मानव जीवन का पृथ्वी पर रहना मुश्किल हो जाएगा. पराबैंगनी किरणों का पृथ्वी पर रहने वाले जीव जंतुओं और वनस्पतियों पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है. इससे त्वचा का कैंसर, मोतियाबिंद और समुद्री जीवन के नुकसान का खतरा ज्यादा है. ओजोन तब बनता है जब गर्मी और सूरज की रोशनी नाइट्रोजन के ऑक्साइड और वाष्पशील कार्बनिक यौगिक के बीच रासायनिक प्रक्रिया का कारण बनती है, जिन्हें हाइड्रोकार्बन भी कहा जाता है.

16 सितंबर को क्यों मनाया जाता है विश्व ओजोन दिवस
जब भी ओजोन दिवस की चर्चा होती है तो 16 सितंबर 1989 में मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल पर हुए हस्ताक्षर की चर्चा जरूर होती है. इसके बाद 1994 से इसे मनाए जाने की परंपरा शुरू हुई जिसमें सभी देश ने ये संकल्प लिया था कि ओजोन के संरक्षण के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे. इसके बाद विश्व के देशों को ओजोन लेयर के सुरक्षा के लिए मिलकर काम करने को प्रेरित किया गया. इस प्रोटोकॉल पर संयुक्त राष्ट्र और 45 अन्य देशों ने हस्ताक्षर किए थे और ओजोन लेयर की सुरक्षा का वादा किया. इस प्रोटोकॉल के तहत हर साल ओजोन डे पर लोगों को क्लोरोफ्लोरोकार्बन,प्लास्टिक और सभी हानिकारक पदार्थों के इस्तेमाल को कम कर ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने की सलाह दी जाती है. आज हम जो घर में एसी फिर्ज इस्तेमाल कर रहे हैं उससे जो गैस निकलती है, वह ओजोन परत को नुकसान पहुंचाती है. वही पेड़ों की कटाई भी इसमें मुख्य कारक है जिस कारण ओजोन लेयर में छेद होता जा रहा है.

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