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एक ऐसा फल जो संतरा, गाजर और बादाम से भी ज्यादा है फायदेमंद, लद्दाख में किसान हुए मालामाल

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एक ऐसा फल जो संतरा, गाजर और बादाम से भी ज्यादा है फायदेमंद, लद्दाख में किसान हुए मालामाल

आपने अपने जीवन में कई ऐसे फल का सेवन किया होगा जो आपके शरीर को अनगिनत फायदे पहुंचाता है, जिसमें सबसे पहला नाम संतरा, गाजर और सेब का आता है पर आज हम आपको एक ऐसे फल के बारे में बताने जा रहे हैं, जो इन सभी फलों से कई गुना ज्यादा आपके लिए फायदेमंद है और यह हमारे शरीर को चौंकाने वाले फायदे पहुंचाता है. आज हम आपको बताएंगे कि किस तरह यह फल तेजी से अपने गुणकारी लक्षणों के कारण प्रचलित होता जा रहा है और इसकी खेती करने में किसान भी अब दिलचस्पी दिखा रहे हैं, क्योंकि यह उन्हें काफी फायदा देता है.

sea buckthorn फल का परिचय
यह एक झाड़ी वाले पौधे होते है जो नारंगी और पीले रंग का खाने वाली फल देता है. यह अगस्त से सितंबर महीने में पकता है. सीमित तापमान के बावजूद सर्दियों के महीने में झाड़ी पर बरकरार रहने वाले इस फल की एक प्रमुख विशेषता है, जिसमें पौष्टिक तत्व और कई विटामिन भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. इस फल में विटामिन, करॉटिनाइड, ओमेगा फैटी एसिड भरपूर मात्रा में पाया जाता है. जम्मू कश्मीर के लद्दाख में इतनी ज्यादा ठंडी होती है कि यहां पर खेती कर पाना मुश्किल होता है, लेकिन पिछले कुछ सालों से यहां पर एक कांटे वाली झाड़ी sea buckthorn पर छोटी-छोटी बेरी के फल उगते हैं. अब लद्दाख के क्षेत्र में यह कुदरती तरीके से भी होता है, जो धीरे-धीरे किसानो की तकदीर बदल रहा है. इससे जैम, जूस, हर्बल चाय, विटामिन सी सप्लीमेंट्स क्रीम, तेल और साबुन जैसे पदार्थ बनाए जाते हैं. इस बेरी में प्रतिरक्षा बढ़ाने वाली क्षमता होती है जो अपने कई औषधीय गुण के कारण धीरे-धीरे लोकप्रिय हो रहा है और इसकी मांग बढ़ते जा रही हैं. इसमें संतरे से 10 गुना ज्यादा विटामिन सी, गाजर से 3 गुना ज्यादा विटामिन ए और बादाम से 7 गुना ज्यादा विटामिन ए पाई जाती है. हिमाचल प्रदेश, लद्दाख, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में अभी इसकी खेती तेजी से की जा रही है.

लद्दाख में कैसे इस फल से किसान हो रहे हैं मालामाल : लद्दाख में जिस तरह का की जलवायु है उसके माध्यम से अब किसान जमकर sea buckthorn की खेती कर रहे हैं और यह उनकी कमाई का जरिया बन चुका है. हर साल 3000 टन ये बेचा जाता है और आने वाले समय में यह आंकड़ा और भी ज्यादा दोगुना होगा. किसान बताते हैं कि यह अपने आप पहाड़ियों पर उग जाता है और हमें न निराई करने की जरूरत पड़ती है नहीं पानी का देना पड़ता है. यह एक तरह से क्षेत्र के लोगों के लिए ईश्वर यह वरदान है. ठंडा और बंजारा इलाके में होने वाले इस फल का पौधा 43 डिग्री तापमान में भी जीवित रह सकता है. पिछले कुछ समय इसे ₹20 किलो के भाव से बेचा गया था लेकिन मांग बढ़ने के साथ ही इसकी कीमत भी 5 गुना हो चुकी है. किसान एक सीजन में इस फल से और 40 से ₹50000 कमा रहे हैं.

sea buckthorn की कुछ मुख्य विशेषताएं
1. इसका इस्तेमाल इन्फेक्शन को रोकने उम्र बढ़ाने के प्रक्रिया को धीमा करने के लिए किया जाता है.

2. डायबीटीज, हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल और एक्जिमा जैसी बीमारियों में इसका इस्तेमाल किया जाता है.

3. जब किसी घांवव के ऊपर इसे लगाया जाता है तो वह उसे ठीक करने में मदद करता है.

4. ड्राई आइस सिंड्रोम में भी यह काफी सहायक है.

5. ऑयली त्वचा और आपके बालों के लिए भी यह फायदेमंद है जिसे मॉइश्चराइजर के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है.

इस फल से कई प्रकार के दवाइयां और खाद्य पदार्थ मार्केट में उपलब्ध हैं.

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