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ऋषि कण्व ने हमारी भूमि का नाम रखा था भारत, गौरवशाली है हमारे देश के नामकरण का इतिहास

गरम मुद्दा

ऋषि कण्व ने हमारी भूमि का नाम रखा था भारत, गौरवशाली है हमारे देश के नामकरण का इतिहास

प्राचीन काल से ही देखा जा रहा है कि भारत भूमि के अलग-अलग नाम रहे हैं. जम्मू द्वीप, भारत खंड, भारत वर्ष, आर्यावर्त, हिंदुस्तान और इंडिया.. पर इनमें से सबसे ज्यादा लोकप्रिय भारत है. नामकरण को लेकर सबसे ज्यादा धारना एवं मतभेद भी भारत को लेकर ही है पर यह बात शायद कम लोग जानते हैं कि ऋषि कण्व ने हमारी भूमि का नाम भारत रखा था. हमारे देश के नामकरण का गौरवशाली इतिहास भी उन्हीं से जुड़ा है. आज हम आपको बताएंगे कि किस तरह भारत के नाम पर मुहर लगी और इसकी पौराणिक कथा क्या है.

भारत देश का परिचय और इस देश का भारत नाम पड़ने की कहानी
उत्तर में कश्मीर, दक्षिण में कन्याकुमारी, पूर्व में अरुणाचल प्रदेश से लेकर पश्चिम में कच्छ से घिरा भारत विश्व का सातवां बड़ा देश है. भारत एशिया महाद्वीप का एक देश है जो हिंद महासागर के शीर्ष पर तीन ओर समुद्र से घिरा हुआ है. एक पौराणिक कथा में भारत नाम के पीछे महाभारत के आदि पर्व में एक कथा है. महर्षि विश्वामित्र और अप्सरा मेनका की बेटी शकुंतला और पूरूवंशी राजा दुष्यंत के बीच गंधर्व विवाह होता है. इन दोनों के पुत्र का नाम भारत हुआ. ऋषि कण्व ने आशीर्वाद दिया कि भारत आगे चलकर चक्रवर्ती सम्राट बनेंगे और उनके नाम पर इस भूखंड का नाम प्रसिद्ध होगा. ज्यादातर लोगों के दिमाग में भारत नाम की उत्पत्ति की यही प्रेम कथा लोकप्रिय है. दो प्रेमियों के अमर प्रेम कहानी इतनी महत्वपूर्ण हुई कि इस महादेश के नामकरण का निमित्त बन शकुंतला दुष्यंत पुत्र यानी महाप्रतापी भारत के बारे में अन्य बातें भी जानने को मिलती है. वही एक अन्य कहानी के अनुसार श्री राम के छोटे भाई भारत को लेकर भी इससे कथा जुड़ी है. सभी को पता है कि कैसे केकई ने एक पुराने वचन के बदले राजा दशरथ से अपने पुत्र भरत के लिए अयोध्या की गद्दी मांग ली थी और सबसे बड़े राम के लिए वनवास. भरत लेकिन सत्ता के मोह रखने वाले नहीं थे. उन्हें अपने भाई से प्यार था. भरत ने श्री राम के खड़ाऊ राजगद्दी पर रखकर 14 बरस शासन किया. भरत से हुआ भारत, उनकी भी देन मानी जाती है.

हिंदुस्तान और इंडिया नाम कब पड़ा और कैसे पड़ा इसकी कहानी : भारत के अलावा हिंदुस्तान और इंडिया इन दो शब्दों का प्रयोग हम अपने देश के लिए करते हैं, पर क्या आपने कभी सोचा है कि यह नाम कैसे पडा़. हिमालय के पश्चिम में सिंधु नदी बहती है और एक बहुत बड़ा भूभाग इससे घिरा है, जिसे सिंधु घाटी कहते हैं. सिंधु घाटी सभ्यता बहुत प्रसिद्ध है. मध्य युग में जब तुर्किस्तान से कुछ विदेशी लुटेरे और ईरानी लोग देश में आए तो सर्वप्रथम उन्होंने सिंधु घाटी में प्रवेश किया. यहां के निवासियों को उन्होंने हिंदू नाम दिया जो सिंधु का एक अपभ्रंश है. हिंदुओं के देश को उन्होने हिंदुस्तान के नाम से जाना और प्रचलित किया. वही सिंधु नदी का दूसरा नाम इंडस वैली भी कहा जाता है. इंडस वैली के कारण ही देश का नाम इंडिया पड़ा. इंडिया नाम प्रचलित होने का एक अन्य कारण और भी है. जब अंग्रेज भारत आए थे, हिंदुस्तान अथवा हिंद का उच्चारण करने में उन्हें कठिनाई हुई जिस कारण उन्हें जब पता चला कि सिंधु घाटी का नाम इंडस वैली है तो उन्होंने हमारे देश का नाम इंडिया रख दिया.

हमारे संविधान में भी स्पष्ट लिखा गया है इंडिया वही है जो भारत है.

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