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11 बार लोकसभा चुनाव जीतने वाले इंद्रजीत गुप्ता को भी इंदिरा गांधी की वजह से हारना पड़ा था एक चुनाव

नेता जी

11 बार लोकसभा चुनाव जीतने वाले इंद्रजीत गुप्ता को भी इंदिरा गांधी की वजह से हारना पड़ा था एक चुनाव

एक ऐसा नेता जिसने ना तो कभी अपनी पार्टी से दगाबाजी की ना ही कभी मन में किसी बात को लेकर भ्रम आया. हमेशा पार्टी द्वारा दिए गए टिकट पर चुनाव जीतकर पार्टी की उम्मीदों को कायम रखना और हर चुनाव में अपने दम पर जीत हासिल करना यह कोई आम बात नहीं है. हम बात कर रहे हैं प्रखर और कुशल राजनेता इंद्रजीत गुप्ता की जिन पर उनकी पार्टी ने 60 साल से अधिक समय तक भरोसा कायम रखा और हर बार चुनाव लड़ने के लिए टिकट देती रही. कभी भी उन्होंने खुद की पार्टी बनाकर आगे बढ़ने का फैसला नहीं लिया. यही बात उनकी पार्टी को अच्छी लगती गई और हर चुनाव में उन पर दाव लगाया गया, पर यह विजय रथ इंदिरा गांधी के शासनकाल में रुका और उन्हें लोकसभा चुनाव हारना पड़ा. आज हम आपको बताएंगे किस तरह 11 बार लोकसभा चुनाव जीतने वाले इंद्रजीत गुप्ता को इमरजेंसी के वक्त इंदिरा गांधी के शासन में लोकसभा चुनाव हारना पड़ा.

इंद्रजीत गुप्ता का परिचय
इंद्रजीत गुप्ता का जन्म 18 मार्च 1919 को कोलकाता में हुआ. वह अपने मूल्यों के प्रति गहरी प्रतिबद्धता के लिए प्रसिद्ध एक महान सांसद माने जाते हैं, जिन्होंने राष्ट्र की भलाई के लिए बहुत बलिदान दिया. उन्होंने अपनी औपचारिक शिक्षा शिमला में प्राप्त की जहां उनके पिता तैनात थे. उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी की और उच्च अध्ययन के लिए किंग कॉलेज कैंब्रिज चले गए. इंग्लैंड में रहते हुए वह ग्रेट ब्रिटेन की कम्युनिस्ट पार्टी में रजनी पाल्में दत से अत्यधिक प्रभावित हुए और कम्युनिस्ट आंदोलन में शामिल हो गए. उसके बाद वह कोलकाता लौट आए जहां किसानों और श्रमिकों के आंदोलन में शामिल हो गए.
इंद्रजीत गुप्ता ने 1960 में हुए उप चुनाव से भारतीय राजनीति में कदम रखा और जीत कर लोकसभा में पहुंचे. 1960 से 1967 तक दूसरी और तीसरी लोकसभा के सदस्य के रूप में कोलकाता दक्षिण पश्चिम का प्रतिनिधित्व किया. बाद में 1967 से 1977 तक वह अलीपुर से चौथी और पांचवी लोकसभा के लिए चुने गए. उन्होंने 1980 से 1989 तक सातवीं और आठवीं लोकसभा में बशीरहाट और 1989 से अपने मृत्यु तक नवीन से 13वीं लोकसभा तक मिदनापुर का प्रतिनिधित्व किया. 1960 में पहली बार एक उपचुनाव में भारत की संसद के निचले सदन लोकसभा के लिए इंद्रजीत गुप्ता चुने गए थे. उन्होंने अपने जीवन में कुल 12 लोकसभा चुनाव लड़े जिनमें से 11 में जीत हासिल हुई. सबसे ज्यादा चुनाव जीतने का रिकॉर्ड भी इंद्रजीत गुप्ता के नाम दर्ज है.

इमरजेंसी के वक्त उन्हें एक लोकसभा चुनाव क्यों हरनी पड़ी : 11वीं बार तक लोकसभा का चुनाव जीतने वाले इंद्रजीत गुप्ता को 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में दम दम लोकसभा सीट पर अशोक कृष्ण दत्त से हार का सामना करना पड़ा था. इसके पीछे वजह यह थी कि उन्होने आपातकाल के दौरान कांग्रेस और इंदिरा गांधी का समर्थन कर दिया था. इस फैसले में इंद्रजीत गुप्ता की भी सहमति मानी गई और उन्हें इंदिरा गांधी को समर्थन देने के चलते हार का सामना करना पड़ा. दरअसल इसी दौरान कम्युनिस्ट पार्टी विभाजित हो गई जिस कारण इंद्रजीत गुप्ता राष्ट्रीय पूंजीपति वर्ग के साथ समझौता कर चुके थे जिसके परिणाम स्वरुप इंदिरा गांधी के विवादास्पद आपातकालीन शासन का समर्थन हुआ. संसद में उनके चार दशकों के दौरान यह उनकी एकमात्र हार थी.

दमदम सीट से इंद्रजीत गुप्ता को चुनाव हारने वाले अशोक कृष्ण दत्त साहब की एक तस्वीर.

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