गरम मुद्दा
नारी शक्ति वंदन अधिनियम बिल को मंजूरी मिलने के बाद यूं बदलेगी महिलाओं की राजनीति में भागीदारी
कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल द्वारा लोकसभा में 128 वां संविधान संशोधन बिल यानि की महिला आरक्षण बिल को पेश किया गया, जिसका नाम नारी शक्ति वंदन अधिनियम रखा गया. इसके तहत सांसद और विधायिका में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा यानी कि लोकसभा के 543 सीटों में कुल 181 सीट महिलाओं के लिए आरक्षित की जाएगी. इस ऐतिहासिक बदलाव से राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी और कई तरह के बदलाव भी देखने को मिलेंगे. आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर इस नए कानून का महिलाओं पर क्या असर होगा और किस तरह के फायदे महिलाओं को मिल सकते हैं. इतना ही नहीं प्रधानमंत्री से लेकर गृह मंत्री ने इस नए कानून पर क्या कुछ प्रतिक्रिया दी है, यह भी महिलाओं के लिए एक बहुत बड़ी प्रेरणा बनने वाली है.
नारी शक्ति वंदन अधिनियम बिल क्या है
इस वक्त महिला आरक्षण बिल के तहत जो चर्चा चल रही है, उसमें महिलाओं के लिए 33 फ़ीसदी सीट आरक्षित की जाएगी यानी कि इस संशोधन के बाद लोकसभा में एक तिहाई भागीदारी महिलाओं की होगी. फिलहाल लोकसभा में 82 महिला सांसद है. इस बिल के पास होने के बाद महिला सांसदों के लिए कुल 545 सीटों में से 181 सीट आरक्षित हो जाएगी. लोकसभा की तर्ज पर ही देश के सभी राज्यों के विधानसभा में भी बदलाव होगा यानी कि विधानसभा में भी महिलाओं के लिए 33 फ़ीसदी सीट आरक्षित होगी. बताया जा रहा है कि महिला आरक्षण बिल 2029 की लोकसभा चुनाव या इससे पहले की कुछ विधानसभा चुनाव से लागू हो सकते हैं. इस बिल के तहत लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं के लिए आरक्षण 15 साल के लिए मिलेगा और इसके बाद फिर से बिल लाना होगा. इस बिल के आने के बाद महिला सशक्तिकरण को मजबूती मिलेगी और महिलाओं की सक्रिय राजनीति में भी भागीदारी बढ़ेगी. इससे पहले 12 सितंबर 1996 को संसद में एचडी देवगौड़ा ने महिला आरक्षण बिल पेश किया था लेकिन उस वक्त यह बिल पारित नहीं हो पाया था. उस समय यूनाइटेड फ्रंट की सरकार थी जो 13 पार्टी का गठबंधन था लेकिन सरकार में शामिल जनता दल और अन्य कुछ पार्टी के नेता महिला आरक्षण के पक्ष में नहीं थे. महिला आरक्षण बिल पास होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा के सभी सदस्यों का धन्यवाद कहा और कहा कि देश की मातृशक्ति का जो मिजाज बदलेगा और जो विश्वास पैदा होगा वह देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाने वाली अकल्पनीय शक्ति बनकर उभरेगा. यह मैं अनुभव करता हूं. सभी नेता इस स्वर्णिम पल के हकदार है. इस बिल के पास होने के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि इस दिन को हमेशा भारतीय संसद के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा. अभी फिलहाल स्थानीय सरकारी निकायों पंचायत और नगर पालिका में अब एक तिहाई सीट महिलाओं के लिए आरक्षित है. महिलाओं को नगर निगम चुनाव में 33% आरक्षण, विद्यालय में 30% आरक्षण है.
नई महिला आरक्षण बिल से महिलाओं को होने वाले प्रमुख फायदे
1. भारत की राजनीति में महिलाओं की भागीदारी दोगुनी हो जाएगी तो भारत की आर्थिक विकास भी बढ़ती जाएगी.
2. अन्य महिलाएं को अपने दैनिक जीवन में आने वाली कठिनाइयों में सुधार करने के लिए महिलाएं नीति बना सकती है.
3. एक महिला ही महिला को और सामाजिक तत्वों से बचाने के लिए सख्त कानून बनाने का फैसला ले सकती है.
4. दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाले देश भारत में लगभग 50% महिलाओं की आबादी है. इस बिल के आने से महिलाओं की स्थिति में सकारात्मक सुधार नजर आएंगे.
5. 15 साल के लिए लागू करने हेतु इस बिल का लक्ष्य महिलाओं के लिए लोकसभा और राज्यसभा में 33% सीट आरक्षित करना है.