ओ तेरी..

दुनिया के दो मशहूर बंदूक एके-47 और Scar-l, एक का है दूर तक निशान तो दूसरा करता है अचूक वार

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दुनिया में कई ऐसे बंदूको की वैरायटी है जिसका इस्तेमाल अलग-अलग तरह से किया जाता है. कुछ ऐसी रेंज होती हैं जो निशाना साधने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं. वहीं कुछ बंदूक ऐसे होते हैं जिसका इस्तेमाल दूर घने जंगलों में छुपे दुश्मनों को मार गिराने के लिए काफी दूर से भी किया जाता है. आज हम सबसे लोकप्रिय और चर्चित एक-47 और Scar-l के बारे में चर्चा करने जा रहे हैं. दोनों अपने-अपने स्तर पर कई महत्वपूर्ण काम करता है जहां दोनों में कई ऐसी खासियत है जो दोनों को एक दूसरे से बेहतर बनाने का काम करती है.

दुनिया की दो मशहूर बंदूके एके-47 और Scar-l का परिचय: एक-47 का पूरा नाम ऑटोमेटिक kalashnikov47 है. 1947 में यह राइफल बनी थी जिसका आविष्कार Mikhail Kalashnikov ने किया था, लेकिन उन्होंने अपने इस अविष्कार से कभी पैसा नहीं कमाया. एक बार ak-47 में आप 30 गोलियां भर सकते हैं. इस बंदूक की नली से गोली छूटने की रफ्तार 710 मीटर प्रति सेकंड होती है. इस बंदूक से एक सेकंड में 6 गोली निकलती है यानी 1 मिनट में लगभग 600 राउंड फायरिंग होती है. यह इतनी पावरफुल होती है कि कुछ दीवारों यहां तक की कार के दरवाजे को भी भेद कर उसके पीछे बैठे इंसान को मार सकती है. इसे चलाने के लिए किसी खास तरह की ट्रेनिंग की जरूरत भी नहीं होती. इसका एकेएम वर्जन इस समय दुनिया का सबसे हल्का राइफल है. फुल लोड होने के बाद भी इसका वजन मात्र 4 किलो होता है. यह ऑटोमेटिक और सेमी ऑटोमेटिक दोनों तरह से काम करता है. रूस के अलावा एके-47 को बनाने और सप्लाई करने का लाइसेंस चीन, भारत, इजराइल, नाइजीरिया के पास है. चीन में सबसे ज्यादा इसे बनाया जाता है. यह केवल आठ पुर्जो से मिलकर बनी होती है और इन्हें केवल 1 मिनट में जोड़ा जा सकता है. AK सीरीज के फिलहाल दुनिया में 17 वैरिएंट्स अलग-अलग देशों, सैन्य समूहों, विद्रोहियों और आतंकियों के बीच उपयोग में लाए जा रहे हैं. ये हैं- AK-47, AKM, AK-74, AK-74M, AK-101, AK-102, AK-103, AK-104, AK-105, AK-12, AK-12K, AK-15, AK-15K, AK-200, AK-205, AK-203 और AK-19. ये सभी राइफल्स अपने बनने के वर्ष के क्रम में है. अब हम जिस राइफल की बात करने जा रहे हैं वह काफी देश की सेना की पसंदीदा हथियार है. इसे मैन्युफैक्चर बेल्जियम की कंपनी एफ एन हर्सटल करती है, जिसे 2004 में मैन्युफैक्चर किया गया है. भारत में इसे एनएसजी कमांडो साथ ही भारत के स्पेशल फोर्सज द्वारा इस्तेमाल किया जाता है. Scar-l एल का वजन 3.29 केजी है.वहीं Scar-H का वजन 3.58 केजी है. SCAR-L, यानी की लाइट के लिए, 5.56×45mm NATO में चैम्बर में है और SCAR-H, यानी की हैवी के लिए, 7.62×51mm NATO में चैम्बर में है
जहां एक ओर एक-47 काफी तेजी से दूर तक हमला करने में सक्षम है तो वहीं scar -l का निशाना काफी सतीक माना जाता है. एके एस47 का प्रयोग मास मिशन पर किया जाता है तो वहीं scar -l का प्रयोग स्पेशलाइज्ड मिशन के लिए किए जाता है.

अपने मशहूर बंदूक एके 47 के साथ मिखाइल क्लाशिनिकोव.

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