ओ तेरी..
टाइटैनिक के हजारों यात्रियों को डूबने से बचा सकता था 37 किलोमीटर दूर खड़ा यह जहाज
टाइटैनिक का नाम सुनते ही हमारे दिमाग में एक ऐसी दांस्ता उजागर हो जाती है, जिसे लफ्जों में बयां करने के लिए ना जाने कितनी किताबें लिखी गईं और कितने फिल्मों को अलग-अलग रूप दिया गया. यह वही टाइटेनिक है जिसके बारे में कहा गया था कि खुदा भी चाहे तो इस जहाज को डूबा नहीं सकता, पर संयोग ऐसा हुआ कि यह अपनी पहली यात्रा भी पूरी नहीं कर सका. आज हम आपको बताएंगे कि किस तरह अपनी पहली ही यात्रा में टाइटैनिक जहाज डूब गया और किस तरह उसके आस-पास मौजूद एक जहाज, टाइटेनिक को डूबने से बचा सकता था.
टाइटेनिक जहाज के दुर्घटना का परिचय
यह 10 अप्रैल 1912 की कहानी है जब इंग्लैंड से निकला यह जहाज बिल्कुल चार दिन बाद यानी की 14 अप्रैल को यह एक बर्फ के पहाड़ से टकरा गया और देखते ही देखते ढाई घंटे के अंदर नॉर्थ अटलांटिक ओसियन की गहराई में इस तरह समा गया. जैसे मानो इसका कोई अस्तित्व ही नहीं था. कई तरह की जांच की गई ताकि यह पता चल सके कि आखिर इस तरह विशाल जहाज के डूबने के पीछे कौन कसूरवार था. बताया जाता है कि कैप्टन एडवर्ड स्मिथ को यह पता था कि आगे जाकर एक बहुत बड़ा बर्फ का पहाड़ खड़ा है. इसके बावजूद भी उन्हें टाइटैनिक की गति को कम करने के बारे में नहीं सोचा. यह भी कहा जाता है कि स्टीयरिंग व्हील पर खड़े रॉबर्ट को सिग्नल मिलने पर जहाज को लेफ्ट पर मोड़ना था पर वह इतने घबरा गए कि उन्होंने राइट टर्न ले लिया. जब तक उन्हे एहसास होता कि उन्होंने बहुत बड़ी गलती कर दी तब तक टाइटेनिक इस बर्फ के पहाड़ से टकराकर उसके अंदर समा चुका था.
टाइटेनिक जहाज में कुल कितने यात्री थे
टाइटैनिक की जहाज पर 2223 यात्री और चालक दल सवार थे, जिसमें से 1517 यात्री को नहीं बचाया जा सका और 706 कुशल बच गए. जिस समय टाइटेनिक ने जल समाधि ली, उस समय समुद्र का तापमान बर्फ जमने के तापमान से भी नीचे था. टाइटैनिक को इस तरह से डिजाइन किया गया था कि उसकी सहायता से यात्रियों को पास के बचाव स्थलों तक पहुंचा जा सके, लेकिन उनमें इतनी क्षमता नहीं थी कि वह एक साथ कई लोगों को ज्यादा देर तक झेल सके.
उस रात टाइटैनिक के पास से गुजरे ss कैलिफोर्निया जहाज का परिचय
यह बात शायद किसी भी न्यूज़ चैनल या मीडिया में नही दिखाया गया हो पर यह पूरी तरह सच है कि जब टाइटैनिक डूब रहा था उस वक्त टाइटेनिक से ठीक 40 किलोमीटर की दूरी पर एक और जहाज मौजूद था जो अगर चाहता तो टाइटेनिक के हजारों लोगों की जान बचा सकता था लेकिन ये जहाज टाइटेनिक तक पहुंचा ही नहीं. दरअसल डूबने से 1 घंटे पहले इस जहाज ने टाइटैनिक को सिग्नल दिया था की समंदर में आगे कई आइसबर्ग मौजूद है जिसके जवाब में टाइटैनिक के कप्तान ने सटअप कॉल देकर इस बात को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया. वहीं एसएस कैलिफोर्निया समुद्र में खतरे को गंभीरता से लेते हुए एक जगह पर रुक गया और आगे नहीं बढ़ा जबकि टाइटेनिक ने गलती कर दी.