धर्म- कर्म
इंदौर के इस गणेश मंदिर में लगा सवा लाख मोदकों का भोग, आभूषणों से होता है यहां श्रृंगार
पूरे भारत देश में विघ्नहर्ता गणपति बप्पा की कई ऐसी मूर्तियां हैं जो अपने अद्भुत कारणों से चमत्कारी मानी जाती हैं. यहां पर गणेश भगवान को चढ़ाए जाने वाले प्रसाद से लेकर उनका किया जाने वाला श्रृंगार काफी अलग और अद्भुत होता है. आज हम गणपति बप्पा के एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बात करने जा रहे हैं जहां पर दर्शन करने का विशेष महत्व माना जाता है. इस मंदिर में कई ऐसी चमत्कारी चीज हैं जो आपको कहीं अन्य मंदिर में देखने को नहीं मिलेगी, जो इस मंदिर को और भी ज्यादा खास बनाती हैं. हम आपको बताएंगे किस तरह इस मंदिर की स्थापना हुई और यहां पर किस तरह से बप्पा का सिंगार किया जाता है और उन्हें बहुत बड़ी मात्रा में भोग चढ़ाए जाते हैं.
खजराना गणेश मंदिर का परिचय
गणेश जी का यह सबसे प्रसिद्ध मंदिर मध्य प्रदेश के इंदौर में स्थित है, जो अपने ऐतिहासिकता और सुंदरता की वजह से पूरे विश्व में पहचाना जाता है. इस मंदिर का निर्माण होलकर वंश की महारानी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा 1735 में करवाई गई थी. यह मंदिर अपनी उच्च व्यवस्था और चमत्कारों के लिए काफी लोकप्रिय है. छोटी सी झोपड़ी से लेकर एक भव्य और अद्भुत इमारत तक यह मंदिर बहुत ज्यादा विस्तृत हुआ है. इस मंदिर में गणेश जी की मुख्य रूप से मूर्ति हैं जो सिंदूरी रंग से रंगी हुई है. इसकी अतिरिक्त मंदिर परिसर में अन्य 33 देवी देवताओं की मूर्ति है, जिनमें शिव, देवी दुर्गा, श्री राम, हनुमान जी और साई बाबा सहित अन्य देवताओं को स्थापित किया गया है. इस मंदिर में पूजा पाठ करने की विशेष मान्यताएं हैं. संतान की कामना, धन की ख्वाहिश, नौकरी की जरूरत से लेकर विद्या और बुद्धि तक का वरदान इस मंदिर में आकर मिलता है.
स्वर्ण आभूषणों से श्रृंगार और सवा लाख किलो मोदक के भोग की कहानी
गणपति के इस मंदिर में पैसे, सोने बहुमूल्य हीरे, जवारात आदि दान किए जाते हैं. जब बात देश के सबसे धनी गणेश मंदिरों की आती है तो यह मंदिर सबसे ऊपर रहता है. हर साल मंदिर की दान पेटियों में से विदेशी मुद्राएं भी अच्छी खासी निकलती है. खास तौर पर गणेश चतुर्थी के मौके पर गणपति जी पर करोड़ों के आभूषण से सिंगार किए जाते हैं. यहां ढाई करोड़ के आभूषण से गणपति का श्रृंगार किया जाता है. मंदिर के प्रमुख पुजारी द्वारा बताया जाता है कि हर साल इन गहनों से भगवान को दो ही बार सजाया जाता है. श्रृंगार करने से पहले भगवान को देसी घी से चोला पहनाया जाता है. 2024 पहला ऐसा वर्ष है जहां एक ही दिन में करीब सवा लाख किलो लड्डू मोदक का भोग एक ही दिन में भगवान गणेश को लगाया गया. जिसे तैयार करने में 40 से भी अधिक हलवाई और 60 महिलाएं मेहनत करती हैं.
मंदिर से जुड़ी पांच रहस्यमई बातें
1. इस मंदिर परिसर में एक पुराना पीपल का पेड़ भी है, जिससे जुड़ी कई मान्यताएं हैं.
2. इस मंदिर में दूर-दूर से लोग आकर परिक्रमा लगाते हैं और तीन परिक्रमा के बाद दीवार पर मन्नत का धागा बांधते हैं. जब प्रक्रिया पूरी हो जाती है तो भक्त वापस धागा खोलने के लिए जाते हैं.
3. यहां पर जिन भक्तों की मन्नत पूरी होती है वह स्वयं के बराबर लड्डुओं से तुला दान करते हैं.
4. इस चमत्कारी मंदिर में यहां उल्टा स्वास्तिक बनाने से हर मुराद पूरी होती है.