चीन के इस वक्त एक ऐसे जहाज ने भारत की चिंता बढ़ा दी है जिसे जासूसी करने के लिए तैनात किया गया है. भले ही चीन ये जरूर कह रहा हो कि यह जहाज आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति करने के लिए हंबनटोटा में रुका है लेकिन उसकी मानसिकता कुछ और है. चीन का जो जासूसी जहाज काफी रूप से चर्चा में छाया हुआ है, आज हम इसी जहाज के बारे में बताने जा रहे हैं जिसमें कई ऐसी खूबी है जो कई बड़े-बड़े कारनामे कर सकता है. इतना ही नहीं हिंद महासागर में किस तरह चीन ने भारत को घेरने का प्लान तैयार कर लिया है. यह भी इस वक्त काफी चर्चा में छाया हुआ है.
चीनी जासूसी जहाज युआन वांग-6 का परिचय युआन वांग-6 एक जासूसी जहाज है जो 2008 से उपयोग में है. यह पावरफुल ट्रैकिंग जहाज है. जब भी चीन या कोई अन्य देश मिसाइल परीक्षण कर रहा होता है तब यह जहाज अपनी आवा जाई शुरू कर देता है. इस जहाज में हाईटेक इव्स ड्रॉपिंग इक्विपमेंट यानी कि छुपकर सुनने वाले उपकरण लगे हुए हैं. इससे यह 1000 किलोमीटर दूर की बातचीत को सुन लेता है. इस जासूसी जहाज को ओडिशा तट के एपीजे अब्दुल कलाम आइलैंड से भारत के मिसाइल टेस्ट को ट्रैक करने के लिए हिंद महासागर क्षेत्र में भेजा गया है. हालांकि चीन का दावा है कि युआन वांग-6 को एक रिसर्च और सर्वे करने के लिए रजिस्टर किया गया है. चीन के पास इस तरह के 7 जासूसी जहाज है. इस जहाज में ऐसे रडार और एंटीना लगे हैं जो किसी भी मिसाइल या रॉकेट को ट्रैक कर सकता हैं. यह पूरे प्रशांत अटलांटिक और हिंद महासागर में काम करने में सक्षम है. इसमें एक ऐसा सिस्टम लगा हुआ है जो अपनी रेंज में आने वाली मिसाइल को ट्रैक कर लेता है और उनकी जानकारी एयर डिफेंस सिस्टम को भेज देता है. इस वजह से किसी भी बड़े हमले को नाकाम किया जा सकता है.
हिंद महासागर में हिंदुस्तान को घेरने की कैसे कोशिश कर रहा चीन विश्व की एक सबसे बड़ी शक्ति बन चुका चीन अपने महत्वाकांक्षाओं को लेकर मुखर है. चीन का बहाना यह है कि वह अपनी ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित कर रहा है और उसका रास्ता हिंद महासागर क्षेत्र से होकर गुजरता है. मगर भारत को लगता है कि यह चीन की आधिपत्यवादी और भारत के प्रति उसकी शत्रुता के कारण है. भारत में सुरक्षा से जुड़े लोगों ने वर्षों से यह महसूस किया है कि पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे भारत के पड़ोसियों पर चीन अपना प्रभाव बढ़ा रहा है. माना जा रहा है कि इस वक्त भारत के लिए यह जरूरी है वह अपने इन पड़ोसी देशों को लेकर विदेशी नीति में खास प्लान से काम करें क्योंकि चीनी आर्थिक सहायता के बोझ तले है. इन देशों की विदेश नीति चाहे अनचाहे चीन के हितों को ही साधेगी जिससे भारत के लिए आने वाले दिनों में दिक्कतें हो सकती है. बताया जा रहा है कि जिबूती में सैन्य अड्डा राजनीतिक तौर पर बेहद खास है. इससे चीन की समुद्री ताकत का विस्तार हिंद महासागर से दक्षिण चीन सागर तक हो जाएगा. इसके साथ ही चीन यहां से दुनिया के सबसे व्यस्ततम जल मार्ग स्वेज नहर पर भी नजर रख सकेगा, जो व्यापारिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है.