जब भी बरमूडा ट्रायंगल की बात आती है तो इससे जुड़ा रहस्य भी लोगों के दिमाग में चलने लगता है. इसकी हिस्ट्री और मिस्ट्री समझना इतना भी आसान नहीं है. ऐसी कई बातें हैं जिनका आज तक जवाब नहीं मिल पाया है. यह हैरानी की बात है कि पिछले 100 सालों में इसमें 75 हवाई जहाज और 100 से ज्यादा छोटे-छोटे बड़े जहाज समा चुके हैं और 1000 से भी ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. यही वजह है कि अपने आप में यह एक बहुत बड़ा रहस्य बना हुआ है, जिसे डेविल ट्रायंगल के नाम से भी जाना जाता है. आज हम आपको इसी बरमूडा ट्रायंगल के बारे में बताने जा रहे हैं जिसमें कई बार इतने रहस्यमय तरीके से जहाज गायब हुए कि आज कई दशक बाद भी उनका नाम और निशान नहीं मिल पाया है.
अटलांटिक महासागर में मौजूद बरमूडा ट्रायंगल का परिचय अटलांटिक महासागर में लगभग 5 लाख स्क्वायर किलोमीटर का एक बड़ा हिस्सा बरमूडा ट्रायंगल है. दरअसल इसका आकार ट्रायंगल की तरह है जिस वजह से इसे बरमूडा ट्रायंगल का नाम दिया गया है. बरमूडा ट्रायंगल उत्तर अटलांटिक महासागर में स्थित ब्रिटेन का प्रवासी क्षेत्र है. यह संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्वी तट पर मियामी से महज 1770 किलोमीटर और हेलीफैक्स, नोवा स्कोटिया के दक्षिण में 1350 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. बरमूडा ट्रायंगल उत्तरी बिंदुओं से फ्लोरिडा कैरेबियन और दक्षिण अमेरिका की ओर जाने वाले व्यावसायिक और निजी विमान के लिए एक बहुत व्यस्त मार्ग माना जाता है. यहां पर अक्सर कहा जाता है कि इस क्षेत्र में जहाज डूब जाते हैं लेकिन अभी तक स्पष्ट नहीं पता चल पाया कि इसके पीछे का कारण क्या है. वैज्ञानिक मौसम को इसका जिम्मेदार बताते हैं. कई शोध में यह पता लगाया गया है कि बरमूडा ट्रायंगल के ऊपर खतरनाक हवाए चलती है और उनकी रफ्तार 170 मील प्रति घंटे रहती है. जब कोई जहाज इसकी चपेट में आता है तो अपना संतुलन खो बैठते हैं, जिसके कारण उनका एक्सीडेंट हो जाता है. हालांकि कुछ वैज्ञानिक इसे गुरुत्वाकर्षण बल की वजह से मानते हैं. उनका कहना है कि इस जगह पर पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल अधिक प्रभावी है.
बरमूडा ट्रायंगल पर होने वाले अब तक की तीन प्रमुख घटनाओं का जिक्र कीजिए 1. 5 नवंबर 1872 को एक जहाज न्यूयॉर्क से जेनोआ के लिए चला, लेकिन वहां कभी भी पहुंच नहीं पाया. एक महीने के बाद 5 दिसंबर 1872 को यह जहाज सही सलामत हालत में मिला परंतु इस पर एक भी व्यक्ति नहीं मिले. अंदर खाने की मेज सजी हुई थी किंतु खाने वाला कोई नहीं था. आज तक पता नहीं चल पाया कि यहां के लोग कहां है.
2. साल 1945 में अमेरिका के 5 टारपीडो बमवर्षक विमान के दस्ते ने 14 लोगों के साथ फोर्ट लोडरडेल के साथ इस बरमूडा ट्रायंगल के ऊपर उड़ान भरी थी. लगभग 90 मिनट बाद रेडियो ऑपरेटर को सिग्नल मिला कि कंपास काम नहीं कर रहा है और संपर्क टूट गया. उसके बाद वहां मौजूद सभी लोग कभी वापस नहीं आ पाए.
3. 1947 में सेना का C-45 सुपर फोर्ट जहाज बरमूडा ट्रायंगल के ऊपर रहस्यमय तरीके से गायब हुआ, जिसके बाद आज तक इस बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं मिल पाई.