धर्म- कर्म
गणपति का वह प्रसिद्ध मंदिर जहां दीवारों पर प्रकट हुए थे श्री गणेश, यहां से निराश लौटा था टीपू सुल्तान
विघ्नहर्ता गणपति एक ऐसे देवता माने जाते हैं जिनका नाम किसी भी कार्य की शुरुआत करने से पहले लिया जाता है. वह अपने भक्तों के सारे दुख को हरते हैं और उनके जीवन में खुशियां भर देते हैं. दुनिया में न जाने ऐसे कई चमत्कारी गणेश मंदिर है, जहां पर भक्तों का ताता लगा रहता है, पर आज हम एक ऐसे चमत्कारी गणेश मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां पर गणेश भगवान की प्रतिमा के उत्पन्न होने की कहानी बेहद ही निराली है. एक समय ऐसा भी आया जब टीपू सुल्तान ने हमले की मंशा से इस मंदिर में प्रवेश किया था लेकिन अचानक कुछ ऐसा हुआ कि उसका हृदय परिवर्तन हुआ और फिर वह चुपचाप इस मंदिर से चला गया. आज हम आपको बताएंगे कि आखिर किस तरह इस मंदिर का निर्माण हुआ और इसकी विशेषताएं क्या है.
केरल के मशहूर मधुर गणपति मंदिर का परिचय
केरल के मधुर वाहिनी नदी के तट पर यह मंदिर स्थित है जिसका नाम माधुरी महा गणपति है. यह मंदिर केरल के कासरगोड शहर से करीब 7 किलोमीटर दूर स्थित है. इसका इतिहास दसवीं शताब्दी का माना जाता है. प्रारंभ में यहां शिवजी का मंदिर था लेकिन बाद में यह गणेश जी का मुख्य मंदिर बन गया. कहा जाता है कि एक दिन पंडित के छोटे बच्चे ने मंदिर की दीवार पर गणेश जी की आकृति बना दी. बाद में धीरे-धीरे यह चित्र अपना आकार बढ़ने लगा और यह आकृति बड़ी और मोटी होती गई. दीवार पर चमत्कारी रूप से उभरी इस प्रतिमा के दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग आने लगे. बाद में यहां गणेश जी की पूजा मुख्य रूप से होने लगी.
इस मंदिर में टीपू सुल्तान से जुड़ी एक कहानी है. बताया जाता है कि टीपू सुल्तान अपनी विजय होने के बाद इस मंदिर को नुकसान पहुंचाने के इरादे से आया था. प्यास लगी तो यहां कुएं से पानी पिया. थोड़ी देर आराम करने के बाद उसने अपना दिमाग बदल दिया और मंदिर को बिना छेड़छाड़ किए हुए वहां से रवाना हो गया, लेकिन उसने मंदिर के छत में एक तलवार से हमला किया. तलवार का वह निशान अब भी संरक्षित है.
इस मंदिर की प्रमुख विशेषताएं
1. इस मंदिर में जो तालाब है उसमें औषधीय गुण भरपूर है जिससे आपके सभी रोग मिट जाते हैं.
2. यहां पर विशेष रूप से एक त्यौहार मनाया जाता है जिसमें गणपति की प्रतिमा को मीठे चावल और घी के मिश्रण से ढक दिया जाता है जिससे मुदप्पम कहते हैं.
3. इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां पर गणपति की प्रतिमा नहीं बल्कि उनका चित्र हमेशा आकार बदलती रहती है.
4. ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में गणेश जी से जो भी भक्त आशीर्वाद मांगते हैं, वह कभी खाली हाथ नहीं जाते.
5. इस मंदिर में गणेश जी की जो प्रतिमा है वह एक विचित्र धातु से बनाया गया है, उसके पास बारे में आज तक जानकारी नहीं मिल पाई है.