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जगतगुरु शंकराचार्य ने किया था इस शनि मंदिर का अनावरण, दर्शन मात्र से दूर होते हैं सभी कष्ट

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अगर आपके भी जीवन में केवल दुखों का साया है और हर तरफ केवल असफलता मिल रही है तो ऐसे में आपको शनि देव के इस मंदिर में अवश्य आना चाहिए. इस मंदिर में प्रवेश करते ही भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और उन्हें सभी पापों से मुक्ति मिल जाती हैं. हम शनिदेव के एक ऐसे विशाल मंदिर की बात कर रहे हैं जो पूरी दुनिया में अपनी भव्यता को लेकर चर्चित है. यहां पर कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं लौटता है. इस चमत्कारी शनि मंदिर से जुड़ी ऐसी रोचक बातें है, जो इस मंदिर को और भी ज्यादा भव्य और खास बनाती है. जगतगुरु शंकराचार्य ने इस शनि मंदिर का अनावरण किया था जहां आपको अपने जीवन में एक बार अवश्य जाना चाहिए.

दिल्ली के महरौली के निकट स्थित शनि तीर्थ क्षेत्र, असोला का परिचय
शनि भगवान का यह मंदिर भारत की राजधानी दिल्ली के महरौली में स्थित है, जो शनि भगवान की दुनिया के सबसे बड़े पत्थर की मूर्ति के लिए प्रसिद्ध है. इस मंदिर में शनि देव की प्रतिमा की स्थापना 31 मई वर्ष 2003 में अनंत श्री विभूषित जगतगुरु स्वामी माधवाश्रम जी महाराज की स्थापना की गई थी. इस मंदिर के बनने के बाद से ही ऐसी मान्यता है कि यहां शनि देव के दर्शन करने वाली अपनी समस्या रखते हैं और उसका समाधान मिल जाता है. हर शनिवार को श्रद्धालु आशीर्वाद पाने के लिए शनि के ऊपर तेल और काला तिल चढ़ाते हैं. भक्त मंदिर के मूर्ति के चारों ओर शनि मंत्र का जाप करते हैं. मूर्ति को बजाना, गले लगाना और धारण करना एक पारंपरिक अनुष्ठान है. यहां पर नवरात्रि पूजा, दीपावली पूजा, शनि अमावस्या पर विशेष तौर पर पूजा की जाती है.

इस मंदिर परिसर में स्थित काफी लंबे शनि देव की मूर्ति की विशेषता
इस मंदिर में शनि देव की जो मूर्ति है वह कुदरती पत्थर की मूर्ति है. इस पत्थर की मूर्ति किसी ने अपने हाथों से नहीं बनाई है. ऐसा कहा जाता है कि मंदिर के शीश पर अष्ट धातु की सबसे बड़ी शनि प्रतिमा स्थापित है. जैसे ही कोई मुख्य द्वार में प्रवेश करता है उसे भगवान शनि की विशाल दीप्तिमान मूर्ति और शनि शीला भी दिखाई देती है, जिसकी ऊंचाई लगभग 27 फिट है. अष्टधातु को ऑप्टोमीटर धातु भी कहा जाता है. इन अष्टधातु में 8 धातु सोना, चांदी, तांबा, शिशा, जस्ता, तीन, लोहा और पारा की गणना की जाती है.

मंदिर से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें
1. इस मंदिर में कोई भी पुजारी या ऋषि नहीं है. यहां आने वाले सभी भक्त खुद ही पूजा करते हैं.

2. मंदिर में पूजा करने वाला कोई भी भक्त एक दूसरे से बात नहीं करता है.

3. इस मंदिर में ज्योतिष आयुर्वेद योग और तंत्र से जुड़े सभी मूर्तियों का उत्तर दिया गया है.

4. कहा जाता है कि यहां पर भक्तजन शनि देव को तेल चढ़कर जो भी मांगते हैं उनकी मुरादे पूरी होती है.

5. सुरक्षा कारणों से मंदिर में बाहरी सामग्री लाने की अनुमति नहीं है.

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