Connect with us

जब एक इंजीनियर ने 65 मजदूरों की जिंदगी बचाई थी, सच्ची घटना पर आधारित है मिशन रानीगंज

सिनेमाबाजी

जब एक इंजीनियर ने 65 मजदूरों की जिंदगी बचाई थी, सच्ची घटना पर आधारित है मिशन रानीगंज

बॉलीवुड में कई ऐसी फिल्में बन चुकी हैं, जो सच्ची घटना पर आधारित हैं पर इसमें कुछ ही ऐसी मास्टरपीस फिल्में होती हैं जो लोगों के दिलों दिमाग पर उतर जाती है. अक्षय कुमार एक बार फिर ऐसी ही फिल्म लेकर आ रहे हैं जो एक सच्ची घटना पर आधारित है जिसमें वह एक शेर दिल इंसान की भूमिका निभाने वाले हैं. इस फिल्म के माध्यम से यह बताया गया है कि किस तरह एक इंसान अपनी जान को जोखिम में डालकर कई जिंदगियां बचाता है. आज हम आपको अक्षय कुमार की आगामी फिल्म मिशन रानीगंज के बारे में बताने जा रहे हैं, जो एक सच्ची घटना पर आधारित है. साथ ही साथ इस फिल्म में कई दिग्गज कलाकार है जो उसकी रौनक और भी ज्यादा दोगुनी करने वाले हैं.

अक्षय कुमार की आगामी फिल्म मिशन रानीगंज का परिचय
6 अक्टूबर को अक्षय कुमार और परीनीती चोपड़ा की फिल्म मिशन रानीगंज रिलीज होने वाली है, जो बंगाल के रानीगंज में हुए कोयला खदान हादसे की सच्ची घटना पर आधारित है, जहां 350 फीट नीचे फंसे 65 लोगों की जान बचाई गई थी. जब इस फिल्म का टीजर शेयर किया गया था तो कहीं ना कहीं लोगों को यह एहसास हो गया था कि अक्षय कुमार इस बार एक यूनिक स्टोरी लेकर आ रहे हैं. मिशन रानीगंज भारत के एक सच्चे नायक की कहानी है जिसने अपनी जान पर खेल कर कई लोगों की जिंदगी बचाई. इस फिल्म में अक्षय कुमार माइनिंग इंजीनियर का रोल निभा रहे हैं. वहीं उनके सहायक के तौर पर एक्टर प्रतीक गौरव दिखाई देंगे. इस फिल्म में अक्षय परिणीति के अलावा रवि किशन, पवन मल्होत्रा, कुमुद मिश्रा, वरुण बडोला समेत कई बड़े कलाकार नजर आएंगे. इस फिल्म का निर्देशन टीनू सुरेश द्वारा किया गया है, जिन्होंने इससे पहले अक्षय कुमार के साथ रुस्तम में काम किया है.

इंजीनियर जसवंत सिंह गिल का असली कारनामा
1979 में पश्चिम बंगाल के रानीगंज कोलफील्ड में यह घटना हुई थी. उस दौरान 64 खनिक बाढ़ वाली कोयले खदान में फंस गए थे और खनिजों को बचाने के लिए जसवंत सिंह गिल ने अपनी जान जोखिम में डाल दी. 1774 में ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा गठित रानीगंज कोल माइन में बड़ी ही बेतरतीबी से काम किया जाता था. ना कोई पिलर्स होते थे ना ही कोई ऐसी दीवार जो होने वाले हादसे को रोक सके. 13 नवंबर 1989 की रात को खदान में काम करते हुए वर्कर्स ने नोटिस किया कि कोई ब्लास्ट हुआ है जिससे कोयला खदान के बाहर की सतह क्रैक हो गई है. उस ब्लास्ट से पूरी खदान हिलने लगी थी. इस दरार की वजह से पानी का तेज बहाव अंदर आ गया. बाढ़ इतनी तेज आई कि अंदर फंसे लोगों ने अपनी जान गवा दी और जो लोग लिफ्ट के पास थे वह तुरंत बाहर निकल गए लेकिन अंदर 65 मजदूर और थे जो बुरी तरह फस गए थे. ऐसे में हर किसी ने उम्मीद खो दी थी लेकिन जसवंत सिंह गिल वहां आए और उन्होंने 65 मजदूरों को बाहर निकाल कर उनकी जान बचाई. उस वक्त करीब 104 फीट गहरी रानीगंज की इस कोयले के खान में 232 मजदूर काम कर रहे थे. ट्राली की मदद से जैसे तैसे 161 मजदूरों को तो बाहर सुरक्षित निकाल लिया गया लेकिन अंदर फंसे बाकी मजदूरों के लिए जसवंत सिंह जीवनदान बने. उन्होंने 6 फुट का लोहे का एक कैप्सूल बनाया जो 21 इंच का था, जिसकी मदद से उन्होंने एक-एक कर अंदर फंसे मजदूरों को बाहर निकाल दिया.

आगे पढ़ें
You may also like...

journalist

More in सिनेमाबाजी

To Top