आकार में छोटा सा दिखने वाला इजराइल अगर अपने दुश्मनों की नाक में दम किए रहता है और कोई भी देश उस पर आंख उठाने से पहले 100 बार सोचते हैं तो इसका श्रेय उसकी खुफिया है एजेंसी मोसाद को जाता है. मोसाद के नाम से आतंकी संगठन ही नहीं उनके आका और हुक्मरान भी खौफ खाते हैं, पर किसी ने नहीं सोचा था कि जब हमास एक के बाद एक करके इजरायल पर बम दाग रहा होगा तब मोसाद अपनी आंख और कान बंद करके कहीं बैठा होगा. इस वक्त मोसाद की असफलता पर पूरी दुनिया हैरान है. इजरायल की आंख और कान कहे जाने वाले मोसाद से इस तरह की गलती क्यों और कैसे हुई, यह इस वक्त सवालों के घेरे में है. आज हम आपको बताएंगे कि आखिर मोसाद कि किन गलती के कारण इजराइल को खामयाजा भुगतना पड़ा.
इजरायल की सुरक्षा एजेंसी मोसाद का परिचय मोसाद इजराइल की खुफिया एजेंसी है जो अपने दुश्मनों को उन्हीं के देश में घुसकर चुन- चुन कर मारने के लिए जानी जाती है. यहूदियों के देश इजराइल में 13 दिसंबर 1949 के दौरान वहां के तत्कालीन प्रधानमंत्री डेविड बेन गुरियन की पहल पर सेना की खुफिया विभाग, आंतरिक सुरक्षा, सेवा और विदेश विभाग के साथ तालमेल और आपसी सहयोग को बढ़ावा देने के लिए मोसाद की स्थापना की जिसके बाद से ही यह अपने कारनामों से लगातार प्रसिद्धी चार चांद लगा रही है. इजराइल की एकता अखंडता और संप्रभुता की रक्षा के लिए यह सब कुछ निछावर कर देने को तत्पर है. अपने जासूसों के कारण ही यह एजेंसी दुनिया की सबसे खतरनाक और रहस्यमई खुफिया संस्था मानी जाती है. मोसाद के ऑपरेशन को जानकर कोई भी दांतों तले उंगली दबा देगा. आज के दौर में मोसाद के पास टॉप क्लास सीक्रेट एजेंट, हाईटेक इंटेलिजेंस टीम, शार्प शूटर और कातिल हसीनाओ समेत कई तरह के जासूस और गुप्त योद्धाओं की फौज है. मोसाद के एजेंट इतनी सफाई से काम को अंजाम देते हैं कि कोई सबूत भी नहीं बचता. मोसाद ने कई ऑपरेशन को सफल तरीके से अंजाम दिया है
1. बात 2011 की है जब ईरान के परमाणु कार्यक्रम को इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने झटका दिया. जनवरी 2010 में ईरान के परमाणु कार्यक्रम के एक सलाहकार की कार के पास खड़ी मोटरसाइकिल में छुपा कर रखे गए विस्फोटक से हत्या कर दी गई. 2011 में ईरानी परमाणु परियोजना प्रमुख अपनी कार में कहीं जा रहे थे और तभी उनकी बगल चल रहे एक मोटरसाइकिल चालक ने कार की पिछली विंडशील्ड पर एक छोटी सी डिवाइस चिपका दी. चंद सेकेंड बाद ही उस डिवाइस से विस्फोट हो गया.
2. 1972 में म्यूनिख ओलिंपिक के लिए एकत्र इजरायली ओलिंपिक टीम के 11 खिलाड़ियों की बंधक बनाकर हत्या करने का बदला फ़लीस्तीनी आतंकियों से लिया. यह ऑपरेशन करीब 20 सालों तक चला और मोसाद ने सभी आतंकियों से चुन चुन कर बदला लिया.
हमास आतंकवादियों द्वारा इसराइल पर हमले की खबर मोसाद को क्यों नहीं लगी इजरायल की खुफिया विभाग की नाक के नीचे हमास ने इतना बड़ा हमला कर दिया और पूरी खुफिया तंत्र सोती रही. हमास के सैकड़ो लड़ाके हवाई जमीनी और समुद्र के रास्ते इसराइली सीमा में घुस गए. हमले शुरू होने की कई घंटे बाद भी हमास के चरमपंथी कई इजरायली इलाकों में गोलीबारी कर रहे थे, लेकिन जिस खुफिया एजेंसी पर इजरायल को हमेशा से गर्व रहा है इस मामले में उसकी खुफिया विफलता दिखाई पड़ती है. कहा जा रहा है कि इजरायल ईरान का मुकाबला करने और इस्लामी गणराज्य के परमाणु कार्यक्रम को सफल करने के प्रयासों में इतना व्यस्त हो गया कि उसने अपने ही निकट स्थित क्षेत्र की अनदेखी कर दी. इतना ही नहीं अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए पर भी सवाल उठ रहे हैं क्योंकि अमेरिका को इसराइल का जिगरी दोस्त कहा जाता है. कई बार मोसाद और सिआईए को संयुक्त ऑपरेशन करते भी देखा गया है.