जब भी नीरज चोपड़ा का नाम आता है तो हमारे दिमाग में पहले से ही गोल्ड मेडल की छवि बन जाती है, क्योंकि अभी तक नीरज चोपड़ा ने जितने भी टूर्नामेंट में हिस्सा लिया है, उसमें से आधे से ज्यादा टूर्नामेंट में उन्होंने भारत के लिए गोल्ड हासिल किया है. यही वजह है कि नीरज चोपड़ा को अब गोल्डन ब्वॉय भी कहा जाता है, पर इस वक्त देखा जाए तो नीरज चोपड़ा के साथ-साथ एक और खिलाड़ी ने जैवलिन थ्रो इवेंट में कमाल करते हुए इतिहास रच दिया है. भारत ने गोल्ड के साथ-साथ सिल्वर मेडल भी जैवलिन थ्रो में जीता है. आज हम आपको बताएगें कि अभी तक एशियन गेम्स में भारतीय एथलिट का प्रदर्शन किस तरह का है और भारत ने किन-किन क्षेत्रों में सफलता हासिल की है.
नीरज चोपड़ा और किशोर जीना का परिचय नीरज चोपड़ा का जन्म 24 दिसंबर 1997 को भारत के पानीपत, हरियाणा में हुआ. नीरज चोपड़ा ने ग्रेजुएशन तक की डिग्री प्राप्त की है. मात्र 11 साल की उम्र में नीरज चोपड़ा ने भाला फेंकना शुरू कर दिया था और अपनी ट्रेनिंग को मजबूत करने के लिए 2014 में उन्होंने ₹7000 का भाला खरीदा और 2017 के एशियाई चैंपियनशिप में 50.23 मीटर की दूरी तक भाला फेंक कर मैच जीता था. इसके बाद तो नीरज चोपड़ा ने जैसे रिकॉर्ड्स की झड़ी लगा दी. 2016 में दक्षिण एशियाई खेलों में गोल्ड मेडल, 2018 के कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल, जकार्ता एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल, फिर 2022 के जून में फिनलैंड में आयोजित प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल और 2023 के वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर उन्होंने हर मौके पर देश का नाम रोशन किया है. एशियन गेम्स में भारत के नीरज चोपड़ा ने सीजन के सर्वश्रेष्ठ 88.88 मीटर थ्रो के साथ गोल्ड मेडल पर कब्जा किया है. किशोर जीना उड़ीसा की पूरी जिले के कोथाशाही गांव के रहने वाले है. उनका परिवार का कोई भी सदस्य खेल से जुड़ा हुआ नहीं है. शुरुआत में वह वॉलीबॉल खेलते थे लेकिन उनके कोच ने उनके थ्रो की क्षमता को पहचानकर इसके लिए उन्हें प्रेरित किया, जिसके बाद 2015 में उन्होंने जैवलिन थ्रो खेलना शुरू किया. इसकी शुरुआत उन्होंने भुवनेश्वर के स्पोर्ट्स हॉस्टल से की और अब वह पटियाला साईं केंद्र का हिस्सा है. किशोरी अपने खेल को लेकर काफी सीरियस है और कड़ी तैयारी की वजह से लगभग 2 साल से वह घर नहीं गए. आखरी बार वह 2021 में घर गए थे. उनके पिता ने अपने बेटे को वर्ल्ड क्लास एथलीट बनाने के लिए काफी मुश्किलों का सामना किया है. उनके पिता एक किसान है. वह खेती करते हैं और उनका परिवार काफी मुश्किल परिस्थितियों से भी गुजर चुका है. इससे पहला वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में उन्होंने भाग लिया था पर कोई पदक नहीं जीत पाए थे और पांचवें स्थान पर रहे थे. एशियन गेम्स में किशोर जेना ने 87.54 मीटर के थ्रो के साथ भारत को सिल्वर मेडल दिलाया है. 4 अक्टूबर को आयोजित हुए जैवलिन थ्रो इवेंट का प्रसारण सोनी स्पोर्ट्स नेटवर्क पर किया गया. वहीं इसकी लाइव स्ट्रीमिंग सोनी लिव एप और पर हुई.