देशभर में भगवान हनुमान के कई सारे मंदिर हैं जिनकी अलग महिमा है. इसी तरह देश में एक ऐसा हनुमान मंदिर है जहां पर भक्तों की हर मुराद पूरी होती है और यहां पर भक्त अपनी हर परेशानियों से छुटकारा पाने आते है. आज हम देश की राजधानी दिल्ली के कनॉट प्लेस में स्थित हनुमान मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिनका इतिहास काफी पुराना है. यहां पर विशेष तरह से पूजा की जाती है. भगवान हनुमान की यहां पर पूजा करने वाले भक्तो में अकबर भी शामिल था जो यहां पर माथा टेकता था. यूं तो यहां प्रत्येक दिन भक्तों का तांता लगा रहता है परंतु मंगलवार और शनिवार को विशेष भीड़ होती है. आज हम आपको इस मंदिर की महिमा के बारे में बताएंगे.
दिल्ली के कनॉट प्लेस स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर का परिचय देश की राजधानी दिल्ली के कनॉट प्लेस के बाबा खड़ग सिंह मार्ग पर यह मंदिर स्थित है, जहां पर बाल हनुमान जी स्वयंभू विराजित है. पांडवों ने राजधानी में जिन पांच हनुमान मंदिरों की स्थापना की थी यह मंदिर उनमें से एक है. वर्तमान में हनुमान मंदिर का स्वरूप सन 1724 में श्रद्धालुओं के सम्मुख आया. जब तत्कालीन जयपुर रियासत के महाराज जयसिंह ने इसका फिर से जिर्णोद्धार कराया. इस मंदिर का मुख्य द्वार का वास्तुक्षेत्र रामायण में वर्णित काल के अनुरूप है. मुख्य द्वार के स्तंभों पर संपूर्ण सुंदरकांड की चौपाइयां खुदी हुई है. श्रद्धालु इस मंदिर में हनुमान जी को लाल रंग का चोला और लड्डू चढ़ाकर उनकी पूजा करते हैं. मंगलवार और शनिवार भगवान हनुमान के पूजन के दो विशेष दिन है. इन दोनों दिन मंदिर 24 घंटे खुला रहता है. यहां पर जलने वाली अखंड ज्योत हमेशा जलती रहती है और जो भी सच्चे मन से प्रार्थना करता है उसकी सभी मुरादे पूरी होती है. इतना ही नहीं चोला चढ़ावे में श्रद्धालु घी, सिंदूर, चांदी का वर्क और इत्र की शीशी का प्रयोग करते हैं.
इस मंदिर के महत्वता को अकबर क्यों मानता था : कहा जाता है कि मुगल बादशाह अकबर को काफी समय तक जब पुत्र की प्राप्ति नहीं हुई तब वह कनॉट प्लेस के इस मंदिर में आता था और पूरी आस्था से पुत्र रत्न की कामना करता था. फिर बजरंगबली ने उनके मुराद पूरी की. यही वजह है कि अकबर भी इस मंदिर की महत्वता को मानता था. इतना ही नहीं मुगल शासन के दौरान इस मंदिर पर कई आक्रमण भी किए गए लेकिन बाल स्वरूप वाले हनुमान जी और उनके मंदिर को कोई भी नुकसान नहीं पहुंच पाया.
मंदिर से जुड़ी प्रमुख बातें 1. भक्ति कालीन संत तुलसीदास ने दिल्ली यात्रा के समय इस मंदिर में भी दर्शन किए थे और हनुमान चालीसा की रचना की थी.
2. यह भारत का इकलौता ऐसा मंदिर है जिसकी चोटी पर चांद लगा हुआ है.
3. निरंतर जाप के लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी नाम दर्ज है.
4. इस मंदिर पर कभी भी मुस्लिम आक्रमणकारियों ने हमला नहीं किया क्योंकि इसके ऊपर इस्लामी चंद्रमा स्थापित है जो सर्व धर्म समभाव का संदेश देता है.