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एक ऐसी कल्याणकारी एकादशी जिसके करने से सात पीढ़ियों के पितरों को मिलती है पाप से मुक्ति

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सनातन धर्म में अगर देखा जाए तो हर साल 24 एकादशी के व्रत आते हैं लेकिन अश्विनी मास की कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी बेहद ही खास मानी जाती है, जिसे हम इंदिरा एकादशी के नाम से जानते हैं. कहा जाता है कि इस दिन विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से पितृ तृप्त हो जाते हैं और पितरों को बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है. इस दिन पूजा करने से सात पीढि़यो तक के पितृ तृप्त हो जाते हैं. आज हम आपको इस कल्याणकारी एकादशी के बारे में बताएंगे कि किस विधि से पूजा करना शुभ माना जाता है, ताकि आपको शुभ फल मिल सके और आखिर इस पर्व का महत्व क्या है.

इंदिरा एकादशी का परिचय
अश्विनी मास के प्रथम 15 दिवस पितरों के दिन होते हैं जिन्हें पितर पक्ष या श्राद्ध पक्ष कहते हैं. इस अवधि में आने वाली एकादशी का बड़ा महत्व है. हर साल अश्विनी माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के दिन इंदिरा एकादशी का व्रत रखा जाता है. हिंदू धर्म में हर त्योहार और व्रत को बेहद ही खास माना जाता है जिसे करने का अपना एक अलग महत्व होता है. उसी में एक इंदिरा एकादशी भी है. हर साल श्राद्ध पक्ष के दौरान इंदिरा एकादशी आती है. इस दिन पूरे विधि विधान से भगवान विष्णु और माता पार्वती की पूजा की जाती है और उपवास भी रखा जाता है. धार्मिक मान्यता है कि पितृपक्ष में आने वाले एकादशी का व्रत रखने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और भगवान विष्णु की कृपा जातकों पर बनी रहती है. विधि विधान से पूर्वजों का नाम लेकर दान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और पितरों को स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है. इस वजह से इसका महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है. इस दिन आप सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफ कपड़े पहने. घर के मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें और फिर फल, फूल, तुलसी का पत्ता और मिठाई अर्पित करें. भगवत गीता या उसके मंत्रों का जाप करना बिल्कुल भी ना भूले. इसके बाद श्री हरि की श्रद्धा पूर्वक आरती करें.
इस साल 9 अक्टूबर 2023 को दोपहर 12:36 से इंदिरा एकादशी की शुरुआत होगी और 10 अक्टूबर 2023 को दोपहर 3:08 तक यह रहेगी. इसलिए उदया तिथि के अनुसार 10 अक्टूबर 2023 को ही एकादशी का व्रत रखा जाएगा. वही 11 अक्टूबर को सुबह 6:19 से लेकर 8:39 तक पारण का वक्त है.

इंदिरा एकादशी करने के महत्पूर्ण फल
1. इंदिरा एकादशी के दिन पीले फल या पीले पुष्प का इस्तेमाल करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और जीवन में आर्थिक उन्नति आती है.

2. मान्यता है कि इस व्रत को करने से आपके जीवन में तरक्की के योग बनते हैं और हर मोड़ पर सफलता मिलती है.

3. इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम पाठ का करना बेहद लाभकारी माना जाता है जिससे भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

4. इस व्रत को करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा हमेशा बनी रहती है और मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है.

5. आपके साथ-साथ आपके परिवार को भी पितरों का आशीर्वाद मिलता है और सुख समृद्धि में वृद्धि होती है.

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