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1867 में रशियन राजा से हुई बड़ी गलती, 46 करोड़ में बिका अलास्का, आज पैदा कर रहा है अरबों का रेवेन्यू

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1867 में रशियन राजा से हुई बड़ी गलती, 46 करोड़ में बिका अलास्का, आज पैदा कर रहा है अरबों का रेवेन्यू

आज एक छोटे से जमीन की हिस्से की कीमत कितनी है यह हर कोई जानता है जिसे खरीदने में लोगों को पाई- पाई जोड़नी पड़ती है. अगर ऐसे में आपको यह सुनने को मिले कि एक देश ने कौड़ियों के भाव में अपनी काफी जमीन किसी को दे दी तो यह सुनकर आपको जरूर झटका लग सकता है. सबसे चौंकाने वाली बात तो यह है कि 46 करोड़ में बेचे गए जमीन के इस हिस्से पर आज अरबों का रेवेन्यू पैदा हो रहा है. बस एक गलती के कारण आज यह इतनी बड़ी स्थिति उत्पन्न हो गई है. साल 1867 में रूस राजा के हाथों यह एक बहुत बड़ी गलती हुई थी, जिन्होंने 46 करोड़ में अलास्का को बेच दिया था. आज यहां पर इस तरह का वातावरण है कि अगर यह राजा आज जीवित होते तो अपने किए पर इन्हें बहुत पछतावा होता. आज हम आपको बताएंगे कि आखिर किस वजह से रूस को अलास्का बेचना महंगा पड़ा और वहां पर किस प्रकार अरबों का रेवेन्यू उत्पन्न हो रहा है.

रशियन राजा जार अलेक्जेंडर का परिचय
जार अलेक्जेंडर 19वीं शताब्दी के एक रूसी सम्राट थे जिनका जन्म 29 अप्रैल 1818 को हुआ. उनके शासन के तहत रूस सुधार की दिशा में आगे बढ़ा. विशेष रूप से दास प्रथा की उन्मूलन में उन्होंने बहुत बड़ा योगदान दिया. उनकी सबसे बड़ी विरासत 1861 में रूसी सर्फो की मुक्ति थी. 1839 में पश्चिमी यूरोप के दौरे पर जार अलेक्जेंडर एक शाही पत्नी की तलाश में था. इसके बाद उन्होंने 28 अप्रैल 1841 को मैरी से शादी कर ली. एक हत्यारे ने चलते समय उन पर गोली चला दी. उस वक्त वह बच गए थे, लेकिन इसके कुछ सालों बाद एक बार फिर बम से उन पर हमला हुआ जिसमें राजा के साथ-साथ अन्य कई लोग भी गंभीर रूप से घायल हुए थे. इसके बाद 13 मार्च 1881 को उनकी मृत्यु हो गई.

रशिया को क्यों बेचना पड़ा अलास्का
अलास्का उत्तरी अमेरिका महाद्वीप के उत्तर पश्चिमी भाग पर स्थित है और पूर्व में इसकी सीमा केवल कनाडा से लगती है. कभी अलास्का रूस का स्वर्ग कहा जाता था लेकिन अब यह अमेरिका का हिस्सा है. 30 मार्च 1867 को अमेरिका ने सोवियत यूनियन से अलास्का खरीद लिया. रूस इतना बड़ा है कि पूरी धरती का 10% जमीन सिर्फ इस देश के पास है. जब अलास्का को बेचा जा रहा था तो रूस की जनता इसके खिलाफ थी. इसके बावजूद सिकंदर ने इसे बेचने के लिए डॉक्यूमेंट पर साइन कर दिए थे. कहा जाता है कि सोवियत यूनियन को डर था कि युद्ध होने पर ब्रिटेन की मदद से अमेरिका इस पर कब्जा कर सकता है. उस समय सोवियत यूनियन की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं थी और अलास्का सोवियत यूनियन के लिए खास मायने नहीं रखता था जिसके बाद इसे बेचने का फैसला लिया गया.
अलास्का को भले ही बेच दिया गया पर आज इसका बहुत पछतावा होता है. इसकी वजह है अलास्का में मौजूद भरपूर तेल के भंडार, गोल्ड व डायमंड माइन्स. जिसके चलते अमेरिका को खजाना मिल चुका है. यहां भारी मात्रा में नेचुरल गैस और पेट्रोलियम पदार्थ है. यहां पर कई ऑयल फैक्ट्री भी है सिर्फ अलास्का से ही अमेरिका को देश की खपत का 20% पेट्रोल मिलता है. इसके अलावा फिशिंग और टूरिज्म भी आय का बड़ा जरिया है, जहां हर साल लाखों की संख्या में टूरिस्ट यहां पर पहुंचते हैं.

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